नवाबगंज (उन्नाव)। गर्मी बढ़ने के साथ ही क्षेत्र में पेयजल की समस्या विकराल होती जा रही है। आम इंसानों के साथ मवेशियों के गले तर करने के लिए तालाबों में भी पानी सूख गया है। हालांकि पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए विभिन्न सरकारी संसाधनों पर करोड़ों रुपया व्यय किया गया है लेकिन उसका लाभ आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है। इंडिया मार्का हैंडपंपों की भी स्थिति अच्छी नहीं है।
विकास खंड कार्यालय से लगातार रिबोर की स्थिति वाले हैंडपंपों को दुरुस्त कराने की रिपोर्ट भेजी जा रही है लेकिन जलनिगम अधिकारी उनकी मरम्मत कराने के प्रति गंभीर नहीं है जिसके चलते पूरे क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या को लेकर हाहाकार मचा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार विकास खंड में 1634 इंडिया मार्का हैंडपंप स्थापित हैं जिनमें करीब 221 हैंडपंप रिबोर की स्थिति में हैं जिसकी रिपोर्ट विकास खंड अधिकारी स्तर से जल निगम के अधिकारियों को बराबर भेजी जा रही है लेकिन अधिकारी इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वहीं क्षेत्र में करीब 273 हैंडपंप बड़ी खराबी के कारण पानी देना बंद कर दिया है। ग्रामीण बताते हैं कि खराब हैंडपंपों में अधिकांश में कम पाइप होने की वजह से पानी नहीं दे रहे हैं। इन हैंडपंपों में खराबी के कारण पीने के पानी की समस्या विकराल हो रही है। यही स्थिति क्षेत्र के तालाबों की है। तालाब सूखे होने की वजह से बेजुबान मवेशियों एवं पशु-पक्षियों के सामने भी पीने की पानी का संकट उत्पन्न हो रहा है।
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी दिनेश शुक्ला का कहना है कि विकास खंड मुख्यालय में आयोजित होने वाली बैठकों में भी जल निगम के अधिकारियों को बुलाया जाता है। लेकिन वह बैठकों में नहीं आते। जिससे हैंडपंपों को सही कराने में दिक्कतें हो रही हैं।
उधर पेयजल समस्या से परेशान क्षेत्रीय लोगों ने प्रशासन से खराब हैंडपंपों की मरम्मत कराने की मांग की है।
नवाबगंज (उन्नाव)। गर्मी बढ़ने के साथ ही क्षेत्र में पेयजल की समस्या विकराल होती जा रही है। आम इंसानों के साथ मवेशियों के गले तर करने के लिए तालाबों में भी पानी सूख गया है। हालांकि पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए विभिन्न सरकारी संसाधनों पर करोड़ों रुपया व्यय किया गया है लेकिन उसका लाभ आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है। इंडिया मार्का हैंडपंपों की भी स्थिति अच्छी नहीं है।
विकास खंड कार्यालय से लगातार रिबोर की स्थिति वाले हैंडपंपों को दुरुस्त कराने की रिपोर्ट भेजी जा रही है लेकिन जलनिगम अधिकारी उनकी मरम्मत कराने के प्रति गंभीर नहीं है जिसके चलते पूरे क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या को लेकर हाहाकार मचा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार विकास खंड में 1634 इंडिया मार्का हैंडपंप स्थापित हैं जिनमें करीब 221 हैंडपंप रिबोर की स्थिति में हैं जिसकी रिपोर्ट विकास खंड अधिकारी स्तर से जल निगम के अधिकारियों को बराबर भेजी जा रही है लेकिन अधिकारी इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वहीं क्षेत्र में करीब 273 हैंडपंप बड़ी खराबी के कारण पानी देना बंद कर दिया है। ग्रामीण बताते हैं कि खराब हैंडपंपों में अधिकांश में कम पाइप होने की वजह से पानी नहीं दे रहे हैं। इन हैंडपंपों में खराबी के कारण पीने के पानी की समस्या विकराल हो रही है। यही स्थिति क्षेत्र के तालाबों की है। तालाब सूखे होने की वजह से बेजुबान मवेशियों एवं पशु-पक्षियों के सामने भी पीने की पानी का संकट उत्पन्न हो रहा है।
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी दिनेश शुक्ला का कहना है कि विकास खंड मुख्यालय में आयोजित होने वाली बैठकों में भी जल निगम के अधिकारियों को बुलाया जाता है। लेकिन वह बैठकों में नहीं आते। जिससे हैंडपंपों को सही कराने में दिक्कतें हो रही हैं।
उधर पेयजल समस्या से परेशान क्षेत्रीय लोगों ने प्रशासन से खराब हैंडपंपों की मरम्मत कराने की मांग की है।