अमांपुर (कासगंज)। क्षेत्रीय सहकारी समिति और इफ्को के केंद्रों पर डीएपी के लिए किसानों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही हैं। किसानों को डीएपी के लिए घंटो इंतजार करना पड़ रहा हैं। यूरिया के लिए भी परेशानी बढ़ रही है।
रबी की फसलों के लिए गेहूं की बुवाई का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसको लेकर किसानों को डीएपी की आवश्यकता हैं। इसके अतिरिक्त जिन्होंने अगैती गेहूं, आलू और तंबाकू की फसल की बुवाई की, उन्हें अब यूरिया की भी आवश्यकता होने लगी है। समितियों पर जैसे ही डीएपी पहुंचती हैं, वैसे ही उसका वितरण हो जाता हैं। सहकारी समितियों पर डीएपी की कमी का लाभ निजी खाद विक्रेता भी उठा रहे हैं। उनके द्वारा निर्धारित रेट से अधिक पर डीएपी की बिक्री की जा रही हैं। किसान डीएपी की जरूरत होने के कारण मजबूरी में अधिक मूल्य पर डीएपी खाद खरीदने को मजबूर हैं। यूरिया की भी किसानों ने अभी से खरीदना शुरू कर दिया हैं, उन्हें लग रहा है कि डीएपी की तरह यूरिया के लिए भी दिक्कतें न झेलनी पड़ीं, जिसके चलते यूरिया को लेकर भी किल्लत देखने को मिलनी लगी है। कई बार तो पुलिस को खाद वितरण केंद्रों पर पहुंचकर व्यवस्थाएं बनानी होती हैं।
- गेहूं की बुवाई के लिए खेतों को तैयार किया है। लेकिन डीएपी के लिए काफी दिक्कतें हो रही हैं। कहीं पर खाद नहीं है और जहां खाद हैं वहां लाइनें लगाती होती हैं। - नरेश कुमार, जाटऊ
- समिति पर पहुंचने के बाद घंटो इंतजार करने के बाद ही डीएपी मिल पा रही है। यूरिया के लिए भी किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
-विनोद कुमार वर्मा, लखमीपुर
इफ्को पर शुक्रवार को ही 135 एमटी डीएपी आई है। जितना हो सकता है, उतना डीएपी का वितरण कराया जा रहा है। यूरिया भी 1300 एमटी पहुंच चुकी है। किसानों को दिक्कतें नहीं होने दी जाएंगी। - सुमित कुमार चौहान, जिला कृषि अधिकारी।
अमांपुर (कासगंज)। क्षेत्रीय सहकारी समिति और इफ्को के केंद्रों पर डीएपी के लिए किसानों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही हैं। किसानों को डीएपी के लिए घंटो इंतजार करना पड़ रहा हैं। यूरिया के लिए भी परेशानी बढ़ रही है।
रबी की फसलों के लिए गेहूं की बुवाई का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसको लेकर किसानों को डीएपी की आवश्यकता हैं। इसके अतिरिक्त जिन्होंने अगैती गेहूं, आलू और तंबाकू की फसल की बुवाई की, उन्हें अब यूरिया की भी आवश्यकता होने लगी है। समितियों पर जैसे ही डीएपी पहुंचती हैं, वैसे ही उसका वितरण हो जाता हैं। सहकारी समितियों पर डीएपी की कमी का लाभ निजी खाद विक्रेता भी उठा रहे हैं। उनके द्वारा निर्धारित रेट से अधिक पर डीएपी की बिक्री की जा रही हैं। किसान डीएपी की जरूरत होने के कारण मजबूरी में अधिक मूल्य पर डीएपी खाद खरीदने को मजबूर हैं। यूरिया की भी किसानों ने अभी से खरीदना शुरू कर दिया हैं, उन्हें लग रहा है कि डीएपी की तरह यूरिया के लिए भी दिक्कतें न झेलनी पड़ीं, जिसके चलते यूरिया को लेकर भी किल्लत देखने को मिलनी लगी है। कई बार तो पुलिस को खाद वितरण केंद्रों पर पहुंचकर व्यवस्थाएं बनानी होती हैं।
- गेहूं की बुवाई के लिए खेतों को तैयार किया है। लेकिन डीएपी के लिए काफी दिक्कतें हो रही हैं। कहीं पर खाद नहीं है और जहां खाद हैं वहां लाइनें लगाती होती हैं। - नरेश कुमार, जाटऊ
- समिति पर पहुंचने के बाद घंटो इंतजार करने के बाद ही डीएपी मिल पा रही है। यूरिया के लिए भी किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
-विनोद कुमार वर्मा, लखमीपुर
इफ्को पर शुक्रवार को ही 135 एमटी डीएपी आई है। जितना हो सकता है, उतना डीएपी का वितरण कराया जा रहा है। यूरिया भी 1300 एमटी पहुंच चुकी है। किसानों को दिक्कतें नहीं होने दी जाएंगी। - सुमित कुमार चौहान, जिला कृषि अधिकारी।