वाराणसी। समय से अनुदान न मिलने से पूर्वांचल और बिहार से सर सुंदर लाल अस्पताल में कैंसर का इलाज कराने आने वाले मरीजों को बेहद दिक्कत उठानी पड़ रही है। कुछ तो सरकारी कारिंदों की लापरवाही और कुछ तकनीकी समस्याओं के चलते उन्हें अनुदान नहीं मिल पा रहा। आश्चर्य तो यह है कि उपचार का अनुदान उपचार कराने के बाद मिल रहा है, जबकि यदि यह पैसा पहले मिल जाए तो न जाने कितने गरीब मरीजों का भला हो जाए। इसी के चलते कई मरीज दम तोड़ दे रहे हैं।
सस्ते और बेहतर इलाज के लिए बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में पिछले पांच वर्षों में कैंसर के मरीजाें में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। पिछले साल तीन हजार मरीजों को भर्ती कराया गया था। इनमें ज्यादातर वो मरीज होते हैं जिन्हें अनुदान की आवश्यकता होती है, मगर उपचार के लिए मिलने वाली धनराशि में बिलंब होने से मरीजों का इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। कोई अपनी जान गंवा दे रहा है तो किसी को जमीन-जायदाद बेचनी पड़ रही है। बिहार के सासाराम निवासी शिवधारी बैठा ने 12 फरवरी 2012 को राज्य स्वास्थ्य निदेशालय पटना में कैंसर के उपचार के लिए आवेदन दिया था लेकिन आज तक उन्हें पैसा नहीं मिला। नतीजतन उपचार के लिए उन्होंने अपनी दस बिस्वा भूमि गिरवी रख दी। इसी प्रकार कैमूर के राजेश्वर सिंह ने दिसबर 2011 तथा जौनपुर के नरेश राम ने जनवरी 2011 में कैंसर अनुदान के लिए संबंधित जिला प्रशासनाें से मदद मांगी, लेकिन अनुदान के नाम पर अब तक इनमें से किसी को फूटी कौड़ी नसीब नहीं हुई। इन सभी का उपचार सर सुंदर लाल अस्पताल में चल रहा है। बता दें कि पिछले साल तक कैंसर पीडि़ताें की अनुदान राशि के लिए डीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी निर्णय करती थी, लेकिन अब यह कार्य कमिश्नर की अध्यक्षता वाली टीम को सौंप दिया गया है। इसके चलते कार्यालयाें में पीडि़ताें की फाइलें और लटक जा रही हैं।
कोट
उपचार के लिए मिलने वाली धनराशि में देरी के चलते गरीब कैंसर पीडि़त इलाज नहीं कर पा रहे हैं। यदि कैंसर पीडि़ताें के उपचार पर होने वाले खर्च के शीघ्र भुगतान की व्यवस्था नहीं की गई तो गरीब मरीज दम तोड़ते रहेंगे-डा. यूपी शाही, सर सुंदर लाल अस्पताल, पूर्व विभागाध्यक्ष रेडिएशन
वाराणसी। समय से अनुदान न मिलने से पूर्वांचल और बिहार से सर सुंदर लाल अस्पताल में कैंसर का इलाज कराने आने वाले मरीजों को बेहद दिक्कत उठानी पड़ रही है। कुछ तो सरकारी कारिंदों की लापरवाही और कुछ तकनीकी समस्याओं के चलते उन्हें अनुदान नहीं मिल पा रहा। आश्चर्य तो यह है कि उपचार का अनुदान उपचार कराने के बाद मिल रहा है, जबकि यदि यह पैसा पहले मिल जाए तो न जाने कितने गरीब मरीजों का भला हो जाए। इसी के चलते कई मरीज दम तोड़ दे रहे हैं।
सस्ते और बेहतर इलाज के लिए बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में पिछले पांच वर्षों में कैंसर के मरीजाें में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। पिछले साल तीन हजार मरीजों को भर्ती कराया गया था। इनमें ज्यादातर वो मरीज होते हैं जिन्हें अनुदान की आवश्यकता होती है, मगर उपचार के लिए मिलने वाली धनराशि में बिलंब होने से मरीजों का इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। कोई अपनी जान गंवा दे रहा है तो किसी को जमीन-जायदाद बेचनी पड़ रही है। बिहार के सासाराम निवासी शिवधारी बैठा ने 12 फरवरी 2012 को राज्य स्वास्थ्य निदेशालय पटना में कैंसर के उपचार के लिए आवेदन दिया था लेकिन आज तक उन्हें पैसा नहीं मिला। नतीजतन उपचार के लिए उन्होंने अपनी दस बिस्वा भूमि गिरवी रख दी। इसी प्रकार कैमूर के राजेश्वर सिंह ने दिसबर 2011 तथा जौनपुर के नरेश राम ने जनवरी 2011 में कैंसर अनुदान के लिए संबंधित जिला प्रशासनाें से मदद मांगी, लेकिन अनुदान के नाम पर अब तक इनमें से किसी को फूटी कौड़ी नसीब नहीं हुई। इन सभी का उपचार सर सुंदर लाल अस्पताल में चल रहा है। बता दें कि पिछले साल तक कैंसर पीडि़ताें की अनुदान राशि के लिए डीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी निर्णय करती थी, लेकिन अब यह कार्य कमिश्नर की अध्यक्षता वाली टीम को सौंप दिया गया है। इसके चलते कार्यालयाें में पीडि़ताें की फाइलें और लटक जा रही हैं।
कोट
उपचार के लिए मिलने वाली धनराशि में देरी के चलते गरीब कैंसर पीडि़त इलाज नहीं कर पा रहे हैं। यदि कैंसर पीडि़ताें के उपचार पर होने वाले खर्च के शीघ्र भुगतान की व्यवस्था नहीं की गई तो गरीब मरीज दम तोड़ते रहेंगे-डा. यूपी शाही, सर सुंदर लाल अस्पताल, पूर्व विभागाध्यक्ष रेडिएशन