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मजदूरी के लिए ले जाए जा रहे 38 बच्चे कर्मभूमि एक्सप्रेस से पकड़े

Moradabad  Bureau मुरादाबाद ब्यूरो
Updated Fri, 02 Jul 2021 02:06 AM IST
38 children being taken for wages caught by Karmabhoomi Express
मुरादाबाद। बिहार के मुजफ्फरपुर से पंजाब के लुधियाना ले जाए जा रहे 38 बच्चों को जीआरपी मुरादाबाद ने कर्मभूमि एक्सप्रेस से अपने कब्जे में लेते हुए आरोपी तीन ठेेकेदारों को गिरफ्तार कर लिया है। बाल कल्याण संगठन की सूचना पर जीआरपी ने यह रेस्क्यू ऑपरेशन गुरुवार सुबह 8:40 बजे ट्रेन के मुरादाबाद पहुंचने पर किया। इसकी सूचना एसपी जीआरपी अपर्णा गुप्ता को बाल कल्याण संगठन के प्रदेश समन्वयक ने ई मेल के माध्यम से दी थी।

30 जून की शाम एसपी जीआरपी अपर्णा गुप्ता को ई-मेल मिला कि बाल कल्याण संगठन ने ठेकेदारों द्वारा बड़ी संख्या में नाबालिग बच्चों को ट्रेन से ले जाते हुए देखा है। संगठन ने ट्रेन के नाम, नंबर के साथ कोच संख्या की भी जानकारी उपलब्ध कराई थी। सूचना मिलते ही एसपी ने टीम को अलर्ट कर दिया। गुरुवार सुबह 07.30 बजे स्टेशन अधीक्षक को जीआरपी कार्रवाई की जानकारी देकर ट्रेन को तय समय से ज्यादा स्टेशन पर रोकने के लिए अनुमति ली गई। इसके बाद जैसे ही कर्मभूमि एक्सप्रेस स्टेशन पर पहुंची तो जीआरपी की छह टीमों ने ट्रेन को घेर लिया। किसी को भी ट्रेन से उतरने नहीं दिया गया। सूचना के आधार पर ट्रेन के कोचों से 44 व्यस्क और 38 नाबालिग बच्चे जो कि बिहार के मुजफ्फरपुर से पंजाब के लुधियाना ले जा रहे थे, उन्हें जीआरपी ने उतार लिया। जीआरपी ने उनसे पूछताछ की तो पता चला कि बच्चे और व्यस्क तीन ठेकेदारों द्वारा ले जाए जा रहे हैं। जीआरपी थाना प्रभारी सुधीर कुमार के मुताबिक पूछताछ और पहचान उपलब्ध हो जाने पर 41 व्यस्कों को छोड़ दिया गया जबकि तीन ठेकेदारों दुलाल शर्मा निवासी कटिहार (बिहार), शाहनूर आलम निवासी उत्तर दीनाजपुर पश्चिम बंगाल और बृजेश शर्मा निवासी सेक्टर 61, चंडीगढ़ को गिरफ्तार कर उनके के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

भूख और मजबूरी करा रही बच्चों से मजदूरी
जीआरपी ने जब बच्चों के माता-पिता से फोन पर संपर्क किया तो पता चला कि बच्चे बेहद गरीब परिवार से हैं। जीवनयापन करने के लिए परिवार को बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसके कारण बच्चों को ठेकेदार के साथ मजदूरी के लिए भेज दिया गया। इन सभी बच्चों की उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच है। चूंकि बालश्रम अपराध है इसलिए जीआरपी ने बच्चों को ले जा रहे ठेकेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
ई-मेल पर प्राप्त सूचना को गंभीरता से लेते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। 38 नाबालिग फिलहाल जीआरपी के संरक्षण में हैं। सभी के माता-पिता से संपर्क साधा जा रहा है। जब तक इन बच्चों के अभिभावक इन्हें लेने नहीं आते तब तक इन्हें चाइल्ड लाइन की देखरेख में रखा जाएगा। जीआरपी भी नजर बनाए रखेगी। वहीं, 41 व्यस्कों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है।
- अपर्णा गुप्ता, एसपी जीआरपी
सात जिलों के सात बड़े स्टेशन किए पार, एसपी जीआरपी की गंभीरता से पकड़े गए आरोपी
- 30 जून की देर रात 12 बजकर तीन मिनट पर मिली सूचना, तब लखनऊ के पास थी ट्रेन
मुरादाबाद। हैरत की बात है कि सूचना प्रसारित होने के बाद भी ट्रेन (02407) कर्मभूमि एक्सप्रेस ने सात जिलों के सात बड़े स्टेशन पार किए, लेकिन कोई जिम्मेदार नहीं चेता। वहीं एसपी जीआरपी अपर्णा गुप्ता ने ई-मेल को बहुत गंभीरता से लिया और मुरादाबाद, रामपुर, चंदौसी और बरेली के थानाध्यक्षों को अलर्ट किया। एक घंटे के भीतर सारी योजना तैयार कर ली गई और सुबह चार बजे तक चारों जिलों के थानाध्यक्ष मुरादाबाद आ गए। इसी मुस्तैदी के फलस्वरूप बच्चों को मजदूरी के लिए ले जाने वाले आरोपी पकड़े गए।
बाल कल्याण संगठन के प्रदेश समन्वयक ने 30 जून को सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर कटिहार रेलवे स्टेशन पर बच्चों को ट्रेन में ले जाते देखा था। जब उन्होंने देर रात 12 बजकर तीन मिनट पर सूचना जीआरपी को भेजी तो ट्रेन लखनऊ से पीछे थी। इसके बाद तड़के तीन बजकर पांच मिनट पर ट्रेन सीतापुर में रुकी। वहां कुछ बच्चों को उतारा गया, लेकिन लखनऊ मंडल की जीआरपी ने कोई एक्शन नहीं लिया।
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यही नहीं गोरखपुर, लखनऊ, सीतापुर, शाहजहांपुर, हरदोई, बरेली, रामपुर तक ट्रेन ने 7 बड़े स्टेशन पार कर लिए। इस बीच जीआरपी मुरादाबाद ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली। चार बजे थानाध्यक्षों के मुरादाबाद पहुंचने के बाद छह टीमें गठित हुईं। सीओ जीआरपी देवीदयाल भी सादी वर्दी में ऑपरेशन का नेतृत्व करने पहुंचे। सुबह सात बजे तक स्टेशन अधीक्षक को पत्र सौंपकर ट्रेन को मुरादाबाद स्टेशन पर ज्यादा समय तक रोकने की अनुमति ली गई।
इसके बाद जैसे ही ट्रेन 08.40 बजे मुरादाबाद पहुंची जीआरपी की छह टीमों ने ट्रेन को घेर लिया। सभी कोचों में चेक किया गया तो सूचना सही साबित हुई। जीआरपी ने तीनों आरोपियों समेत कुल 82 लोगों को हिरासत में ले लिया। बाद में कार्रवाई के आधार पर 41 व्यस्कों को छोड़ दिया गया। तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज किया गया और 38 नाबालिग बच्चों को चाइल्ड लाइन के साथ मिलकर संरक्षण में रखा गया है।
बच्चों को घुमाने ले जाने का बहाना बनाते रहे आरोपी
जीआरपी के बार-बार पूछने पर भी पकड़े गए तीनों आरोपी बच्चों को घुमाने ले जाने का बहाना बनाते रहे। वहीं, बच्चों का कहना था कि वे उन्हें मजदूरी के लिए पंजाब लेकर जा रहे हैं। इनमें से कई बच्चों को आरोपी व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। तीनों आरोपियों में से एक बिहार, एक पश्चिम बंगाल और एक पंजाब का निवासी है। जीआरपी को शक है कि पंजाब में फैक्टरियों में जगह खाली होने पर पंजाब का आरोपी बिहार और पश्चिम बंगाल में संपर्क करता था। वहां से जरूरतमंद बच्चों को नौकरी का लालच देकर पंजाब पहुंचा दिया जाता था। हालांकि इस मामले में जीआरपी तहकीकात कर रही है।
पांच से आठ हजार रुपये की नौकरी का था लालच
पकड़े गए तीनों आरोपी जरूरतमंद बच्चों को नौकरी पर पांच से आठ हजार रुपये प्रतिमाह देने की बात पर ले जा रहे थे। बरामद कि गए बच्चों में कुछ आपस में रिश्तेदार भी हैं। जबकि सात बच्चों के बारे में आरोपी कोई प्रमाण नहीं दे पाए हैं। जीआरपी का कहना है कि छोड़े गए 41 व्यस्कों में से इन कुछ बच्चों को अपना रिश्तेदार बता रहे हैं। लेकिन जीआरपी ने उन्हें बच्चे नहीं सौंपे हैं। एसपी जीआरपी अपर्णा गुप्ता का कहना है कि बच्चों के माता-पिता के आने पर ही उन्हें सुपुर्द किया जाएगा अन्यथा जीारपी स्वयं उन्हें घर तक छोड़ेगी।
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आरोपियों पर इन धाराओं के तहत होगी कार्रवाई
1- आईपीसी 1860 की धारा 370 किसी भी व्यक्ति, मानव या बालक को खरीदने या बेचने में कम से कम दस साल की सजा, अधिक से अधिक आजीवन कारावास एवं आर्थिक दंड। यह गैर जमानती अपराध है।
2- आईपीसी 1860 की धारा 374 किसी भी कार्य के लिए दूसरे को विवश करना। इसके लिए एक या उससे अधिक वर्ष का कारावास साथ ही अर्थ दंड (न्यायालय के विवेकानुसार)
3- बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन अधिनियम) 1986 की धारा 14(3)(डी) बालकों के कार्य की परिसीमा एवं कार्यों की अनुमति। इसमें सजा तीन माह से कम नहीं हो सकती एवं जुर्माना दस से बीस हजार तक है।
4- किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 बाल विवाह से सबंधित है, जिसके अंतर्गत संरक्षक को आरोपी बनाया जा सकता है। इसमें सजा दो वर्ष है।
5- किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 79 के तहत यदि कोई व्यक्ति अपनी कमाई बढ़ाने के लिए बालकों का प्रयोग करता है (जैसे नट का तमाशा) तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा। इसमें सजा पांच वर्ष एवं जुर्माना एक लाख तक हो सकता है। यह गैर जमानती है।
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