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वाराणसी। सरायमोहाना स्थित गंगा-वरुणा संगम पर बने लकड़ी के पुल से रोजाना शहर आने वाले हजारों ग्रामीणों की मुसीबत कम से कम अगले पांच दिनों तक कम नहीं होने वाली है। वरुणा पुल के नीचे बने फाटक खोल दिए जाने से तेज प्रवाह जल के कारण पुल टूट गया था। इसकी देखरेख के लिए जिम्मेदार सहकारी समिति ने फिलहाल पुल की मरम्मत करने से हाथ खड़ा कर दिया है।
पुल की देखरेख और आने-जाने वालों से कर वसूल करने वाली निषाद-नाविक मत्स्यजीवी सहकारी समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि फिलहाल वरुणा का जल प्रवाह सामान्य से तेज है। मिट्टी में भारी कटाव के कारण पुल बनाने के लिए बल्लियों को नए सिरे से गाड़ना होगा। ऐसे में पुल की मरम्मत नहीं की जा सकती है। उनके हिसाब से कम से कम अगले पांच दिनों तक पुल का निर्माण शुरू नहीं किया जा सकता। इस पुल से कोटवां, कमौली, रसूलगढ़, खालिसपुर, तातेपुर, शिवरमपुर, रमचंदीपुर, चांदपुर, बभनपुरा, नेवादा समेत 40 गांवों के 10 से 12 हजार लोग रोजाना शहर आते-जाते हैं। पुल टूट जाने से अब लोगों को 10 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर पंचक्रोशी मार्ग होते हुए शहर आना पड़ रहा है। साइकिल से स्कूल-कालेज जाने वाले छात्र-छात्राओं को भारी परेशानी हो रही है। इनमें से कुछ तो मजबूरी में लंबी दूरी तय कर रहे हैं लेकिन अधिकतर का स्कूल जाना रुक गया है। कई लोग गुरुवार को वरुणा तट पर पहुंचे। पुल टूटने की जानकारी होने पर उन्हें लौट जाना पड़ा।
पैदल पार करने को लगाई नाव
वाराणसी। लकड़ी के पुल के टूटने के लगभग 48 घंटे बाद सिर्फ पैदल चलने वालों के लिए आरपार करने की वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकी है। निषाद, नाविक मत्स्यजीवी सहकारी समिति की ओर से संकरी नदी के बीचोबीच बड़ी सी नौका दोनों ओर से बांध कर खड़ी कर दी गई है। लोग इसके सहारे पैदल ही नदी आर-पार कर रहे हैं।
वाराणसी। सरायमोहाना स्थित गंगा-वरुणा संगम पर बने लकड़ी के पुल से रोजाना शहर आने वाले हजारों ग्रामीणों की मुसीबत कम से कम अगले पांच दिनों तक कम नहीं होने वाली है। वरुणा पुल के नीचे बने फाटक खोल दिए जाने से तेज प्रवाह जल के कारण पुल टूट गया था। इसकी देखरेख के लिए जिम्मेदार सहकारी समिति ने फिलहाल पुल की मरम्मत करने से हाथ खड़ा कर दिया है।
पुल की देखरेख और आने-जाने वालों से कर वसूल करने वाली निषाद-नाविक मत्स्यजीवी सहकारी समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि फिलहाल वरुणा का जल प्रवाह सामान्य से तेज है। मिट्टी में भारी कटाव के कारण पुल बनाने के लिए बल्लियों को नए सिरे से गाड़ना होगा। ऐसे में पुल की मरम्मत नहीं की जा सकती है। उनके हिसाब से कम से कम अगले पांच दिनों तक पुल का निर्माण शुरू नहीं किया जा सकता। इस पुल से कोटवां, कमौली, रसूलगढ़, खालिसपुर, तातेपुर, शिवरमपुर, रमचंदीपुर, चांदपुर, बभनपुरा, नेवादा समेत 40 गांवों के 10 से 12 हजार लोग रोजाना शहर आते-जाते हैं। पुल टूट जाने से अब लोगों को 10 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर पंचक्रोशी मार्ग होते हुए शहर आना पड़ रहा है। साइकिल से स्कूल-कालेज जाने वाले छात्र-छात्राओं को भारी परेशानी हो रही है। इनमें से कुछ तो मजबूरी में लंबी दूरी तय कर रहे हैं लेकिन अधिकतर का स्कूल जाना रुक गया है। कई लोग गुरुवार को वरुणा तट पर पहुंचे। पुल टूटने की जानकारी होने पर उन्हें लौट जाना पड़ा।
पैदल पार करने को लगाई नाव
वाराणसी। लकड़ी के पुल के टूटने के लगभग 48 घंटे बाद सिर्फ पैदल चलने वालों के लिए आरपार करने की वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकी है। निषाद, नाविक मत्स्यजीवी सहकारी समिति की ओर से संकरी नदी के बीचोबीच बड़ी सी नौका दोनों ओर से बांध कर खड़ी कर दी गई है। लोग इसके सहारे पैदल ही नदी आर-पार कर रहे हैं।