चित्रकूट जिले के मऊ थाना क्षेत्र के शेषा सुबकरा गांव की कबूतरी की उम्र महज 12 साल की है। जब उसने आधी रात को मां श्यामपति के चिल्लाने की आवाज सुनी, तो उसकी नींद टूटी। सामने का नजारा देख वह सिहर गई। पूरा शरीर उसका कांपने लगा और पिता को रक्तरंजित कुल्हाड़ी लिए देखा, तो कोने में दुबक गई।
इसके बाद वह चुपचाप निकलकर पड़ोस में रहने वाले दादा के घर पहुंची। उसने चिल्ला चिल्लाकर दरवाजा खुलवाया, तो यह सुनकर आसपास के लोगों की भी नींद खुल गई। पूरे घटनाक्रम में लगभग एक घंटे तक मौजूद सभी लोगों की घिग्गी बंधी रही। सभी सन्न थे कि आखिर लालचंद्र इतनी बड़ी घटना को कैसे अंजाम दे दिया।
कबूतरी के दादा हरिशचंद्र ने बताया कि लगभग दस मिनट तक वह कांपती हुई, गोद में चिपकी रही। उसके गले से बोल नहीं निकल रहे थे। हाथ के इशारे से अपने घर की ओर जाने के लिए कहा। वहां पहुंचकर देखा तो सब सन्न रह गए। इसी बीच कुल्हाड़ी लिए हत्यारा छोटे बेटे को गोद में लेकर भागने का प्रयास कर रहा था।
इसके बाद वह चुपचाप निकलकर पड़ोस में रहने वाले दादा के घर पहुंची। उसने चिल्ला चिल्लाकर दरवाजा खुलवाया, तो यह सुनकर आसपास के लोगों की भी नींद खुल गई। पूरे घटनाक्रम में लगभग एक घंटे तक मौजूद सभी लोगों की घिग्गी बंधी रही। सभी सन्न थे कि आखिर लालचंद्र इतनी बड़ी घटना को कैसे अंजाम दे दिया।
कबूतरी के दादा हरिशचंद्र ने बताया कि लगभग दस मिनट तक वह कांपती हुई, गोद में चिपकी रही। उसके गले से बोल नहीं निकल रहे थे। हाथ के इशारे से अपने घर की ओर जाने के लिए कहा। वहां पहुंचकर देखा तो सब सन्न रह गए। इसी बीच कुल्हाड़ी लिए हत्यारा छोटे बेटे को गोद में लेकर भागने का प्रयास कर रहा था।