गठबंधन पर भारी पड़ा विकास, पलायन और पुलवामा
शामली। कैराना लोकसभा सीट के चुनाव परिणाम ने साफ कर दिया कि भाजपा का विकास, पलायन और पुलवामा का मुद्दा गठबंधन पर भारी पड़ा। मतदाताओं पर मोदी मैजिक सिर चढ़कर बोला और विपक्षी के तमाम मुद्दे धराशाई हो गए । गन्ना भुगतान के मुद्दे पर विपक्ष की घेराबंदी भी काम नहीं आई।
दरअसल, 2018 के लोकसभा उपचुनाव में भी सपा बसपा और कांग्रेस ने भाजपा की घेराबंदी कर चुनाव लड़ा था। तबस्सुम हसन को रालोद का सिंबल देकर चुनाव लड़ाया गया और उन्होंने ये सीट भाजपा से छीन ली। चुनाव में भाजपा ने कैराना पलायन और जिन्ना का मुद्दा उठाया था, लेकिन भाजपा के हारने के बाद विपक्षी दलों ने जिन्ना हारा गन्ना जीता की टिप्पणी कर भाजपा पर खूब कटाक्ष किए थे। इस चुनाव में भाजपा ने मोदी और योगी सरकार के कामकाज , विकास का मुद्दा तो उठाया ही। यूपी में योगी सरकार आने के बाद कैराना से पलायन कर गए व्यापारियों की वापसी के मुद्दे को भी जोर शोर से उठाया। पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक को भी मुद्दा बनाया गया। लोगों तक ये मेसेज देने की कोशिश की गई कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था सुधरने की वजह से ही पलायन करने वाले लोग वापसी की हिम्मत जुटा सके हैं। शामली में हुई रैली में खुद सीएम योगी ने इन मुद्दों पर लोगों को खूब झकझोरा था। उन्होंने दो टूक कहा था कि अब व्यापारी नहीं गुंडे पलायन करेंगे। उधर, भाजपा को हराने को रालोद, बसपा और सपा ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा। गन्ना बेल्ट में किसानों के गन्ना भुगतान ना होने को मुख्य मुद्दा बनाया गया। हर जनसभाओं में विपक्षी नेताओं ने इसे उठाया, लेकिन चुनाव परिणाम से लग रहा है कि मोदी मैजिक के आगे गठबंधन और गन्ना भुगतान का मुद्दा भी काम नहीं आया। विकास, पलायन और पुलवामा का मुद्दे काम कर गया।