अब नए वाहनों के नंबर आरटीओ दफ्तर से नहीं, बल्कि डीलर ही जारी करेंगे। शुक्रवार से पूरे प्रदेश में वाहन सॉफ्टवेयर में बदलाव होने जा रहा है। ऑनलाइन प्रक्रिया से अब ग्राहकों को सहूलियत मिलेगी।
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन रंजीत सिंह ने बताया कि शुक्रवार से सभी मोटरयानों पर डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया लागू हो जाएगी। इसके तहत वाहन सॉफ्टवेयर में बड़ा बदलाव हो जाएगा। अब आरटीओ दफ्तर से किसी भी वाहन के नंबर जारी नहीं होंगे, बल्कि ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत डीलर ही वाहनों के नंबर जारी करेंगे। साथ ही जिले के डीलरों को निर्देश दिए गए है कि हाल ही में वाहनों के नंबर के लिए जो आवेदन आरटीओ दफ्तर के माध्यम से किए गए हैं, उन आवेदनों का शुल्क जमा कर जानकारी साफ्टवेयर के माध्यम से अपलोड कर दें।
ग्राहकों का बचेगा समय
- अभी तक आरटीओ दफ्तर से जारी होने वाले नंबर के लिए 15 से 20 दिन का इंतजार करना पड़ता था। अब वाहन लेते ही डीलर सभी कागजात पूर्व की तरह वाहन-4 सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर देंगे। अपलोड करते ही नबंर अलॉट हो जाएगा। वीआईपी नंबर के लिए अलग से कैटेगरी रहेगी। नंबर जारी होते ही हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का ऑर्डर कर दिया जाएगा। तीन दिन में नंबर प्लेट आते ही गाड़ी पर लगाई जाएगी और फोटो अपलोड किया जाएगा। सभी दस्तावेजों के मिलान पर आरसी जारी हो जाएगी। इससे अब 20 दिनों में मिलने वाली नंबर प्लेट छह से सात दिन में ही मिलने लगेगी।
आधार प्रमाणीकरण बनेगा समस्या की जड़
- नई प्रक्रिया लागू होने से जिस प्रकार ग्राहकों को सहूलियत मिलने वाली है, उसी तरह आधार प्रमाणीकरण समस्या बन सकता है। ग्राहक की जानकारी डीलर साफ्टवेयर में अपलोड करेंगे तो आधार प्रमाणीकरण के लिए ओटीपी आएगा। अगर ग्राहक का आधार अपडेट नहीं है, फोन नंबर खो गया है या बदल गया है तो ओटोपी जारी नहीं होगा। जबकि फाइल अपलोड होने के बाद कागजात जमा करने और नंबर जारी करने की एक तिथि मिल जाएगी। तय तिथि से आगे प्रक्रिया होने पर जुर्माना लग जाएगा। इससे ग्राहकों और डीलरों की समस्या तो बढ़ेगी ही, साथ ही विवाद भी उत्पन्न होंगे।
अब नए वाहनों के नंबर आरटीओ दफ्तर से नहीं, बल्कि डीलर ही जारी करेंगे। शुक्रवार से पूरे प्रदेश में वाहन सॉफ्टवेयर में बदलाव होने जा रहा है। ऑनलाइन प्रक्रिया से अब ग्राहकों को सहूलियत मिलेगी।
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन रंजीत सिंह ने बताया कि शुक्रवार से सभी मोटरयानों पर डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया लागू हो जाएगी। इसके तहत वाहन सॉफ्टवेयर में बड़ा बदलाव हो जाएगा। अब आरटीओ दफ्तर से किसी भी वाहन के नंबर जारी नहीं होंगे, बल्कि ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत डीलर ही वाहनों के नंबर जारी करेंगे। साथ ही जिले के डीलरों को निर्देश दिए गए है कि हाल ही में वाहनों के नंबर के लिए जो आवेदन आरटीओ दफ्तर के माध्यम से किए गए हैं, उन आवेदनों का शुल्क जमा कर जानकारी साफ्टवेयर के माध्यम से अपलोड कर दें।
ग्राहकों का बचेगा समय
- अभी तक आरटीओ दफ्तर से जारी होने वाले नंबर के लिए 15 से 20 दिन का इंतजार करना पड़ता था। अब वाहन लेते ही डीलर सभी कागजात पूर्व की तरह वाहन-4 सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर देंगे। अपलोड करते ही नबंर अलॉट हो जाएगा। वीआईपी नंबर के लिए अलग से कैटेगरी रहेगी। नंबर जारी होते ही हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का ऑर्डर कर दिया जाएगा। तीन दिन में नंबर प्लेट आते ही गाड़ी पर लगाई जाएगी और फोटो अपलोड किया जाएगा। सभी दस्तावेजों के मिलान पर आरसी जारी हो जाएगी। इससे अब 20 दिनों में मिलने वाली नंबर प्लेट छह से सात दिन में ही मिलने लगेगी।
आधार प्रमाणीकरण बनेगा समस्या की जड़
- नई प्रक्रिया लागू होने से जिस प्रकार ग्राहकों को सहूलियत मिलने वाली है, उसी तरह आधार प्रमाणीकरण समस्या बन सकता है। ग्राहक की जानकारी डीलर साफ्टवेयर में अपलोड करेंगे तो आधार प्रमाणीकरण के लिए ओटीपी आएगा। अगर ग्राहक का आधार अपडेट नहीं है, फोन नंबर खो गया है या बदल गया है तो ओटोपी जारी नहीं होगा। जबकि फाइल अपलोड होने के बाद कागजात जमा करने और नंबर जारी करने की एक तिथि मिल जाएगी। तय तिथि से आगे प्रक्रिया होने पर जुर्माना लग जाएगा। इससे ग्राहकों और डीलरों की समस्या तो बढ़ेगी ही, साथ ही विवाद भी उत्पन्न होंगे।