यूपी डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Wed, 24 Jul 2019 01:44 PM IST
सावन मास को भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का महीना माना गया है। इस माह से बारिश भी शुरू हो जाती है जिसके चलते देशभर में पौधरोपण कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। ऐसे में यदि हम शंकर के प्रिय पौधों को लगाएं तो उससे पर्यावरण को भी फायदा होगा और आपके ग्रह भी अनुकूल होंगे।
डॉ. आदित्य पांडेय और आचार्य सत्येंद्र अग्निहोत्री का कहना है कि शिव महापुराण, शुक्ल यजुर्वेद, ऋग्वेद में शिवजी के पूजन का विधान बताया गया है। भगवान शंकर बेलपत्र, शमीपत्र, अकौड़ा एवं धतूरा चढ़ाने से खुश होते है।
सावन में इन पौधों का रोपण कर भगवान शंकर की कृपा प्राप्त की जा सकती है। शमी का वृक्ष शनि ग्रह के दोष निवारण में भी प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार अकौड़ा सूर्य के दोष को शांत करने के लिए तथा सूर्य को प्रबल करने के लिए प्रयोग में आता है।
धतूरा आयुर्वेदिक रूप से बहुत ही लाभपद्र है तथा पशुओं के लिए दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी देता है। वहीं, बेलपत्र शिवजी पर अर्पित करने से एक करोड़ कन्या दान के समान लाभ प्राप्त होता है तथा 100 अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है।
आयुर्वेद में पेट संबंधी असाध्य बीमारियों का एक मात्र इलाज बेल है तथा नवग्रह में मंगल, गुरु एवं राहु के दुष्प्रभाव को भी शांत करता है। भगवान भोले पर दूर्वांकुर भी चढ़ाए जाते है।
जिनका आयुर्वेदिक महत्व रक्त को शुद्ध करने में तथा रक्त की मात्रा में लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) की बढ़ोत्तरी में सहायक हैं। यह कैंसर जैसे असाध्य रोग को दूर करने में भी सहायक है। केतु ग्रह को शांत करने के लिए भी दूर्वा का प्रयोग किया जाता है।
सावन मास को भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का महीना माना गया है। इस माह से बारिश भी शुरू हो जाती है जिसके चलते देशभर में पौधरोपण कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। ऐसे में यदि हम शंकर के प्रिय पौधों को लगाएं तो उससे पर्यावरण को भी फायदा होगा और आपके ग्रह भी अनुकूल होंगे।
डॉ. आदित्य पांडेय और आचार्य सत्येंद्र अग्निहोत्री का कहना है कि शिव महापुराण, शुक्ल यजुर्वेद, ऋग्वेद में शिवजी के पूजन का विधान बताया गया है। भगवान शंकर बेलपत्र, शमीपत्र, अकौड़ा एवं धतूरा चढ़ाने से खुश होते है।