मेरठ। सोफिया स्कूल अब अपने ही जवाब में फंसता नजर आ रहा है। डिप्टी रजिस्ट्रार ने सोफिया प्रबंधन की तरफ से पहले नोटिस के जवाब को पूरी तरह नियमों के विपरीत बताकर दूसरा नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में उन्होेंने सोफिया सोसायटी की नौ वर्षों की बैलेंस शीट से ईसाई मिशनरी सोसायटियों को करीब 2.65 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने को गलत बताते हुए फिर से जवाब मांगा है।
ये है मामला
डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स सुभाष सिंह ने एजुकेशनल सोसाइटी ऑफ सोफिया स्कूल को 23 अप्रैल, 2 मई और 19 मई को नोटिस जारी किए थे। जिसमें उन्होंने सोसायटी एक्ट के उल्लंघन की बात कही थी। सोफिया सोसायटी द्वारा स्कूल से प्राप्त आय को स्कूल के विकास में न लगाकर दूसरी अन्य संस्थाओं में ट्रांसफर करने को गलत बताते हुए यह धन वापस मंगाने की बात कही थी। इन नोटिसों का जवाब सोफिया सोसायटी ने 29 मई को भेजकर जहां डिप्टी रजिस्ट्रार के अधिकारों पर ही सवाल खड़े किए थे तो सोसायटी के सचिव को असीमित अधिकार होने की बात कही गयी। इसके बाद डिप्टी रजिस्ट्रार द्वारा जारी नोटिस में कहा गया कि सचिव मात्र एक सदस्य है, उसे असीमित अधिकार नहीं है। संस्था के सचिव या अन्य किसी सदस्य को सोसायटी एक्ट में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।
बिना अनुमति फीस ट्रांसफर
डिप्टी रजिस्ट्रार ने बताया कि नियमानुसार संस्था द्वारा बालिकाओं के शुल्क से प्राप्त आय को विद्यालय विकास में व्यय करना था। लेकिन इस कमाई को उन्होंने बिना डिप्टी रजिस्ट्रार की अनुमति के अन्य संस्थाओं को प्रदान कर दिया। इससे स्पष्ट होता है कि स्कूल बालिकाओं की ट्यूशन फीस का प्रयोग लाभ प्राप्त करने के लिए हो रहा है।
इन संस्थाओं को गया पैसा
डिप्टी रजिस्ट्रार ने बैलेंस शीट का अवलोकन करने के बाद नोटिस में खुलासा किया है कि सोफिया सोसायटी ने वर्ष 2006 से 2014 के बीच करीब 2 करोड़ 64 लाख 91 हजार रुपये अन्य संस्थाओं को दिए हैं। इनमें सोसायटी आफ मिशन सिस्टर आफ अजमेर को सबसे ज्यादा करीब 2.11 करोड़ रुपये दिए गए। जबकि फातिमा सोसायटी मेरठ को करीब 44.30 लाख रुपये, सोफिया एजुकेशनल सोसाइटी बी सहारनपुर को 7.50 लाख रुपये, सेंट क्लेयर सेवा सदन कथून को 50 हजार रुपये और आदर्श विद्यालय एजुकेशनल सोसाइटी निरूल गोवा को 1.50 लाख रुपये दिए गए।
2018 तक की मांगी बैलेंस शीट
डिप्टी रजिस्ट्रार ने नोटिस में सोफिया सोसाइटी से अब साल 2015 से साल 2018 तक की बैलेंस शीट मांगी है। सोसायटी को वर्ष 2008, 2009 और 2011 में भी बैलेंस शीट मांगने को पत्र लिखा गया था। बैलेंस शीट को देखने पर पता चला था कि अत्यधिक धन अन्य स्थानों पर ट्रांसफर किया गया है। पत्र में यह भी उल्लेख था कि धन ट्रांसफर से पूर्व सोफिया सोसायटी ने अनिवार्य होने के बावजूद रजिस्ट्रार से अनुमति नहीं ली और धन का ट्रांसफर होता रहा। ऐसे में पूरी संभावना है कि साल 2015 से 2018 के बीच भी संस्था ने मोटी धनराशि ट्रांसफर की।
विधि व्यवस्था को चुनौती
सोफिया सोसायटी के जवाब में कहा गया है कि ट्रांसफर किए धन को वापस मंगाने की बात कर डिप्टी रजिस्ट्रार सचिव का शोषण कर रहे हैं। इस पर डिप्टी रजिस्ट्रार ने कहा कि धन को वापस मंगाकर सोफिया सोसायटी के खाते में जमा करने का निर्देश शोषण की श्रेणी में नहीं आता है। इस तरह के शब्द विधि व्यवस्था को चुनौती देना है।
अन्य समितियों को धन देना गबन
डिप्टी रजिस्ट्रार ने नोटिस में कहा है कि संस्था के खाते में प्राप्त धनराशि उसी समिति की धनराशि है, जिस समिति से वह प्राप्त की गयी है। इस धनराशि का अन्य समितियों को ट्रांसफर करना संस्था के पदाधिकारियों के अधिकार में नहीं है इसलिए यह गबन की श्रेणी में माना जाता है।
अन्य बिंदुओं पर भी जतायी असहमति
डिप्टी रजिस्ट्रार ने नोटिस के अन्य बिंदुओं पर आए जवाबों पर भी असंतुष्टि जतायी है। इससे साफ है कि सोफिया स्कूल अब कहीं न कहीं फंसता नजर आ रहा है।
शासन तक पहुंचा मामला
सोफिया सोसायटी का यह मामला शासन तक पहुंच चुका है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के साथ डिप्टी रजिस्ट्रार ने भी शासन को सूचना दी है। माना जा रहा है कि सोफिया सोसायटी द्वारा जिस तरह अन्य संस्थाओं को धन ट्रांसफर किया गया है, उसकी जांच के साथ अन्य स्कूलों की भी किसी एजेंसी से जांच हो सकती है।
खास बातें:
डिप्टी रजिस्ट्रार ने बैलेंस शीट देखने के बाद जारी किए नोटिस में खोला ब्यौरा
सोफिया के जवाब को बताया नियमों के विपरीत, सचिव के असीमित अधिकार नकारे
मेरठ। सोफिया स्कूल अब अपने ही जवाब में फंसता नजर आ रहा है। डिप्टी रजिस्ट्रार ने सोफिया प्रबंधन की तरफ से पहले नोटिस के जवाब को पूरी तरह नियमों के विपरीत बताकर दूसरा नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में उन्होेंने सोफिया सोसायटी की नौ वर्षों की बैलेंस शीट से ईसाई मिशनरी सोसायटियों को करीब 2.65 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने को गलत बताते हुए फिर से जवाब मांगा है।
ये है मामला
डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स सुभाष सिंह ने एजुकेशनल सोसाइटी ऑफ सोफिया स्कूल को 23 अप्रैल, 2 मई और 19 मई को नोटिस जारी किए थे। जिसमें उन्होंने सोसायटी एक्ट के उल्लंघन की बात कही थी। सोफिया सोसायटी द्वारा स्कूल से प्राप्त आय को स्कूल के विकास में न लगाकर दूसरी अन्य संस्थाओं में ट्रांसफर करने को गलत बताते हुए यह धन वापस मंगाने की बात कही थी। इन नोटिसों का जवाब सोफिया सोसायटी ने 29 मई को भेजकर जहां डिप्टी रजिस्ट्रार के अधिकारों पर ही सवाल खड़े किए थे तो सोसायटी के सचिव को असीमित अधिकार होने की बात कही गयी। इसके बाद डिप्टी रजिस्ट्रार द्वारा जारी नोटिस में कहा गया कि सचिव मात्र एक सदस्य है, उसे असीमित अधिकार नहीं है। संस्था के सचिव या अन्य किसी सदस्य को सोसायटी एक्ट में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।
बिना अनुमति फीस ट्रांसफर
डिप्टी रजिस्ट्रार ने बताया कि नियमानुसार संस्था द्वारा बालिकाओं के शुल्क से प्राप्त आय को विद्यालय विकास में व्यय करना था। लेकिन इस कमाई को उन्होंने बिना डिप्टी रजिस्ट्रार की अनुमति के अन्य संस्थाओं को प्रदान कर दिया। इससे स्पष्ट होता है कि स्कूल बालिकाओं की ट्यूशन फीस का प्रयोग लाभ प्राप्त करने के लिए हो रहा है।
इन संस्थाओं को गया पैसा
डिप्टी रजिस्ट्रार ने बैलेंस शीट का अवलोकन करने के बाद नोटिस में खुलासा किया है कि सोफिया सोसायटी ने वर्ष 2006 से 2014 के बीच करीब 2 करोड़ 64 लाख 91 हजार रुपये अन्य संस्थाओं को दिए हैं। इनमें सोसायटी आफ मिशन सिस्टर आफ अजमेर को सबसे ज्यादा करीब 2.11 करोड़ रुपये दिए गए। जबकि फातिमा सोसायटी मेरठ को करीब 44.30 लाख रुपये, सोफिया एजुकेशनल सोसाइटी बी सहारनपुर को 7.50 लाख रुपये, सेंट क्लेयर सेवा सदन कथून को 50 हजार रुपये और आदर्श विद्यालय एजुकेशनल सोसाइटी निरूल गोवा को 1.50 लाख रुपये दिए गए।
2018 तक की मांगी बैलेंस शीट
डिप्टी रजिस्ट्रार ने नोटिस में सोफिया सोसाइटी से अब साल 2015 से साल 2018 तक की बैलेंस शीट मांगी है। सोसायटी को वर्ष 2008, 2009 और 2011 में भी बैलेंस शीट मांगने को पत्र लिखा गया था। बैलेंस शीट को देखने पर पता चला था कि अत्यधिक धन अन्य स्थानों पर ट्रांसफर किया गया है। पत्र में यह भी उल्लेख था कि धन ट्रांसफर से पूर्व सोफिया सोसायटी ने अनिवार्य होने के बावजूद रजिस्ट्रार से अनुमति नहीं ली और धन का ट्रांसफर होता रहा। ऐसे में पूरी संभावना है कि साल 2015 से 2018 के बीच भी संस्था ने मोटी धनराशि ट्रांसफर की।
विधि व्यवस्था को चुनौती
सोफिया सोसायटी के जवाब में कहा गया है कि ट्रांसफर किए धन को वापस मंगाने की बात कर डिप्टी रजिस्ट्रार सचिव का शोषण कर रहे हैं। इस पर डिप्टी रजिस्ट्रार ने कहा कि धन को वापस मंगाकर सोफिया सोसायटी के खाते में जमा करने का निर्देश शोषण की श्रेणी में नहीं आता है। इस तरह के शब्द विधि व्यवस्था को चुनौती देना है।
अन्य समितियों को धन देना गबन
डिप्टी रजिस्ट्रार ने नोटिस में कहा है कि संस्था के खाते में प्राप्त धनराशि उसी समिति की धनराशि है, जिस समिति से वह प्राप्त की गयी है। इस धनराशि का अन्य समितियों को ट्रांसफर करना संस्था के पदाधिकारियों के अधिकार में नहीं है इसलिए यह गबन की श्रेणी में माना जाता है।
अन्य बिंदुओं पर भी जतायी असहमति
डिप्टी रजिस्ट्रार ने नोटिस के अन्य बिंदुओं पर आए जवाबों पर भी असंतुष्टि जतायी है। इससे साफ है कि सोफिया स्कूल अब कहीं न कहीं फंसता नजर आ रहा है।
शासन तक पहुंचा मामला
सोफिया सोसायटी का यह मामला शासन तक पहुंच चुका है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के साथ डिप्टी रजिस्ट्रार ने भी शासन को सूचना दी है। माना जा रहा है कि सोफिया सोसायटी द्वारा जिस तरह अन्य संस्थाओं को धन ट्रांसफर किया गया है, उसकी जांच के साथ अन्य स्कूलों की भी किसी एजेंसी से जांच हो सकती है।
खास बातें:
डिप्टी रजिस्ट्रार ने बैलेंस शीट देखने के बाद जारी किए नोटिस में खोला ब्यौरा
सोफिया के जवाब को बताया नियमों के विपरीत, सचिव के असीमित अधिकार नकारे