दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सड़क, जल, रेल और हवाई सेवाओं के जरिए आधुनिक काशी की तस्वीर ट्रांसपोर्टेशन हब के रुप में सामने आई है। पाइप नेचुरल गैस (पीएनजी) से जहां हजारों परिवार की रसोई सुरक्षित हुई तो आईपीडीएस ने पुरानी काशी को बिजली के तारों के जंजाल से मुक्त कराया। बदलते बनारस को देखने और जानने के लिए देश ही नहीं दुनिया भर से पर्यटक पहुंचे तो बाबतपुर एयरपोर्ट पर विमानों की संख्या में भी इजाफा हुआ। काशी दर्शन के लिए गंगा में क्रूज संचालन और हेलीकाप्टर को भी मंजूरी ने विकास की नई उम्मीद जगाई है। आगे की स्लाइड्स में देखें....
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए सुविधा का रास्ता बन रहा है तो फसाड व फोकस लाइट ने शहर को नया लुक दिया है। कुल मिलाकर वर्ष 2018 में वाराणसी की कई उम्मीदें धरातल पर उतरी और कई ख्वाबों को पंख भी लगे हैं।जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि बनारस के विकास परियोजनाओं को पूरा कराना हमारी प्राथमिकता है। जिन परियोजनाओं पर काम चल रहा है उसकी समीक्षा प्रतिदिन की जा रही है और रुकी परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
वर्षो पुरानी एक हजार करोड़ की बाबतपुर फोरलेन और रिंग रोड परियोजना ने सुस्त पड़ी यातायात व्यवस्था को रफ्तार दी है। ढाई साल में बनी दोनों सड़कें लोगों की सुविधा का माध्यम बनी है। 148 करोड़ रुपये की सिटी कमांड कंट्रोल सिस्टम की शुरुआत से शहर की यातायात व्यवस्था सुधर रही है तो मंडुवाडीह फ्लाईओवर ने जाम से निपटने का रास्ता दिखाया।
देश की किसी भी नदी में पहली पर शुरू हुई जल परिवहन की भी साक्षी काशी बनी और व्यापार के लिए विशेष माने जाने वाले फ्रेट विलेज की उम्मीद फिर से जगी। कैबिनेट ने गंगा में क्रूज संचालन और हेलीकाप्टर से काशी दर्शन को मंजूरी देकर काशी के पर्यटन को ऊंचाई देने की कोशिश की है।
नमामि गंगे परियोजना के तहत 186 करोड़ की लागत से तैयार दीनापुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के शुरु होने से गंगा में प्रदूषण रोेकने की पहल हुई। इसके अलावा ट्रांस वरूणा में पंपिंग स्टेशन, सीवर कनेक्शन से गंगा प्रदूषण में कमी आई है। शहर के पार्को और चौराहों का सौंदर्यीकरण, प्रमुख भवनों में लाइटिंग से भी काशी की खूबसूरती में चार चांद लगे हैं।