निर्भया के दोषियों के परिजनों ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। परिजनों ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि जब उनके बेटों की दया याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं तो उनके पास अब मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं है, चूंकि उनके बेटे ही उनका सहारा है। मांगपत्र की प्रति को दोषियों की ओर से निर्भया के माता-पिता को भी भेजी गई है।
पत्र में सबसे पहले मुकेश कुमार और जेल में फंदा लगाकर खुदकुशी करने वाले रामसिंह की विधवा मां राम बाई (70) और 10 वर्षीय बेटे सूरज की ओर से इच्छा मृत्यु की मांग की गई है। मुकेश की मां ने राष्ट्रपति से कहा कि मुकेश द्वारा भेजे जाने वाले पैसों और विधवा पेंशन से वह अपना और पोते का भरण पोषण करती हैं। उनके पति भी बेटे राम सिंह की मौत और मुकेश के जेल में बंद होने के गम में 2017 में दुनिया को छोड़ गए। रामबाई अपने पोते के साथ जे-49 रविदास कैंप, सेक्टर-3 आरके पुरम में रहती है।
वहीं, दोषी पवन के पिता हीरा लाल (55), मां इंद्रा देवी (49), बहन भारती (29) और शीतल (22) ने भी पत्र लिखकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है। इनका परिवार ए64, रविदास कैंप सेक्टर 3 आरके पुरम में रहता है। पवन ने पिता ने याचिका में कहा कि जब यह घटना हुई तक उनका बेटा नाबालिग था, लेकिन उनके बेटे को नाबालिग नहीं माना गया। उन्होंने कहा कि उनकी दोनों बेटियां शादी योग्य हैं और घर में कमाने वाला कोई नहीं है। इसलिए उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए ताकि पवन को फांसी होने के बाद उन्हें दर दर भटकना नहीं पड़े।
दोषी विनय शर्मा के पिता हरी राम शर्मा (44), मां चंपा देवी (42), बहन इल्लू कुमारी (23) और मंजू कुमारी (21) ने भी राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है। विनय के पिता ने कहा कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है और विनय ही उनका परिवार का सहारा था। अगर विनय की फांसी की सजा को उम्रकैद में नहीं बदला जा सकता तो उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।
निर्भया के दोषी अक्षय कुमार के पिता सरयू सिंह (70), मालती देवी (65) और बेटा प्रियांशु (8) ने भी राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है। उनका परिवार औरंगाबाद, बिहार में रहता है। उन्होंने भी यही दलील दी है कि उनकी जमा पूंजी केस पर खर्च हो चुकी है और अब उनके परिवार के पास दो वक्त की रोटी खाने का भी जरिया नहीं है। अक्षय का मासूम बेटा भी उनके साथ ही रहता और अपने पिता की मौत के बाद मासूम बच्चे का भविष्य भी अंधकार में चला जाएगा। इसलिए उन्होंने अपील की है कि या तो उनके बेटे की सजा को कम करके उम्रकैद में बदला जाए या फिर उनके परिवार को भी इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।