दुष्कर्म के आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर की जेल में मदद करने वाले सीबीआई के निशाने पर हैं। सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि सीतापुर जेल में बंद विधायक कुलदीप सेंगर और लखनऊ जेल में बंद उनके भाई अतुल सेंगर से कौन-कौन लोग कितनी बार मिलने गया। इन मुलाकातों को कराने में कौन-कौन से जेल कर्मियों ने मदद की। जेल में मोबाइल व अन्य सुविधाएं मुहैया कराने में पूर्व में उन्नाव जेल में तैनात रहे एक बंदीरक्षक की भी अहम भूमिका रही है।
दुष्कर्म पीड़िता के रायबरेली जिले में हुए हादसे की कड़ियों को जोड़ने में जुटी सीबीआई अब यह पता लगा रही है कि सीतापुर जेल में बंद विधायक कुलदीप सेंगर और लखनऊ जेल में बंद उनके भाई अतुल सेंगर से कौन-कौन लोग कितनी बार मिले। जेल में रहने के दौरान विधायक को मोबाइल फोन उपलब्ध कराने वालों में कुछ संदिग्धों को चिह्नित किया है। 14 अगस्त को सीबीआई ने सीतापुर जेल में कुछ कर्मचारियों से पूछताछ की थी। इनमें एक बंदीरक्षक भी शामिल है। मालूम हो कि विधायक कुलदीप सेंगर पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज होने के बाद उन्हें व मुकदमे में सह आरोपी शशि सिंह को उन्नाव जेल में रखा गया था। पीड़िता के चाचा ने विधायक को जेल में घर जैसी सुविधाएं मुहैया कराने का आरोप लगाया था।
उन्नाव जेल में रहने के दौरान एक बंदी रक्षक पर विधायक को भोजन, बिस्तर और मोबाइल जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के आरोप लगे थे। चाचा ने इस बंदी रक्षक पर भाई (पीड़िता के पिता) के जेल में बंद होने के दौरान मारपीट करने का भी शक जताया था। आरोपों को देखते हुए जेल प्रशासन ने बंदीरक्षक का मई 2018 में ललितपुर जिला तबादला कर दिया था। सीतापुर जेल में विधायक के मददगारों में एक नाम वहां तैनात अमर सिंह का भी है।
पीड़िता व चाचा की आपत्ति पर विधायक को भेजा था सीतापुर
सूत्रों के मुताबिक वह उन्नाव जिले का ही रहने वाला है। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने उन्नाव जेल के भी कुछ कर्मचारियों को चिह्नित किया है। यह वह कर्मचारी हैं जो अप्रैल 2018 में पीड़िता के पिता के बंद रहने और उसकी मौत के बाद विधायक के जेल में बंद होने के दौरान भी यहीं तैनात थे। विधायक पर दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सीबीआई के रिमांड पर लेने के बाद उन्नाव में रखा गया था।
27 अप्रैल 2018 को पीड़िता ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया था कि विधायक को अगर उन्नाव जेल में रखा गया तो वह पूरे परिवार को मरवा देंगे। पीड़िता के चाचा ने बताया था कि उन्नाव जेल विधायक के लिए घर जैसा है। क्योंकि उनके शहर स्थित घर और जेल के बीच केवल बाउंड्रीवाल का अंतर है। पीड़िता और उसके चाचा की आपत्ति के बाद 8 मई 2018 को विधायक और सह आरोपी शशि सिंह को सीबीआई ने सीतापुर जेल में शिफ्ट किया था।