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Republic day 2023: Inspiring Stories of Persons of Chandigarh doing extraordinary work
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Chandigarh: कोई जरूरतमंदों तो कोई बेजुबान पक्षियों की कर रहा सेवा, मिलिए गणतंत्र के ऐसे प्रहरियों से
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Thu, 26 Jan 2023 03:51 PM IST
सार
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चंडीगढ़ सेक्टर-44 निवासी 77 वर्षीय डॉ. एचपी जिंदल पिछले 22 सालों से श्री रामकृष्ण आश्रम के साथ जुड़कर गरीब और जरूरतमंद मरीजों को निशुल्क परामर्श दे रहे हैं। डॉक्टर जिंदल 2003 में पंजाब सरकार के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त होकर आईएमए चंडीगढ़ के साथ भी जुड़ कर सामाजिक सरोकार के कार्य कर रहे हैं।
प्रिंस मेहरा, प्रनीता और एमएन शुक्ला।
- फोटो : फाइल
चंडीगढ़ के प्रिंस मेहरा पक्षियों की मदद के कारण काफी चर्चित हैं। लोग उन्हें परिंदों का मसीहा भी कहते हैं। वह सड़के किनारे घायल परिंदों का इलाज करते हैं। जिन पक्षियों की मौत हो जाती है, उनका संस्कार भी करते हैं। प्रिंस अब तक सैकड़ों मृत पक्षियों को दफना चुके हैं। साथ ही 1200 पक्षियों का इलाज करवा चुके हैं। इन्हें बर्ड एंबुलेंस मैन भी कहा जाता हैं, क्योंकि जहां कहीं कोई पक्षी घायल होता है वे वहां पहुंचकर उसे प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल ले जाते हैं।
प्रिंस मेहरा साल 2011 में फिरोजपुर की यात्रा कर रहे थे। उन्हें सड़क किनारे एक कूड़ेदान में दो मृत कबूतर मिले जिनकी करंट लगने से मौत हो गई थी। कोई जानवर इन्हें खा न जाए यह सोचते हुए उन्होंने मरे हुए दोनों कबूतरों को उठाया और पास में एक गड्ढे में उन्हें दफना दिया। इस घटना के शहर लौटने के बाद उन्होंने घायल पक्षियों के लिए कुछ करने का फैसला किया। उन्होंने अपनी साइकिल का रूपांतरण कर एक एंबुलेंस सेवा शुरू की और वह पिछले 12 वर्ष से घायल पक्षियों की देखभाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस कार्य में उन्हें काफी संतोष मिलता है।
जरूरतमंद मरीजों को देते हैं निशुल्क इलाज
चंडीगढ़ सेक्टर-44 निवासी 77 वर्षीय डॉ. एचपी जिंदल पिछले 22 सालों से श्री रामकृष्ण आश्रम के साथ जुड़कर गरीब और जरूरतमंद मरीजों को निशुल्क परामर्श दे रहे हैं। रामकृष्ण मिशन आश्रम की मोबाइल मेडिकल यूनिट में वह जगह जगह जाकर मरीजों को बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक करने के साथ ही उनके मर्ज का इलाज भी कर रहे हैं।
इसके अलावा चंडीगढ़ के अति पिछड़े पांच गांव में महीने में हर हफ्ते स्वास्थ्य शिविर लगाकर उस गांव के लोगों को बीमारी बीमारियों से बचाने में जुटे हुए हैं। डॉक्टर जिंदल 2003 में पंजाब सरकार के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त होकर आईएमए चंडीगढ़ के साथ भी जुड़ कर सामाजिक सरोकार के कार्य कर रहे हैं। इनके लिए इनकी उम्र किसी भी कार्य को करने के लिए कभी भी रोड़ा बनकर सामने नहीं आती। उनका एकमात्र उद्देश्य मानवता की सेवा और बीमारियों से बचाव के लिए जागरुकता फैलाना है।
एमएन शुक्ल 20 वर्षों से सिखा रहे योग, जरूरतमंद बच्चों को दे रहे निशुल्क शिक्षा
शिक्षाविद एमएन शुक्ला सेक्टर-49 के एलवी एनक्लेव में रहते हैं। शिक्षा विभाग में अध्यापक के रूप में शहर के विद्यालयों में सेवाएं दीं। सेवानिवृत्त होने के बाद पिछले 16 वर्षों से सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय रूप से भूमिका निभा रहे एमएन शुक्ल सेक्टर- 49 में पिछले 20 वर्षों से निःशुल्क योग की शिक्षा देते आ रहे हैं। इतना ही नहीं मलिन बस्ती में रहने वाले जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। महिलाओं को वर्ल्ड पीस मिशन ट्रस्ट के अधीन निशुल्क सिलाई की शिक्षा दिलवाते है। इनके सहयोग से जरूरतमंद बच्चों तक लेखन सामग्री, कपड़े, जूते चप्पल जैसी जरूरी चीजें भी पहुंच रही हैं। एमएन शुक्ला का कहना है कि अब जीवन का एकमात्र लक्ष्य है जरूरतमंद लोगों की मदद करना है।
मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे विद्यार्थियों के लिए वरदान हैं वैष्णवी
पंजाब यूनिवर्सिटी के यूआईएलएस विभाग की छात्रा वैष्णवी गौर का संघर्ष मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे छात्रों के लिए वरदान साबित हुआ है। उनकी पहल पर पीयू यूआईएलएस में काउंसलर तैनात किया गया है, जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। वैष्णवी 2020 से यूनिवर्सिटी में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता फैलाने का काम कर रही हैं।
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वैष्णवी ने बताया कि मेंटल हेल्थ एक्ट के अनुसार हर शैक्षणिक संस्थान में काउंसलर होने चाहिए, लेकिन यूनिवर्सिटी और कॉलेजों का मानसिक स्वास्थ्य की तरफ ध्यान नहीं है, इसलिए काउंसलर होते ही नहीं है। उन्होंने अपने स्तर पर दो साल पहले इंस्टाग्राम पर ब्रेक द वॉल नाम का पेज बनाया और छात्रों को अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आ रही समस्याओं पर चर्चा करने के लिए प्रेरित किया। अभी तक वह छात्रों की ओर से संदेश किए गए समस्याओं को अपने स्तर पर एनजीओ और अस्पतालों के लिंक देकर हल करवाने की कोशिश कर रही थी। नवंबर, 2022 में उन्होंने विभाग में पहले वर्ष के छात्रों के लिए पहली बार मानसिक स्वास्थ्य को लेकर वर्कशॉप आयोजित की। इसके बाद विभाग से नियमों के अनुसार काउंसलर की भी मांग की जो पूरी हुई।
शिक्षक की नौकरी छोड़ प्रनीता जरूरतमंद बच्चों को बांट रहीं शिक्षा का उपहार
आर्थिक रूप से कमजोर जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा का उपहार बांट रहीं सेक्टर-48 निवासी प्रनीता बिस्वास के लिए उनका यह कार्य ही जीवन का उद्देश्य बन चुका है। शिक्षक रह चुकीं प्रनीता ने 2017 में नौकरी छोड़ उन बच्चों को शिक्षा दिलाने का बीड़ा उठाया। तब से यह क्रम बिना रुके जारी है। इसके लिए खुद की संस्था वृद्धि एजुकेशन इंडिया की शुरुआत की। जहां उन बच्चों को कलात्मक, आत्म सुरक्षा, और कौशल विकास से जुड़ी जानकारी दी जाती है। बच्चों के पुनर्वास के लिए उनके द्वारा बनाई गई चित्रकला, बुनाई और अन्य कलात्मक चीजों को प्रदर्शनियों में भी लगाया जाता है। उनके बच्चे पेक फेस्ट, चंडीगढ़ अर्बन फेस्टिवल से लेकर वॉकेथॉन फॉर कैंसर अवेयरनैस आदि कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं।
ठगी के शिकार युवाओं को न्याय दिलाते हैं वीरेंद्र सिंह
विदेश में पढ़ाई और नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार होने वाले युवाओं के लिए आशा की किरण हैं एडवोकेड वीरेंदर सिंह। वह ऐसे युवाओं की कानूनी लड़ाई लड़ कर उन्हें न्याय दिलाते हैं। खास बात यह है कि वीरेंदर इसके लिए उन बच्चों से कोई शुल्क नहीं लेते।
ट्राइसिटी में इमीग्रेशन से संबंधित लगभग 700 से ज्यादा केस वीरेंदर सिंह के पास हैं। ये केस चंडीगढ़ और पंचकूला की जिला अदालत और हाईकोर्ट में चल रहे हैं। जब कभी कोर्ट में कोई ऐसा युवक ठगी का शिकार होकर पहुंचता है तो अन्य वकील उसे सीधे वीरेंदर सिंह के पास भेज देते हैं। कानूनी लड़ाई लड़ने के साथ ही वीरेंदर सिंह इमीग्रेशन से जुड़े मामलों में आरटीआई भी लगाते हैं।
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