अमेरिका में भारतीय महावाणिज्यदूत संदीप चक्रवर्ती की तरफ से कश्मीर घाटी की तुलना इस्राइल के गठन से किए जाने से कश्मीरी पंडितों में उबाल है। उनका कहना है कि सरकार कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम तो नहीं उठा रही है, लेकिन दो समुदायों में मतभेद पैदा करने का काम कर रही है। चेताया कि यदि जरूरत पड़ी तो कश्मीरी विस्थापित भाजपा की विचारधारा का विरोध करेंगे।
रिकॉन्सिलिएशन, रिटर्न एंड रिहैबिलिटेशन ऑफ जम्मू-कश्मीर माइग्रेंट के चेयरमैन सतीश महलदार ने कहा कि कश्मीरी पंडित इस बयान का कड़ा विरोध करते हैं। 1990 से पहले कश्मीरी एक समाज में एक साथ रहते थे। हमारी भाषा, संस्कृति सब एक जैसी ही थी। महावाणिज्यदूत के बयान में उनकी विचित्र और संकीर्ण मानसिकता झलक रही है। अगर भाजपा सरकार के नेतृत्व में एनडीए सरकार भी यही सोच रखती है तो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मौजूदा सरकार कश्मीरी पंडित समुदाय की दुर्दशा का फायदा उठा रही है। जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान से लड़ने की बात आती है तब भारत कश्मीरी पंडितों को हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। लेकिन जब असल में कुछ करने की बात आती है तो कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के मुद्दे को हमेशा से नजरअंदाज किया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार अंतर समुदाय संवाद और पारस्परिक विचार-विमर्श के लिए कुछ भी नहीं कर रही है। लेकिन इस तरह के बयान देकर दो समुदायों में मतभेद पैदा करने का काम कर रही है।
महलदार ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि वे माइग्रेंट लोगों के पुनर्वास के लिए जल्द ही कोई ठोस कदम उठाए। इसके साथ ही इस तरह के बयानों पर भी रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं की गई तो पूरे भारत में कश्मीरी माइग्रेंट भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का विरोध करेंगे।
क्या कहा था महावाणिज्यदूत ने
महावाणिज्यदूत संदीप चक्रवर्ती ने कश्मीरी पंडितों के समूह की मौजूदगी वाले निजी समारोह में कहा कि वे जल्द ही घाटी में लौट सकते हैं, क्योंकि जब इस्राइली लोग ऐसा कर सकते हैं, हम भी ऐसा कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने ‘इस्राइली मॉडल’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा से जुड़े हालात सुधरेंगे।