भारत का पारंपरिक खेल मल्लखंभ ताजनगरी में अपने पुराने वजूद को तलाश रहा है। यह प्रयास काफी हद तक कामयाब भी होता जा रहा है। शहर में तीन साल में खिलाड़ियों की संख्या 60 से बढ़कर 150 तक पहुंच गई है। पोल मल्लखंभ पर करतब जहां नए बच्चों को काफी लुभा रहा है, वहीं रस्सी के करतब उदयीमान खिलाड़ियों को नई पहचान दे रहे हैं।
जिला मल्लखंभ संघ के सचिव अभिषेक भटनागर का कहना है कि तीन साल पहले जिले में मल्लखंभ के खिलाड़ियों की संख्या 60 के आसपास थी। इस साल इन खिलाड़ियों की संख्या 150 का आंकड़ा पार कर चुकी है। जिला मल्लखंभ संघ के उपाध्यक्ष रीनेश मित्तल का कहना है कि स्कूलों में मल्लखंभ लोकप्रिय हो रहा है। यही कारण है कि पांच वर्षों में जिले में मल्लखंभ सिखाने वाले स्कूलों की संख्या 9 से 24 तक पहुंच गई। भारत का पारंपरिक खेल होने और केंद्र व राज्य सरकार की खेल नीतियों के कारण मल्लखंभ के खिलाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
जिला मल्लखंभ संघ के सचिव अभिषेक भटनागर का कहना है कि तीन साल पहले जिले में मल्लखंभ के खिलाड़ियों की संख्या 60 के आसपास थी। इस साल इन खिलाड़ियों की संख्या 150 का आंकड़ा पार कर चुकी है। जिला मल्लखंभ संघ के उपाध्यक्ष रीनेश मित्तल का कहना है कि स्कूलों में मल्लखंभ लोकप्रिय हो रहा है। यही कारण है कि पांच वर्षों में जिले में मल्लखंभ सिखाने वाले स्कूलों की संख्या 9 से 24 तक पहुंच गई। भारत का पारंपरिक खेल होने और केंद्र व राज्य सरकार की खेल नीतियों के कारण मल्लखंभ के खिलाड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।