काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव ने मंगलवार को भोर में मंगला आरती के दौरान अपना कलेवर (चोला) छोड़ा दिया। मान्यतानुसार, बाबा अपना कलेवर तब छोड़ते हैं जबकि धरती की किसी आपदा को खुद पर झेलते हैं।
उधर, बाबा काल भैरव के कलेवर छोड़ने की जानकारी जब लोगों को हुई तो मंदिर प्रांगण से लेकर गंगाघाट तक घण्ट-घड़ियाल, डमरू और शंखनाद गूंजने लगा। मंदिर के महंत सुमित उपाध्याय ने बताया कि सुबह बाबा के भारी भरकम कलेवर को लाल कपड़े में बांधकर कंधे और सिर पर उठाकर पंचगंगा घाट पर विसर्जित कर दिया गया।
उधर, बाबा काल भैरव के कलेवर छोड़ने की जानकारी जब लोगों को हुई तो मंदिर प्रांगण से लेकर गंगाघाट तक घण्ट-घड़ियाल, डमरू और शंखनाद गूंजने लगा। मंदिर के महंत सुमित उपाध्याय ने बताया कि सुबह बाबा के भारी भरकम कलेवर को लाल कपड़े में बांधकर कंधे और सिर पर उठाकर पंचगंगा घाट पर विसर्जित कर दिया गया।