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बारिश और जलभराव से बचाव की तैयारियों में नगर निगम समेत अन्य विभाग पिछड़ गए हैं। मोरी गेट में लीकेज से गंगा नदी का जल बैक फ्लो होकर शहर में घुसेगा। तेज बारिश के दौरान नदियों का जलस्तर बढ़ेगा तो शहरियों पर दोहरी आफत आएगी। पंप बंद होने से न तो बारिश का पानी निकल पाएगा और दूसरी तरफ नदियों का जल बैक फ्लो कर शहर में भर जाएगा।
नगर निगम अफसरों का दावा था कि 15 जून से पहले नाला सफाई और पंपिंग स्टेशनों की मरम्मत का काम पूरा करा लिया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पार्षदों ने जिलाधिकारी और नगर आयुक्त से शिकायत की तो आश्वासन दिया गया, लेकिन काम नहीं कराए गए।
दो दिन पहले हुई तेज बारिश में तैयारियों की पोल खुली। नगर आयुक्त रवि रंजन ने अफसरों के साथ पंपिंग स्टेशनों का निरीक्षण किया। निर्देश दिए लेकिन काम कुछ नहीं कराया गया। शुक्रवार को मोरी गेट में लीकेज हो गया। झरने की तरह गिर रहा पानी भविष्य में होने वाले खतरे का संकेत है।
पार्षद कमलेश सिंह के मुताबिक मोरी गेट गलत तरीके से खोलने के कारण टेढ़ा हो गया है। यहां लीकेज ऐसा है कि गंगा का जलस्तर 84 मीटर पार करते ही गेट बंद होगा और गंगा जल शहर में प्रेशर के साथ घुसेगा। ऐसी स्थिति में बारिश का पानी निकाला नहीं जा सकेगा और गंगा का जल तेज गति से शहर भीतर पहुंचेगा। पार्षद के मुताबिक पंपों की हालत ठीक नहीं है। चार पंप खराब पड़े हैं। अभी तक इमरजेंसी के लिए डीजल तक नहीं लाया गया है। ऐसी स्थिति में बारिश होती है तो बैक फ्लो से शहर में नदी का जल प्रवेश करते ही जलभराव होगा।
अलोपीबाग पंपिंग स्टेशन के खराब पाइप
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अफसर शहरियों को राहत मिले, इसके प्रति गंभीर नहीं हैं। अलोपीबाग पंपिंग स्टेशन में लगा 650 केवीए का ट्रांसफार्मर डीएम के हस्तक्षेप के बाद करीब 15 दिन पहले मरम्मत के लिए भेजा गया। साफ है कि बारिश हुई तो मोटरें नहीं चलेंगी। यहां मोटरें भी खुली पड़ी हैं। सड़ा बड़ा पाइप बदलने की जगह उस पर सीमेंट लगा दी गई। बारिश का पानी निकालने के लिए मोटर चलाई गईं तो सीमेंट लगा पाइप उखड़ जाएगा और बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी। इस संबंध में इकाई के कार्यवाहक जीएम का कहना है कि काम चल रहा है।
इच्छा शक्ति हो तो सात दिन हो सकती है मरम्मत, पर अफसर साधे हैं चुप्पी
बाढ़ और सिंचाई कार्य के विशेषज्ञ बताते हैं कि मोरी गेट अब नगर निगम के सुपुर्द है। अफसर चाहें तो इंजीनियरों की टीम लगाकर एक सप्ताह में क्षतिग्रस्त गेट की मरम्मत की जा सकती है। वरिष्ठ पार्षद रतन दीक्षित, कमलेश सिंह और पूर्व पार्षद रतन दीक्षित का कहना है कि अफसरों की इच्छा शक्ति हो तो मोरी गेट की मरम्मत और पंपों को ठीक कराकर शहरियों को जलभराव से बचाया जा सकता है।
वर्जन
बक्शीबांध के पंप आज दुरुस्त करा लिए हैं। अन्य स्थानों पर काम तेजी से चल रहा है। मोरी गेट की निरीक्षण कराकर खामियां दूर कराई जाएंगी।
-हरिश्चंद्र बाल्मीकि, महाप्रबंधक जलकल
बारिश और जलभराव से बचाव की तैयारियों में नगर निगम समेत अन्य विभाग पिछड़ गए हैं। मोरी गेट में लीकेज से गंगा नदी का जल बैक फ्लो होकर शहर में घुसेगा। तेज बारिश के दौरान नदियों का जलस्तर बढ़ेगा तो शहरियों पर दोहरी आफत आएगी। पंप बंद होने से न तो बारिश का पानी निकल पाएगा और दूसरी तरफ नदियों का जल बैक फ्लो कर शहर में भर जाएगा।
नगर निगम अफसरों का दावा था कि 15 जून से पहले नाला सफाई और पंपिंग स्टेशनों की मरम्मत का काम पूरा करा लिया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पार्षदों ने जिलाधिकारी और नगर आयुक्त से शिकायत की तो आश्वासन दिया गया, लेकिन काम नहीं कराए गए।
दो दिन पहले हुई तेज बारिश में तैयारियों की पोल खुली। नगर आयुक्त रवि रंजन ने अफसरों के साथ पंपिंग स्टेशनों का निरीक्षण किया। निर्देश दिए लेकिन काम कुछ नहीं कराया गया। शुक्रवार को मोरी गेट में लीकेज हो गया। झरने की तरह गिर रहा पानी भविष्य में होने वाले खतरे का संकेत है।
पार्षद कमलेश सिंह के मुताबिक मोरी गेट गलत तरीके से खोलने के कारण टेढ़ा हो गया है। यहां लीकेज ऐसा है कि गंगा का जलस्तर 84 मीटर पार करते ही गेट बंद होगा और गंगा जल शहर में प्रेशर के साथ घुसेगा। ऐसी स्थिति में बारिश का पानी निकाला नहीं जा सकेगा और गंगा का जल तेज गति से शहर भीतर पहुंचेगा। पार्षद के मुताबिक पंपों की हालत ठीक नहीं है। चार पंप खराब पड़े हैं। अभी तक इमरजेंसी के लिए डीजल तक नहीं लाया गया है। ऐसी स्थिति में बारिश होती है तो बैक फ्लो से शहर में नदी का जल प्रवेश करते ही जलभराव होगा।
अलोपीबाग पंपिंग स्टेशन के खराब पाइप
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अफसर शहरियों को राहत मिले, इसके प्रति गंभीर नहीं हैं। अलोपीबाग पंपिंग स्टेशन में लगा 650 केवीए का ट्रांसफार्मर डीएम के हस्तक्षेप के बाद करीब 15 दिन पहले मरम्मत के लिए भेजा गया। साफ है कि बारिश हुई तो मोटरें नहीं चलेंगी। यहां मोटरें भी खुली पड़ी हैं। सड़ा बड़ा पाइप बदलने की जगह उस पर सीमेंट लगा दी गई। बारिश का पानी निकालने के लिए मोटर चलाई गईं तो सीमेंट लगा पाइप उखड़ जाएगा और बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी। इस संबंध में इकाई के कार्यवाहक जीएम का कहना है कि काम चल रहा है।
इच्छा शक्ति हो तो सात दिन हो सकती है मरम्मत, पर अफसर साधे हैं चुप्पी
बाढ़ और सिंचाई कार्य के विशेषज्ञ बताते हैं कि मोरी गेट अब नगर निगम के सुपुर्द है। अफसर चाहें तो इंजीनियरों की टीम लगाकर एक सप्ताह में क्षतिग्रस्त गेट की मरम्मत की जा सकती है। वरिष्ठ पार्षद रतन दीक्षित, कमलेश सिंह और पूर्व पार्षद रतन दीक्षित का कहना है कि अफसरों की इच्छा शक्ति हो तो मोरी गेट की मरम्मत और पंपों को ठीक कराकर शहरियों को जलभराव से बचाया जा सकता है।
वर्जन
बक्शीबांध के पंप आज दुरुस्त करा लिए हैं। अन्य स्थानों पर काम तेजी से चल रहा है। मोरी गेट की निरीक्षण कराकर खामियां दूर कराई जाएंगी।
-हरिश्चंद्र बाल्मीकि, महाप्रबंधक जलकल