हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण के विरोध में सोमवार को बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर आठ गांवों के प्रभावितों ने खेतों में काम करते हुए हाथों में पोस्टर लेकर विरोध जताया। प्रदेश सरकार से हवाई अड्डे का निर्माण किसी अन्य जगह करने की मांग की गई। विरोध प्रदर्शन में बल्ह घाटी के कुम्मी, छात्रू, टावां, सियांह, ढाबन, भौर, डीनक और दुगराई में किए गए विरोध प्रदर्शन में प्रभावितों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगिंद्र वालिया ने कहा कि प्रस्तावित हवाई अड्डे का विरोध दरकिनार किया जा रहा है। आठ में से 6 गांवों में दलित, ओबीसी, मुस्लिम आबादी 75 प्रतिशत से अधिक है।
अधिकतर किसान भूमिहीन हो जाएंगे। खेतों में पैदावार उगाकर रोजी-रोटी कमा रहे दो हजार परिवार रोजगार विहीन एवं विस्थापित होंगे। इतनी घनी आबादी को पुनर्स्थापित करने के लिए सरकार के पास कोई वैकल्पिक योजना नहीं है। समिति के उपप्रधान प्रेम दास चौधरी ने कहा कि प्रस्तावित हवाई क्षेत्र में जमीन के सर्कल रेट इतने कम हैं कि भूमि कोड़ियों के भाव जाएगी। किसान 3-4 लाख प्रति बीघा नकदी फसलों से प्रति वर्ष कमा रहा है। समिति के सचिव नंद लाल वर्मा ने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को पूरी तरह लागू नहीं कर रही है।
समिति उपप्रधान गुलाम रसूल ने मांग की है कि प्रस्तावित हवाई अड्डे को गैर उपजाऊ जमीन पर बनाया जाए। सोमवार को विभिन्न गांवों में किसानों के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। इनमें कुम्मी में भवानी सिंह, जरलू में हरीराम, टावां में प्रेम चंद, प्रेम दास, श्याम लाल, दिले राम, अमर सिंह, गांव-स्यांह में नंद लाल, जयराम, सरवन चौधरी, गौरजा देवी, विद्या, नीलम, इंदिरा, ईशानी, अनवी, इशू, डीनक में हलीम अंसारी, गुलाम रसूल, दुगराई में चुनी लाल, रोशन लाल, भुवनेश्वर, ढाबन में किशन सैनी, राज सैनी, बलवंत, भौर गांव में जोगिंद्र वालिया और गुरिया राम आदि किसानों ने प्रदर्शन में भाग लिया।
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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण के विरोध में सोमवार को बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर आठ गांवों के प्रभावितों ने खेतों में काम करते हुए हाथों में पोस्टर लेकर विरोध जताया। प्रदेश सरकार से हवाई अड्डे का निर्माण किसी अन्य जगह करने की मांग की गई। विरोध प्रदर्शन में बल्ह घाटी के कुम्मी, छात्रू, टावां, सियांह, ढाबन, भौर, डीनक और दुगराई में किए गए विरोध प्रदर्शन में प्रभावितों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगिंद्र वालिया ने कहा कि प्रस्तावित हवाई अड्डे का विरोध दरकिनार किया जा रहा है। आठ में से 6 गांवों में दलित, ओबीसी, मुस्लिम आबादी 75 प्रतिशत से अधिक है।
अधिकतर किसान भूमिहीन हो जाएंगे। खेतों में पैदावार उगाकर रोजी-रोटी कमा रहे दो हजार परिवार रोजगार विहीन एवं विस्थापित होंगे। इतनी घनी आबादी को पुनर्स्थापित करने के लिए सरकार के पास कोई वैकल्पिक योजना नहीं है। समिति के उपप्रधान प्रेम दास चौधरी ने कहा कि प्रस्तावित हवाई क्षेत्र में जमीन के सर्कल रेट इतने कम हैं कि भूमि कोड़ियों के भाव जाएगी। किसान 3-4 लाख प्रति बीघा नकदी फसलों से प्रति वर्ष कमा रहा है। समिति के सचिव नंद लाल वर्मा ने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को पूरी तरह लागू नहीं कर रही है।
समिति उपप्रधान गुलाम रसूल ने मांग की है कि प्रस्तावित हवाई अड्डे को गैर उपजाऊ जमीन पर बनाया जाए। सोमवार को विभिन्न गांवों में किसानों के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। इनमें कुम्मी में भवानी सिंह, जरलू में हरीराम, टावां में प्रेम चंद, प्रेम दास, श्याम लाल, दिले राम, अमर सिंह, गांव-स्यांह में नंद लाल, जयराम, सरवन चौधरी, गौरजा देवी, विद्या, नीलम, इंदिरा, ईशानी, अनवी, इशू, डीनक में हलीम अंसारी, गुलाम रसूल, दुगराई में चुनी लाल, रोशन लाल, भुवनेश्वर, ढाबन में किशन सैनी, राज सैनी, बलवंत, भौर गांव में जोगिंद्र वालिया और गुरिया राम आदि किसानों ने प्रदर्शन में भाग लिया।