नादौन। प्राथमिक अस्पताल नादौन का दर्जा बढ़ाकर इसे सिविल अस्पताल तो बना दिया है, लेकिन यहां मरीजों का मर्ज अभी तक कम नहीं हुआ। यहां पर रोजाना 130 से 150 तक की ओपीडी है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने करोड़ों का बजट खर्च कर यहां पर पांच मंजिला अस्पताल भवन भी बनाया है, लेकिन वर्तमान में दो ही मंजिल प्रयोग में लाई जा रही हैं। जबकि, तीन मंजिलों में कोई आवाजाही नहीं है। अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। वर्तमान में इस अस्पताल में उतना ही स्टाफ है, जितना प्राथमिक अस्पताल के समय था। इस पांच मंजिला भवन में बीएमओ समेत महज सात चिकित्सक और छह नर्सें सेवाएं दे रही हैं।
विधानसभा क्षेत्र की 59 ग्राम पंचायतों के अलावा कांगड़ा जिला से सटे मझीण और अन्य पंचायतों के लोग भी उपचार के लिए यहीं आते हैं। जिसके चलते यहां पर पंद्रह चिकित्सकों और 10 नर्सों की आवश्यकता है। इस सिविल अस्पताल में वर्तमान में एक्सरे की सुविधा तक नहीं। यहां लाखों रुपये खर्च कर अल्ट्रासाउंड मशीन तो स्थापित की गई है, लेकिन इसे ऑपरेट करने वाला कोई नहीं। हमीरपुर से हफ्ते में एक दिन विशेषज्ञ यहां आकर सेवाएं देता है। जिसके चलते गर्भवती महिलाओं और इमरजेंसी में भर्ती होने वाले मरीजों को मेडिकल कॉलेज या निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। अस्पताल में वरिष्ठ सहायक का पद भी खाली है। जिसके चलते कार्यालयी कामकाज निपटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
भोरंज भी सिविल अस्पताल-
भोरंज में भी सिविल अस्पताल है, लेकिन यहां पर विशेषज्ञ समेत कुल 13 चिकित्सक और 11 स्टाफ नर्सें हैं। अन्य पद भी भरे हुए हैं तो सिविल अस्पताल नादौन में केवल सात चिकित्सक क्यों। ऐसे कई सवाल हैं, जो नादौन विधानसभा क्षेत्र की जनता समय-समय पर प्रदेश सरकार से पूछ रही है।
क्या कहते हैं मरीज-तीमारदार
नादौन विस क्षेत्र का हैं प्रमुख अस्पताल, मिलनी चाहिए सुविधाएं
अस्पताल में उपचाराधीन संतोष कुमारी का कहना है कि यह अस्पताल नादौन विस क्षेत्र का प्रमुख अस्पताल है। जिसके चलते यहां पर सभी सुविधाएं मरीजों को मिलनी चाहिए। बाथरूम की सफाई भी दिन में चार से पांच बार की जानी चाहिए।
सातों दिन अल्ट्रासाउंड और लैब टेस्ट की सुविधा होनी चाहिए
सुनीता देवी का कहना कि यहां पर सप्ताह के सातों दिन अल्ट्रासाउंड और सभी लैब टेस्ट की सुविधा होनी चाहिए। रोजाना दिन में दो बार डॉक्टरों का दौरा होता है और उपचार सही मिल रहा है, परंतु अल्ट्रासाउंड समेत अन्य टेस्ट करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज हमीरपुर या अन्य अस्पतालों में जाना पड़ जाता है।
दो जिलों से मरीज आते हैं उपचार करवाने
प्यार सिंह ने कहा कि दो जिलों से मरीज यहां उपचार करवाने आते हैं। उस लिहाज से यहां पर सुविधाओं का स्तर बढ़ाया जाना चाहिए। अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे की सुविधा नियमित रूप से मिलनी चाहिए।
बयान-
अस्पताल में सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। आगे भी यहां बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकें।
-डॉ अशोक कौशल, बीएमओ नादौन।
सिविल अस्पताल में कितने चिकित्सक और पैरा मेडिकल स्टाफ होगा, यह सरकार तय करती है। कई अस्पतालों में एक दर्जन चिकित्सक होते हैं तो कइयों में तीन भी होते हैं।
-डॉ. आरके अग्निहोत्री, सीएमओ हमीरपुर।
नादौन। प्राथमिक अस्पताल नादौन का दर्जा बढ़ाकर इसे सिविल अस्पताल तो बना दिया है, लेकिन यहां मरीजों का मर्ज अभी तक कम नहीं हुआ। यहां पर रोजाना 130 से 150 तक की ओपीडी है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने करोड़ों का बजट खर्च कर यहां पर पांच मंजिला अस्पताल भवन भी बनाया है, लेकिन वर्तमान में दो ही मंजिल प्रयोग में लाई जा रही हैं। जबकि, तीन मंजिलों में कोई आवाजाही नहीं है। अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। वर्तमान में इस अस्पताल में उतना ही स्टाफ है, जितना प्राथमिक अस्पताल के समय था। इस पांच मंजिला भवन में बीएमओ समेत महज सात चिकित्सक और छह नर्सें सेवाएं दे रही हैं।
विधानसभा क्षेत्र की 59 ग्राम पंचायतों के अलावा कांगड़ा जिला से सटे मझीण और अन्य पंचायतों के लोग भी उपचार के लिए यहीं आते हैं। जिसके चलते यहां पर पंद्रह चिकित्सकों और 10 नर्सों की आवश्यकता है। इस सिविल अस्पताल में वर्तमान में एक्सरे की सुविधा तक नहीं। यहां लाखों रुपये खर्च कर अल्ट्रासाउंड मशीन तो स्थापित की गई है, लेकिन इसे ऑपरेट करने वाला कोई नहीं। हमीरपुर से हफ्ते में एक दिन विशेषज्ञ यहां आकर सेवाएं देता है। जिसके चलते गर्भवती महिलाओं और इमरजेंसी में भर्ती होने वाले मरीजों को मेडिकल कॉलेज या निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। अस्पताल में वरिष्ठ सहायक का पद भी खाली है। जिसके चलते कार्यालयी कामकाज निपटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
भोरंज भी सिविल अस्पताल-
भोरंज में भी सिविल अस्पताल है, लेकिन यहां पर विशेषज्ञ समेत कुल 13 चिकित्सक और 11 स्टाफ नर्सें हैं। अन्य पद भी भरे हुए हैं तो सिविल अस्पताल नादौन में केवल सात चिकित्सक क्यों। ऐसे कई सवाल हैं, जो नादौन विधानसभा क्षेत्र की जनता समय-समय पर प्रदेश सरकार से पूछ रही है।
क्या कहते हैं मरीज-तीमारदार
नादौन विस क्षेत्र का हैं प्रमुख अस्पताल, मिलनी चाहिए सुविधाएं
अस्पताल में उपचाराधीन संतोष कुमारी का कहना है कि यह अस्पताल नादौन विस क्षेत्र का प्रमुख अस्पताल है। जिसके चलते यहां पर सभी सुविधाएं मरीजों को मिलनी चाहिए। बाथरूम की सफाई भी दिन में चार से पांच बार की जानी चाहिए।
सातों दिन अल्ट्रासाउंड और लैब टेस्ट की सुविधा होनी चाहिए
सुनीता देवी का कहना कि यहां पर सप्ताह के सातों दिन अल्ट्रासाउंड और सभी लैब टेस्ट की सुविधा होनी चाहिए। रोजाना दिन में दो बार डॉक्टरों का दौरा होता है और उपचार सही मिल रहा है, परंतु अल्ट्रासाउंड समेत अन्य टेस्ट करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज हमीरपुर या अन्य अस्पतालों में जाना पड़ जाता है।
दो जिलों से मरीज आते हैं उपचार करवाने
प्यार सिंह ने कहा कि दो जिलों से मरीज यहां उपचार करवाने आते हैं। उस लिहाज से यहां पर सुविधाओं का स्तर बढ़ाया जाना चाहिए। अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे की सुविधा नियमित रूप से मिलनी चाहिए।
बयान-
अस्पताल में सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। आगे भी यहां बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकें।
-डॉ अशोक कौशल, बीएमओ नादौन।
सिविल अस्पताल में कितने चिकित्सक और पैरा मेडिकल स्टाफ होगा, यह सरकार तय करती है। कई अस्पतालों में एक दर्जन चिकित्सक होते हैं तो कइयों में तीन भी होते हैं।
-डॉ. आरके अग्निहोत्री, सीएमओ हमीरपुर।