आगरा में शनिवार को मणप्पुरम गोल्ड कंपनी के ऑफिस से सोना लूटकर भागते समय मुठभेड़ में मारा गया बदमाश मनीष पांडेय पुलिस में भर्ती होना चाहता था। उसने सात साल पहले मध्य प्रदेश पुलिस की दरोगा भर्ती परीक्षा पास कर ली थी। मगर, हत्या के मुकदमे में जेल चला गया। इस कारण दरोगा नहीं बन सका। अब कई दिनों से काम नहीं था। उसने जुर्म की राह पकड़ ली। रविवार को बेटे की मौत पर पोस्टमार्टम हाउस पर आए पिता शिवशंकर ने यह जानकारी दी। सोना लूटकर भाग रहा जैन नगर खेड़ा, थाना उत्तर, फिरोजाबाद निवासी मनीष पांडेय (30) पुत्र शिवशंकर मुठभेड़ में मार गिराया गया था। परिजनों को टीवी चैनल के माध्यम से एत्मादपुर में मुठभेड़ में मनीष की मौत की जानकारी मिली थी। इस पर परिजन रविवार को पोस्टमार्टम हाउस पर आए।
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मनीष के पिता शिवशंकर ने बताया कि उनके तीन बेटे आशीष, मनीष और सतीश हैं। सतीश की दो साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। आशीष फिजियोथैरेपिस्ट है। मनीष पढ़ाई में काफी अच्छा था। उसने दसवीं से लेकर बीएससी तक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी।
मनीष ने वर्ष 2013-14 में मध्य प्रदेश पुलिस में दरोगा भर्ती की परीक्षा दी थी। तब उसने परीक्षा पास कर ली थी। उसका चयन हो गया था। मगर, वर्ष 2014 में मोहल्ले के मुकेश नामक युवक की हत्या हुई। इसमें मनीष को नामजद किया गया। इस कारण उसे जेल जाना पड़ा। वह तीन महीने तक जेल में रहा। उस पर तीन मुकदमे दर्ज किए गए। मुकदमे में नाम आने के कारण वह दरोगा में भर्ती नहीं हो सका।
इसके बाद मनीष लखनऊ की आउट सोर्स कंपनी में काम कर रहा था। कोरोना की दूसरी लहर में काम मिलना बंद हो गया। वह घर पर ही रह रहा था। शनिवार को परिजनों को बताया कि वह काम से मेरठ जा रहा है। सुबह छह बजे घर से निकल गया।
परिजनों को नहीं पता था कि बेटा बदमाशों के संपर्क में कैसे आया, उसे पुलिस ने कब मारा। बदमाश नरेंद्र उर्फलाला को भी परिजन नहीं जानते हैं। उन्हें पुलिस से नाम के बारे में पता चला। मनीष की शादी तीन साल पहले रितु से हुई थी। उसकी दो साल की बेटी है। मां मिथलेश हैं। परिवार में कोहराम मचा हुआ है।