धर्मशाला कॉलेज में युवा महोत्सव में जिस आवाज को नकार दिया गया था, वही आवाज बाद में हिमाचली लोक गायकी की पहचान बन गई। उसके बाद लोक गायक करनैल राणा अब तक 250 से अधिक एलबम में अपनी आवाज दे चुके हैं।
वहीं, उन्होंने डेढ़ हजार से अधिक गीत गाए हैं। करनैल राणा के मुताबिक धर्मशाला कॉलेज में युवा महोत्सव में उन्होंने आंखें बंद कर डाडे दिए बेड़िए गीत गाया था। गाना खत्म होने के बाद देखा तो सभागार खाली हो गया था। सभी चले गए थे।
ऐसे में उन्हें बहुत बुरा लगा, लेकिन उत्तर प्रदेश के रहने वाले उनके एक दोस्त ने गाने की तारीफ की तो थोड़ा हौसला आया। शुरुआती दौर में लोग फब्तियां कसते थे और बहुत बुराई करते थे कि यह कैसे गाता है, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
उन्होंने बताया कि जब वे चौथी कक्षा में थे तो बाल सभा में गाना गया था। इस दौरान अध्यापकों ने सभी कक्षाओं में ले जाकर बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उनसे गीत गवाए थे।
कहते हैं कि एक बार पिता के सामने हिंदी गीत गाया तो उन्होंने लोकगीत सुनने की फरमाइश की। लोकगीत सुनने के बाद पिता ने यही गीत ही गाने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने लोकगीत गाना शुरू किया।