जनपद अनेक रहस्यों व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश भर में जाना जाता है। यहां ग्रामीण अंचलों में तमाम ऐसी धरोहरें हैं जो अपने-आप में महत्व रखने के बाद भी गुमनाम हैं। अब केंद्रीय कला एवं संस्कृति मंत्रालय हर गांव की प्रमुख विरासत को विरासत सहेजेगा।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे गांव हैं जो अपनी विरासतों को लेकर एक अलग पहचान रखते हैं। रख-रखाव व उदासीनता के कारण धरोहरें विलुप्त हो रही हैं। अब सरकार हर गांव की विरासत को सहेजने का कार्य करेगी। कला एवं संस्कृति मंत्रालय व सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की अनुषंगी कंपनी सीएससी के समन्वय से हर गांव में कंपनी की ओर से मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से डाटा एकत्र किया जा रहा है। सीएससी संचालक गांवों में जाकर संबंधित गांव की सांस्कृतिक विरासत से जुड़े तथ्यों को मोबाइल एप्लीकेशन में फीड कर रहे हैं। इसके माध्यम से यह कर्मी हर गांव में जाकर वहां के बुजुर्गों से बातचीत कर उनका फीडबैक लेंगे। मेरा गांव-मेरी धरोहर अभियान के तहत जिले के हर गांव, ब्लॉक, जिला स्तर पर वहां की संस्कृति की पहचान और धरोहर को दर्ज किया जा रहा है। इसके लिए स्थानीय लोगों से बातचीत की जाएगी जिसमें वे अपने गांव की खासियत को दर्ज कराएंगे। इसके अलावा उससे संबंधित फोटो अन्य दस्तावेज भी लोगों से लेकर ऐप पर दर्ज की जाएगी। मेरा गांव मेरी धरोहर केेेे तहत वीएलई गांव में संस्कृति विभाग के निर्देश पर चलाए जा रहे सर्वेक्षण के गांव के बुजुर्गों, ग्राम प्रधानों, सदस्यों व विशेषज्ञों के माध्यम से जानकारी लेंगे।
890 गांवों से एकत्र हुआ डाटा
वर्तमान समय में मेरा गांव-मेरी धरोहर के माध्यम से कुल 1526 गांवों में से 890 गांवों में लागों से जानकारी लेते हुए डाटा फीड किया जा चुका है। सबसे पहले उन गांवों को प्राथमिकता दी गई जो पहले से अपनी विशेषता को लेकर चर्चा में रहे हैं। इसके तहत गांव की रुचि के स्थान, पारंपरिक प्रथाओं, प्रसिद्ध हस्तियों, पर्यावरण नीतियों, संस्कृति, कला, संगीत, पहनावा, खान-पान, मेले, पुराने वृक्ष, गांव के उत्पाद, पुरानी इमारतें, मंदिर, तालाब, सामाजिक-ऐतिहासिक विरासत, परियोजना सहित अन्य विशेषताओं की जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं धरोहरों से जुड़ी तस्वीरों को भी ऐप पर अपलोड किया जा रहा है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
संस्कृति मंत्रालय की ओर मेरा गांव मेरी धरोहर के माध्यम से हर गांव का का डाटा उपलब्ध होने के बाद परंपराओं, धरोहरों के बारे में उपलब्ध कराए गए तथ्यों का सत्यापन कराया जाएगा। इसके बाद धरोहरों को संजोने के साथ ही प्रमुख स्थानों पर पर्यटन की संभावना भी तलाशी जायेगी।
जनपद अनेक रहस्यों व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश भर में जाना जाता है। यहां ग्रामीण अंचलों में तमाम ऐसी धरोहरें हैं जो अपने-आप में महत्व रखने के बाद भी गुमनाम हैं। अब केंद्रीय कला एवं संस्कृति मंत्रालय हर गांव की प्रमुख विरासत को विरासत सहेजेगा।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे गांव हैं जो अपनी विरासतों को लेकर एक अलग पहचान रखते हैं। रख-रखाव व उदासीनता के कारण धरोहरें विलुप्त हो रही हैं। अब सरकार हर गांव की विरासत को सहेजने का कार्य करेगी। कला एवं संस्कृति मंत्रालय व सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की अनुषंगी कंपनी सीएससी के समन्वय से हर गांव में कंपनी की ओर से मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से डाटा एकत्र किया जा रहा है। सीएससी संचालक गांवों में जाकर संबंधित गांव की सांस्कृतिक विरासत से जुड़े तथ्यों को मोबाइल एप्लीकेशन में फीड कर रहे हैं। इसके माध्यम से यह कर्मी हर गांव में जाकर वहां के बुजुर्गों से बातचीत कर उनका फीडबैक लेंगे। मेरा गांव-मेरी धरोहर अभियान के तहत जिले के हर गांव, ब्लॉक, जिला स्तर पर वहां की संस्कृति की पहचान और धरोहर को दर्ज किया जा रहा है। इसके लिए स्थानीय लोगों से बातचीत की जाएगी जिसमें वे अपने गांव की खासियत को दर्ज कराएंगे। इसके अलावा उससे संबंधित फोटो अन्य दस्तावेज भी लोगों से लेकर ऐप पर दर्ज की जाएगी। मेरा गांव मेरी धरोहर केेेे तहत वीएलई गांव में संस्कृति विभाग के निर्देश पर चलाए जा रहे सर्वेक्षण के गांव के बुजुर्गों, ग्राम प्रधानों, सदस्यों व विशेषज्ञों के माध्यम से जानकारी लेंगे।
890 गांवों से एकत्र हुआ डाटा
वर्तमान समय में मेरा गांव-मेरी धरोहर के माध्यम से कुल 1526 गांवों में से 890 गांवों में लागों से जानकारी लेते हुए डाटा फीड किया जा चुका है। सबसे पहले उन गांवों को प्राथमिकता दी गई जो पहले से अपनी विशेषता को लेकर चर्चा में रहे हैं। इसके तहत गांव की रुचि के स्थान, पारंपरिक प्रथाओं, प्रसिद्ध हस्तियों, पर्यावरण नीतियों, संस्कृति, कला, संगीत, पहनावा, खान-पान, मेले, पुराने वृक्ष, गांव के उत्पाद, पुरानी इमारतें, मंदिर, तालाब, सामाजिक-ऐतिहासिक विरासत, परियोजना सहित अन्य विशेषताओं की जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं धरोहरों से जुड़ी तस्वीरों को भी ऐप पर अपलोड किया जा रहा है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
संस्कृति मंत्रालय की ओर मेरा गांव मेरी धरोहर के माध्यम से हर गांव का का डाटा उपलब्ध होने के बाद परंपराओं, धरोहरों के बारे में उपलब्ध कराए गए तथ्यों का सत्यापन कराया जाएगा। इसके बाद धरोहरों को संजोने के साथ ही प्रमुख स्थानों पर पर्यटन की संभावना भी तलाशी जायेगी।