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मेडिकल कॉलेज का बजट घटा, प्रबंधन परेशान
मेरठ। मेडिकल कॉलेज से संकट के बादल हट नहीं रहे हैं। मामला एमबीबीएस की 50 सीटों का हो या फिर 150 करोड़ रुपये से बने सुपर स्पेशयलिटी ब्लॉक का। नई मुसीबत दवाइयों के बजट को लेकर है। मेडिकल कॉलेज का पांच करोड़ रुपये का बजट कम कर दिया गया है। वर्ष 2017-18 में मेडिकल कॉलेज को 15 करोड़ रुपये का बजट मिला था, जिसे 2018-19 में घटाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है, इस कारण करीब पांच करोड़ रुपये की दवाइयां उधार मंगानी पड़ी हैं, जिनका भुगतान नहीं किया गया है।
यह हालात तब हैं जब मरीजों की संख्या 2 लाख 62 हजार 863 बढ़ गई है। ऐसे में मरीजों के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज प्रबंधन भी परेशान है। क्योंकि शासन से साफ निर्देश दिए हैं कि इसी बजट में काम चलाना पड़ेगा। नियमानुसार 347 तरह की पूरी दवाइयां रखनी होगी और अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ानी होगी। यदि बाहर से दवाइयां लिखी तो कार्रवाई होगी। मेडिकल में इस वक्त 317 तरह की दवाइयां मौजूद हैं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने 750 बेडों की स्वीकृति दी हुई है, जबकि जरूरत के हिसाब से 1040 बेड तक इन्हें बढ़ाया जा सकता है। वर्ष 2018-19 में मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में 9 लाख 50 हजार 424 मरीज आए। इनमें से 33289 मरीज भर्ती किए गए। 20 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े ऑपरेशन किए गए। साल 2017-18 में मेडिकल कॉलज में छह लाख 87 हजार 561 मरीज वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आए थे। इनमें से 28 हजार 832 मरीज भर्ती किए गए थे। 17 हजार 989 मरीजों के मेजर और माइनर (छोटे-बड़े) ऑपरेशन किए गए थे।
पहले यहां मरीज पांच से छह लाख आते थे तो दवाओं का बजट चार करोड़ रुपये आता था। इसके बाद मरीज छह से सात लाख आने लगे तो दवाओं का बजट बढ़ाकर छह करोड़ रुपये कर दिया गया। लेकिन जब इससे काम नहीं चला और उधार दवाइयां मंगानी पड़ती रही तो मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने बजट को बढ़ाकर 15 करोड़ रुपये करने की मांग की। यह मांग मान ली गई और 2017-18 में 15 करोड़ रुपये बजट मुहैया कराया गया। लेकिन 2018-19 में फिर इसमें बदलाव किया गया। 15 करोड़ रुपये बजट मांगे जाने के बावजूद 10 करोड़ रुपये बजट दिया गया। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि जब मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो बजट कैसे कम किया जा सकता है।
शासन से बजट बढ़ाने की मांग की
शासन से मेडिकल कॉलेज में दवाओं का बजट बढ़ाने की मांग की गई है। दवाओं का जो बजट आता है, इसी में से ऑक्सीजन का भी बजट निकालना पड़ता है, जो करीब पांच से छह करोड़ रुपये बनता है। बजट बढ़ने से ही दवाओं का संकट कम हो सकेगा। -डॉ. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज