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High Court asked complainant why FIR registered against Yuvraj should not be dismissed
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हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता से पूछा: युवराज सिंह पर दर्ज एफआईआर क्यों न हो खारिज, मुनमुन दत्ता मामले का दिया हवाला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Thu, 25 Nov 2021 11:11 AM IST
सार
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युवराज सिंह पर अनुसूचित जाति पर आपत्तिजनक टिप्पणी का आरोप है। इसको लेकर हरियाणा पुलिस ने मामला दर्ज किया है। अब इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता से पूछा है कि युवराज सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर को क्यों न रद्द किया जाए।
अनुसूचित जाति पर आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में दर्ज एफआईआर मामले में याची के वकील ने बताया कि टीवी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ की मुनमुन दत्ता पर भी ऐसा ही वीडियो डालने पर हांसी में एफआईआर दर्ज हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया था।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अब शिकायतकर्ता हांसी के रजत कलसन से पूछा है क्यों न इसी तर्ज पर युवराज सिंह पर भी दर्ज एफआईआर खारिज कर दी जाए। याचिका दाखिल करते हुए युवराज सिंह ने बताया था कि 1 अप्रैल, 2020 को वह सोशल मीडिया पर अपने साथी रोहित शर्मा के साथ लाइव चैट कर रहे थे। इस दौरान लॉकडाउन को लेकर चर्चा के दौरान उन्होंने मजाक में अपने साथी युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को कुछ शब्द कह दिए थे। इसके बाद यह वीडियो वायरल हो गया और इसके साथ यह संदेश जोड़ा गया कि यह अनुसूचित जाति का अपमान है। यह सब एक मजाक का हिस्सा था और इसका मकसद किसी का अपमान करना नहीं था।
युवराज सिंह ने कहा कि वह शब्द उन्होंने अपने दोस्त के पिता के शादी में नाचने पर टिप्पणी के रूप में कहे थे जो मजाकिया अंदाज में थे। इसके स्पष्टीकरण के बावजूद याची पर एफआईआर दर्ज की गई। हरियाणा पुलिस ने बताया था कि स्थानीय लोगों के बीच एक सर्वे में सामने आया है कि यह शब्द अनुसूचित जाति के लोगों के लिए अपमानजनक शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही पुलिस ने दलील दी थी कि गूगल करने पर भी वह यह बताता है कि यह सब अनुसूचित जाति के लिए अपमानजनक टिप्पणी के रूप में इस्तेमाल होता है।
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