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आईआईटी बीएचयू में कालाजार की पहली वैक्सीन का सफल ट्रायल, चूहों पर अध्ययन के बाद मिली सफलता 

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी Published by: स्‍वाधीन तिवारी Updated Wed, 20 Jan 2021 10:12 PM IST
वैज्ञानिकों की टीम
वैज्ञानिकों की टीम - फोटो : अमर उजाला

कोरोना काल में एक से बढ़कर एक शोध कार्य हुए। किसी ने सैनिटाइजर बनाया तो कुछ लोगों ने अपनी प्रतिभा के दम पर मास्क भी तैयार किया। अब वैज्ञानिक अलग-अलग बीमारियों का टीका तैयार करने में लगे हैं। इसमें कुछ हद तक सफलता भी मिली है। आईआईटी बीएचयू में शोध कर रही टीम ने कालाजार के खिलाफ वैक्सीन का ट्रायल किया है, जिसमें सफलता के बाद अब टीका बनने की उम्मीद भी जगी है। 



भारत समेत एशिया,  यूरोप, अफ्रीका और अमरीका जैसे देशों में गंभीर रूप लेती कालाजार बीमारी की वैक्सीन बनाने को लेकर आईआईटी बीएचयू में भी स्कूल ऑफ बॉयोकेमिकल इंजीनियरिंग के वैज्ञानिक प्रोफेसर विकास कुमार दूबे, प्रमुख अन्वेषक डॉ. सुनीता यादव, नेशनल पोस्टडॉक्टोरल फेलो और आईएमएस बीएचयू में प्रो. श्यामसुंदर के सहयोग से हुए अध्ययन के बाद तैयार वैक्सीन का सफल परीक्षण भी किया गया है। इसमें यह देखा गया कि वैक्सीन कालाजार बीमारी के  प्रमुख कारक लीशमैनिया परजीवी के खिलाफ संक्रमण की प्रगति को रोक देता है। 


प्रो.  विकास दूबे ने बताया कि  इस बीमारी के खिलाफ मनुष्य के लिए विश्वबाजार में अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। वैक्सीन का लगना बहुत जरूरी है क्योंकि वैक्सीन अणु हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र को रोगों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करता है। यह हमारे शरीर में कई प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करता है जो एंटीबॉडी, साइटोकिन्स और अन्य सक्रिय अणुओं का उत्पादन करते हैं।
 

चूहों पर अध्ययन में मिली सफलता
शोध करने वाले प्रो. विकास दूबे का कहना है कि इस टीके की रोगनिरोधी क्षमता का मूल्यांकन चूहों के मॉडल में प्री क्लिनिकल अध्ययनों में किया गया था जिसमें संक्रमित चूहों की तुलना में टीकाकृत संक्रमित चूहों के यकृत और प्लीहा अंगों में परजीवी भार में उल्लेखनीय कमी देखी गई थी।

टीका लगाए गए चूहों में परजीवी के बोझ को साफ करने से वैक्सीन के सफलता की संभावना प्रबल हो जाती है। हाल ही में यह शोध प्रतिष्ठित पत्रिका ’सेलुलर इम्यूनोलॉजी’ में भी प्रकाशित हुआ है। भविष्य में वैक्सीन के दावेदार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। 
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