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Gyanvapi Case: एएसआई से ज्ञानवापी के सर्वे की मांग पर मसाजिद कमेटी ने दाखिल की आपत्ति, अब सात जुलाई को सुनवाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी Published by: उत्पल कांत Updated Mon, 22 May 2023 04:29 PM IST
सार

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सोमवार को ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित दो मामलों की सुनवाई हुई। दोनों ही मामलों में अगली सुनवाई की तिथि कोर्ट ने सात जुलाई तय की है। 

Gyanvapi Case Masjid committee filed objection on demand of survey from ASI
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित पूरे विवादित स्थल की कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने संबंधी आवेदन पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सोमवार को आपत्ति दाखिल कर दी। इस मामले में जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि सात जुलाई तय की। 



पिछले हफ्ते अदालत में एक याचिका दायर कर पूरे मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराने की मांगी की गई थी, केवल शिवलिंग जैसी आकृति की नहीं, जैसा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है। हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिका पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए अदालत ने भी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी को 19 मई तक का समय दिया था।


ज्ञानवापी और आदि विश्वेश्वर मंदिर मामले में स्पेशल अधिवक्ता राजेश मिश्र ने बताया कि मस्जिद कमेटी ने जिला जज एके विश्वेश की अदालत में आपत्ति दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का एएसआई की ओर से सर्वेक्षण कराने की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। ऐसे में उसी संपत्ति की और उसी स्थान पर एएसआई की तरफ से दोबारा सर्वेक्षण कराने की मांग उचित नहीं है और याचिका खारिज करने का अनुरोध किया है।
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मुस्लिम पक्ष का दावा, खोदाई का आदेश हुआ तो ध्वस्त हो जाएगी ज्ञानवापी मस्जिद

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से ज्ञानवापी स्थित मस्जिद को हजारों वर्ष पुराना बताया गया और कहा गया कि वादीगणों ने दुर्भावनावश मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी बताया है। यह सत्य से परे है। मुगल बादशाह औरंगजेब निर्दयी नहीं था। वर्ष 1669 में औरंगजेब के आदेश पर कोई मंदिर नहीं तोड़ा गया था। अब मामले की सुनवाई सात जुलाई को होगी।

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी की तरफ से जिला जज की अदालत में दाखिल आपत्ति में कहा गया कि काशी में काशी विश्वनाथ के दो मंदिर की धारणा न पहले थी और न आज है। ज्ञानवापी में मिली आकृति शिवलिंग नहीं है, वह फव्वारा है। एएसआई के सर्वे से मस्जिद ध्वस्त हो जाएगी। यही वादीगणों का उद्देश्य है। इससे हमारा अहम साक्ष्य समाप्त हो जाएगा। ज्ञानवापी परिसर का एएसआई से सर्वे कानूनन संभव नहीं है। ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग खारिज कर दी जाए। इसके लिए 24 बिंदुओं में जवाब दाखिल किए गए हैं। मसाजिद कमेटी ने अपनी आपत्ति की प्रति हिंदू पक्ष को भी उपलब्ध कराई है।

अयोध्या और वर्तमान मुकदमे में जमीन आसमान का फर्क

मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल आपत्ति में अयोध्या और वर्तमान मुकदमे में जमीन आसमान का फर्क का दावा किया गया। कहा गया कि अयोध्या प्रकरण में एएसआई ने जमीन की खोदाई करके रिपोर्ट दी थी, जो वर्तमान विषय वस्तु में संभव नहीं है।

कल भी मस्जिद थी और आज भी है

मसाजिद कमेटी ने कहा कि हिंदू पक्ष कहता है कि हम वर्ष 1670 से आदि विश्वेश्वर के मंदिर की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन, इस संबंध में कोर्ट को कोई दस्तावेज नहीं उपलब्ध कराया गया। ज्ञानवापी में जो इमारत है, वह कल भी मस्जिद थी और आज भी मस्जिद है। वहां कल भी नमाज पढ़ी जाती थी और आज भी बिना किसी रोकटोक के नमाज पढ़ी जाती है।
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