हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भर्तियों के मामले मेें सरकार की पारदर्शिता को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार की सभी भर्तियां रुपयों की अटैची में बिकती है। प्रदेश में एचसीएस से लेकर ग्रुप-डी तक हर नौकरी का रेट तय है। एचएसएससी के बाद अब एचपीएससी की भर्तियों में हुए महाघोटालों के खुलासे से स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार में हर नौकरी बिकाऊ है।
जारी किए गए एक बयान में हुड्डा ने कहा कि पिछले कई सालों से सरकार लगातार भर्तियों में जारी घोटालों को छिपाने की कोशिश कर रही है। लेकिन घोटालों की भरमार इतनी है कि सरकार चाहकर भी उस पर पर्दा नहीं डाल पा रही। सरकार एक घोटाले को छिपाने की कोशिश करती है तो दूसरा सामने आकर खड़ा हो जाता है। किसी एक आरोपी को बचाने की कोशिश करती है तो दूसरा फंस जाता है।
कांग्रेस लगातार सड़क से लेकर सदन तक प्रदेश में युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ के खिलाफ आवाज उठा रही है। उनकी तरफ से बार-बार तमाम भर्ती, कैश फॉर जॉब, पेपर लीक, खाली ओएमआर शीट जैसे घोटालों की जांच न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई से करवाने की मांग की गई।
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यहां तक कि प्रदेश के गृहमंत्री ने भी विपक्ष की इस मांग का समर्थन किया है। लेकिन सरकार ने ना विपक्ष की मांग मानी और ना ही अपने गृहमंत्री की। उसका नतीजा आज प्रदेश की जनता के सामने है।
जो भर्तियां पूरी हो चुकी हैं, उनमें ताबड़तोड़ घोटालों के सुबूत अखबारों की सुर्खियां बन रहे हैं। साथ ही जिन भर्तियों की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है, उसमें गड़बड़झाले के साक्ष्य भी सार्वजनिक हो चुके हैं। जाहिर है जो भर्तियां भविष्य में होंगी उसके लिए भी पहले से ही सेटिंग हो चुकी है।
इतने सालों से बड़े पैमाने पर एचएसएससी और एचपीएससी के दफ्तरों में बैठे हुए लोग नौकरियों का कारोबार कर रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार की तरफ से बार-बार इन लोगों को क्लीन चिट दे दी जाती है।
इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि ना पर्ची ना खर्ची का नारा तो एक ढोंग मात्र है, जो सिर्फ प्रदेश की जनता को बरगलाने के लिए है। उन्होंने आरोप लगाया कि असल में तो सरकारी नौकरियों का खेल मुख्यमंत्री के आवास से होकर गुजरता है। मुख्यमंत्री के सात साल के शासनकाल में दो दर्जन से भी अधिक भर्ती पेपर लीक हो चुके हैं, जिनमें सरकारी नौकरी लगाने के लिए करोड़ों रुपये भाजपा सरकार के लोगों ने लिए, लेकिन भाजपा के लोगों को हमेशा बचाया गया।
एक बार एचएसएससी के चेयरमैन को निलंबित किया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद उसी को वापस चेयरमैन बना दिया गया। चौटाला ने कहा कि सरकार के संरक्षण के बगैर सरकारी नौकरियों को बेचने का खेल संभव नहीं है। एचपीएससी के दफ्तर के अंदर करोड़ों रुपये की न केवल डील होती थी बल्कि धड़ल्ले से सरकारी नौकरी लगवाने के एवज में लोगों से करोड़ों रुपये लिए जा रहे थे।
उन्होंने कहा कि यहां यह बात जाननी बेहद आवश्यक है कि जसबीर सिंह भूपेंद्र हुड्डा के मुख्यमंत्री कार्यकाल से ही एचपीएससी से जुड़ा हुआ है। मतलब साफ है कि नौकरियां बेचने का काम कांग्रेस सरकार में शुरू हुआ और अब भाजपा सरकार के संरक्षण में बदस्तूर जारी है।
चौटाला ने भाजपा सरकार पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि जब आयोग के नियमों में उपसचिव का पद ही नहीं है तो किस के कहने से इस पद पर नियुक्ति हुई जो की जांच का विषय है। जांच इस विषय की भी होनी चाहिए कि आरोपी जसबीर का मुख्यमंत्री आवास पर कितना आना जाना था और वहां कौन से सीएमओ के अधिकारियों से मिलता था। इसमें सिर्फ डेंटल डाक्टर ही नहीं बल्कि इसके कार्यकाल की सभी भर्तियां जिनमें एचसीएस और न्यायिक परीक्षा की भी जांच होनी चाहिए।
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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भर्तियों के मामले मेें सरकार की पारदर्शिता को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार की सभी भर्तियां रुपयों की अटैची में बिकती है। प्रदेश में एचसीएस से लेकर ग्रुप-डी तक हर नौकरी का रेट तय है। एचएसएससी के बाद अब एचपीएससी की भर्तियों में हुए महाघोटालों के खुलासे से स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार में हर नौकरी बिकाऊ है।
जारी किए गए एक बयान में हुड्डा ने कहा कि पिछले कई सालों से सरकार लगातार भर्तियों में जारी घोटालों को छिपाने की कोशिश कर रही है। लेकिन घोटालों की भरमार इतनी है कि सरकार चाहकर भी उस पर पर्दा नहीं डाल पा रही। सरकार एक घोटाले को छिपाने की कोशिश करती है तो दूसरा सामने आकर खड़ा हो जाता है। किसी एक आरोपी को बचाने की कोशिश करती है तो दूसरा फंस जाता है।
कांग्रेस लगातार सड़क से लेकर सदन तक प्रदेश में युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ के खिलाफ आवाज उठा रही है। उनकी तरफ से बार-बार तमाम भर्ती, कैश फॉर जॉब, पेपर लीक, खाली ओएमआर शीट जैसे घोटालों की जांच न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई से करवाने की मांग की गई।
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यहां तक कि प्रदेश के गृहमंत्री ने भी विपक्ष की इस मांग का समर्थन किया है। लेकिन सरकार ने ना विपक्ष की मांग मानी और ना ही अपने गृहमंत्री की। उसका नतीजा आज प्रदेश की जनता के सामने है।
जो भर्तियां पूरी हो चुकी हैं, उनमें ताबड़तोड़ घोटालों के सुबूत अखबारों की सुर्खियां बन रहे हैं। साथ ही जिन भर्तियों की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है, उसमें गड़बड़झाले के साक्ष्य भी सार्वजनिक हो चुके हैं। जाहिर है जो भर्तियां भविष्य में होंगी उसके लिए भी पहले से ही सेटिंग हो चुकी है।
इतने सालों से बड़े पैमाने पर एचएसएससी और एचपीएससी के दफ्तरों में बैठे हुए लोग नौकरियों का कारोबार कर रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार की तरफ से बार-बार इन लोगों को क्लीन चिट दे दी जाती है।