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यूपी: बांदा में बकस्वाहा जंगल को काटने पर एनजीटी ने लगाई रोक, कुछ दिन पहले बिड़ला ग्रुप से मांगा था जवाब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बांदा
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Thu, 01 Jul 2021 08:31 PM IST
बुंदेलखंड के मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बकस्वाहा जंगल मेें हीरा परियोजना लागू की जा रही है। मध्यप्रदेश की सरकार ने बकस्वाहा में लगभग 382 हेक्टेयर जंगली भूमि हीरा खनन के लिए देश की नामचीन कंपनी एक्सल माइनिंग इंडस्ट्रीज को 50 साल के पट्टे पर दी है।
बकस्वाहा जंगल
- फोटो : amar ujala
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बांदा के बुंदेलखंड में हीरा खदान के लिए बकस्वाहा जंगल के दो लाख से ज्यादा हरे-भरे पेड़ बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों की मेहनत अब रंग लाई है। एनजीटी ने बकस्वाहा के जंगल काटने पर रोक लगा दी है। पेड़ों को कटने से बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों द्वारा पांच जून को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर की थी।
बता दें कि एनजीटी ने हीरा खनन योजना में शामिल बिड़ला ग्रुप की माइनिंग कंपनी को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा था। एनजीटी ने जंगल कटने से होने वाले पर्यावरणीय प्रभाव की आकलन की रिपोर्ट भी माइनिंग कंपनी से तलब की थी।
बुंदेलखंड के मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बकस्वाहा जंगल मेें हीरा परियोजना लागू की जा रही है। मध्यप्रदेश की सरकार ने बकस्वाहा में लगभग 382 हेक्टेयर जंगली भूमि हीरा खनन के लिए देश की नामचीन कंपनी एक्सल माइनिंग इंडस्ट्रीज को 50 साल के पट्टे पर दी है।
यह कंपनी बिड़ला ग्रुप की है। दिल्ली के पीजी नाथ पांडेय व रजत भार्गव ने अधिवक्ता प्रभात यादव के माध्यम से याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट में पहले ही इस मुद्दे पर नेहा सिंह रिट दायर कर चुकी हैं। उनके अधिवक्ता प्रीत सिंह हैं।
एनजीटी में दायर याचिका में कहा गया था कि हीरा खनन परियोजना से बायलाजिकल पर्यावरण को क्षति पहुंचने की आशंका है। मांग की गई कि बकस्वाहा जंगल में हीरा खनन के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस (अनापत्ति प्रमाणपत्र) न दिया जाए। हालांकि, माइनिंग कंपनी पहल से ही यह दावा कर रही थी कि हीरा खनन परियोजना से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि परियोजना में 2.15 लाख पेड़-पौधे काटने की तैयारी है।
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