दिल्ली की तरह अब प्रदेश में भी बाइक चालक के साथ ही सवार को भी हेलमेट लगाना अनिवार्य होगा। इस बाबत यूपी कैबिनेट का फैसला आया है। जनपद में तीन वर्ष में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 250 लोगों की मौत हुई। जिसमें से अधिकतर बिना हेलमेट के बाइक चला रहे थे या पीछे सवार थे।
ट्रैफिक विभाग का मानना है कि यदि यह लोग नियम और आदेश का पालन करते हुए बाइक चलाते समय हेलमेट पहनते तो इनके सिर में चोट नहीं लगती और इनकी जान बच सकती थी। इस प्रकार के आए दिन हो रहे हादसों के बाद भी लोग नहीं सबक ले रहे हैं।
और धड़ल्ले से बगैर हेलमेट पहने बाइक चला रहे हैं। पुलिस बीच-बीच में अभियान चलाकर ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करती है लेकिन उसका इन पर कोई असर नहीं। सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुपालन में प्रशासन सरकारी कर्मचारियों की भी मदद लेगा।जनपद में मार्ग दुर्घटनाओं पर नजर डालें तो शायद ही कोई ऐसा दिन बीता होगा जिस दिन मार्ग दुर्घटना नहीं हुई होगी। इसमें जहां कुछ की जान चली जाती है तो कुछ अपंगता का दंश झेलते हैं।
इतनी घटनाओं के बाद भी कोई इन मार्ग दुर्घटनाओं से सबक नहीं लेता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2015 में कुल 225 मार्ग दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 126 लोगों की मौत हो गई जब कि 121 लोग घायल हो गए। इस वर्ष भी 60 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं इसमें 35 लोगों की जान जा चुकी है।
इन घटनाओं में अधिकांश मामले बाइक से टकराने वाले हैं। मौत के पीछे बाइक पर चलते समय हेलमेट का ना लगना कहा जा सकता है, क्योंकि चिकित्सकों का मानना है कि मार्ग दुर्घटना के दौरान हेड इंजरी के चलते ही अधिकांश मौत होती हैं। हेलमेट रहने से सिर में गंभीर चोट ना लगने से जान को बचाया जा सकता है।
दिल्ली की तरह अब प्रदेश में भी बाइक चालक के साथ ही सवार को भी हेलमेट लगाना अनिवार्य होगा। इस बाबत यूपी कैबिनेट का फैसला आया है। जनपद में तीन वर्ष में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 250 लोगों की मौत हुई। जिसमें से अधिकतर बिना हेलमेट के बाइक चला रहे थे या पीछे सवार थे।
ट्रैफिक विभाग का मानना है कि यदि यह लोग नियम और आदेश का पालन करते हुए बाइक चलाते समय हेलमेट पहनते तो इनके सिर में चोट नहीं लगती और इनकी जान बच सकती थी। इस प्रकार के आए दिन हो रहे हादसों के बाद भी लोग नहीं सबक ले रहे हैं।
और धड़ल्ले से बगैर हेलमेट पहने बाइक चला रहे हैं। पुलिस बीच-बीच में अभियान चलाकर ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करती है लेकिन उसका इन पर कोई असर नहीं। सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुपालन में प्रशासन सरकारी कर्मचारियों की भी मदद लेगा।जनपद में मार्ग दुर्घटनाओं पर नजर डालें तो शायद ही कोई ऐसा दिन बीता होगा जिस दिन मार्ग दुर्घटना नहीं हुई होगी। इसमें जहां कुछ की जान चली जाती है तो कुछ अपंगता का दंश झेलते हैं।
इतनी घटनाओं के बाद भी कोई इन मार्ग दुर्घटनाओं से सबक नहीं लेता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2015 में कुल 225 मार्ग दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 126 लोगों की मौत हो गई जब कि 121 लोग घायल हो गए। इस वर्ष भी 60 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं इसमें 35 लोगों की जान जा चुकी है।
इन घटनाओं में अधिकांश मामले बाइक से टकराने वाले हैं। मौत के पीछे बाइक पर चलते समय हेलमेट का ना लगना कहा जा सकता है, क्योंकि चिकित्सकों का मानना है कि मार्ग दुर्घटना के दौरान हेड इंजरी के चलते ही अधिकांश मौत होती हैं। हेलमेट रहने से सिर में गंभीर चोट ना लगने से जान को बचाया जा सकता है।