माननीयों पर लंबित आपराधिक मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए हरियाणा व पंजाब सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने असंतुष्टि व्यक्त की है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रयास केवल दिखाने के लिए किए जा रहे हैं, न कि इसका प्रभाव क्या होगा, यह देखते हुए। हरियाणा में 16 और पंजाब में 19 मामले अभी भी लंबित हैं। हाईकोर्ट ने अब लंबित मामलों को लेकर 6 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का दोनों राज्यों को आदेश दिया है। हरियाणा सरकार द्वारा हाईकोर्ट को मई में दिए गए हलफनामे में बताया गया कि 44 मामलों में जांच लंबित थी, जो अब केवल 17 मामलों में लंबित है।
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30 मामलों की रिपोर्ट सौंपी जा चुकी
30 मामलों में अंतिम रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है और 7 में चालान सौंपा जा चुका है। 16 माननीयों के खिलाफ लंबित मामलों में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के इस हलफनामे पर असंतुष्टि जता दी। इस पर हरियाणा सरकार ने विश्वास दिलाया कि जिन मामलों में जांच लंबित है, उनकी निगरानी खुद आईजी क्राइम कर रहे हैं। इन मामलों में 6 सप्ताह के भीतर जांच पूरी करने का पूर्ण रूप से प्रयास किया जाएगा।
पंजाब में 19 मामले लंबित
पंजाब के ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के आईजी गुरशरण सिंह संधू ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि पंजाब के पूर्व और मौजूदा सांसदों/विधायकों के खिलाफ अदालतों में 53 केस आए थे। इनमें से 29 केसों में जांच चल रही है और 14 केसों में अनट्रेस/कैंसिलेशन रिपोर्ट अदालतों में दायर की जा चुकी है। इसके साथ ही कुछ के चालान कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं। 19 मामलों की जांच अभी भी लंबित है।
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अगली सुनवाई 10 को होगी
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे जांच के सही पहलू और उसके निष्कर्षों को देखे बिना चीजों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने सुनवाई को अब 10 जनवरी तक टालते हुए अगली सुनवाई पर नई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने अश्वनी कुमार उपाध्याय बनाम केंद्र सरकार मामले में सभी हाईकोर्ट को आदेश दिया था कि पूर्व व मौजूदा सांसदों व विधायकों पर लंबित मामलों का तेजी से निपटारा करने के लिए विशेष अदालतें गठित की जाएं। यह अदालतें हर माह इन मामलों की सुनवाई कर स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेंगी। हाईकोर्ट को हर तीन माह के भीतर एक सुनवाई करनी होगी, जिसमें इन रिपोर्ट का अध्ययन कर आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि मामलों का तेजी से निपटारा हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की मदद के लिए वरिष्ठ वकील को कोर्ट मित्र नियुक्त करने तथा हर सुनवाई पर आईजी स्तर के अधिकारी को कोर्ट में मौजूद रहने का भी निर्देश जारी किया था।
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देशभर में माननीयों पर लंबित हैं हजारों मामले
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि देश की सभी अदालतों में 1765 सांसदों और विधायकों के खिलाफ 3045 आपराधिक केस लंबित हैं। इनमे सबसे अधिक आपराधिक केस उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के मौजूदा व पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ हैं। मिजोरम व मणिपुर जैसे राज्य भी हैं, जहां के किसी भी मौजूदा या पूर्व संसद और विधायकों के खिलाफ कोई भी आपराधिक केस किसी भी अदालत में लंबित नहीं है।
विस्तार
माननीयों पर लंबित आपराधिक मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए हरियाणा व पंजाब सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने असंतुष्टि व्यक्त की है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रयास केवल दिखाने के लिए किए जा रहे हैं, न कि इसका प्रभाव क्या होगा, यह देखते हुए। हरियाणा में 16 और पंजाब में 19 मामले अभी भी लंबित हैं। हाईकोर्ट ने अब लंबित मामलों को लेकर 6 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का दोनों राज्यों को आदेश दिया है। हरियाणा सरकार द्वारा हाईकोर्ट को मई में दिए गए हलफनामे में बताया गया कि 44 मामलों में जांच लंबित थी, जो अब केवल 17 मामलों में लंबित है।
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30 मामलों की रिपोर्ट सौंपी जा चुकी
30 मामलों में अंतिम रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है और 7 में चालान सौंपा जा चुका है। 16 माननीयों के खिलाफ लंबित मामलों में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के इस हलफनामे पर असंतुष्टि जता दी। इस पर हरियाणा सरकार ने विश्वास दिलाया कि जिन मामलों में जांच लंबित है, उनकी निगरानी खुद आईजी क्राइम कर रहे हैं। इन मामलों में 6 सप्ताह के भीतर जांच पूरी करने का पूर्ण रूप से प्रयास किया जाएगा।
पंजाब में 19 मामले लंबित
पंजाब के ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के आईजी गुरशरण सिंह संधू ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि पंजाब के पूर्व और मौजूदा सांसदों/विधायकों के खिलाफ अदालतों में 53 केस आए थे। इनमें से 29 केसों में जांच चल रही है और 14 केसों में अनट्रेस/कैंसिलेशन रिपोर्ट अदालतों में दायर की जा चुकी है। इसके साथ ही कुछ के चालान कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं। 19 मामलों की जांच अभी भी लंबित है।
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इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे जांच के सही पहलू और उसके निष्कर्षों को देखे बिना चीजों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने सुनवाई को अब 10 जनवरी तक टालते हुए अगली सुनवाई पर नई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने अश्वनी कुमार उपाध्याय बनाम केंद्र सरकार मामले में सभी हाईकोर्ट को आदेश दिया था कि पूर्व व मौजूदा सांसदों व विधायकों पर लंबित मामलों का तेजी से निपटारा करने के लिए विशेष अदालतें गठित की जाएं। यह अदालतें हर माह इन मामलों की सुनवाई कर स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेंगी। हाईकोर्ट को हर तीन माह के भीतर एक सुनवाई करनी होगी, जिसमें इन रिपोर्ट का अध्ययन कर आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि मामलों का तेजी से निपटारा हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की मदद के लिए वरिष्ठ वकील को कोर्ट मित्र नियुक्त करने तथा हर सुनवाई पर आईजी स्तर के अधिकारी को कोर्ट में मौजूद रहने का भी निर्देश जारी किया था।
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सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि देश की सभी अदालतों में 1765 सांसदों और विधायकों के खिलाफ 3045 आपराधिक केस लंबित हैं। इनमे सबसे अधिक आपराधिक केस उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के मौजूदा व पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ हैं। मिजोरम व मणिपुर जैसे राज्य भी हैं, जहां के किसी भी मौजूदा या पूर्व संसद और विधायकों के खिलाफ कोई भी आपराधिक केस किसी भी अदालत में लंबित नहीं है।