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हरदोई। नुमाइश मैदान में चल रही रामलीला में मंगलवार को लंका दहन की लीला का मंचन किया गया। वृंदावन से आए कलाकारों ने लंका दहन और इसके पूर्व अशोक वाटिका को तहस नहस करने की लीला को बिल्कुल सजीव ढंग से प्रस्तुत किया। जिसे देख दर्शक भाव-विभोर हो गए।
मेला श्रीराम लीला कमेटी के तत्वावधान में आयोजित लीला में कलाकारों ने बड़े ही प्रभावपूर्ण ढंग से मंचन किया। मंचन से पूर्व कथा व्यास विष्णु कुमार दत्तात्रेय ने लीलाओं का सारगर्भित वर्णन लोगों को सुनाया। मंचन में दिखाया कि हनुमान ने लंकिनी का उद्धार कर सूक्ष्म रूप धर कर लंका में प्रवेश किया। वे सीता की खोज करते हैं लेकिन कहीं सीता नहीं दिखाई देती हैं। लंका में भ्रमण के दौरान एक भवन से राम धुन सुनाई पड़ती है तो अचंभित होकर कहते हैं कि लंका में ऐसा कौन है जो राम नाम ले रहा है। विभीषण यह जानकर कि हनुमान आएं हैं अपने धन्य समझते हैं। सीता जी का पता जानकर वह अशोक वाटिका पहुंचते हैं और प्रभू श्रीराम की मुद्रिका सीता जी के पास गिराते हैं जिससे वह तुरंत पहचान जाती हैं।
हनुमान कहते हैं कि हे माता मुझे बहुत भूख लगी है। वह आज्ञा पाकर अशोक वाटिका से फल तोड़ कर खाते हैं और अशोक वाटिका को तहस नहस कर देते हैं। इसकी सूचना जब रावण को मिलती है तो वह अक्षय कुमार को भेजते हैं लेकिन हनुमान उनका वध कर देते हैं। रावण इसके बाद मेघनाद को भेजता है तो वह हनुमान को ब्रह्मफांस में बांध कर लेता है। कलाकारों ने रावण और हनुमान के बीच संवाद को प्रस्तुत किया वहीं इसके बाद हनुमान की पूंछ में आग लगाने तथा हनुमान द्वारा लंका जलाने की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया।
सोमवार की देर शाम नुमाइश मैदान के पंडाल में वृंदावन के कलाकारों द्वारा रासलीला का भी आयोजन किया गया। इस दौरान आयोजक राम प्रकाश शुक्ला, कृष्ण अवतार दीक्षित सहित कई कमेटी सदस्य व पदाधिकारी मौजूद रहे।
हरदोई। नुमाइश मैदान में चल रही रामलीला में मंगलवार को लंका दहन की लीला का मंचन किया गया। वृंदावन से आए कलाकारों ने लंका दहन और इसके पूर्व अशोक वाटिका को तहस नहस करने की लीला को बिल्कुल सजीव ढंग से प्रस्तुत किया। जिसे देख दर्शक भाव-विभोर हो गए।
मेला श्रीराम लीला कमेटी के तत्वावधान में आयोजित लीला में कलाकारों ने बड़े ही प्रभावपूर्ण ढंग से मंचन किया। मंचन से पूर्व कथा व्यास विष्णु कुमार दत्तात्रेय ने लीलाओं का सारगर्भित वर्णन लोगों को सुनाया। मंचन में दिखाया कि हनुमान ने लंकिनी का उद्धार कर सूक्ष्म रूप धर कर लंका में प्रवेश किया। वे सीता की खोज करते हैं लेकिन कहीं सीता नहीं दिखाई देती हैं। लंका में भ्रमण के दौरान एक भवन से राम धुन सुनाई पड़ती है तो अचंभित होकर कहते हैं कि लंका में ऐसा कौन है जो राम नाम ले रहा है। विभीषण यह जानकर कि हनुमान आएं हैं अपने धन्य समझते हैं। सीता जी का पता जानकर वह अशोक वाटिका पहुंचते हैं और प्रभू श्रीराम की मुद्रिका सीता जी के पास गिराते हैं जिससे वह तुरंत पहचान जाती हैं।
हनुमान कहते हैं कि हे माता मुझे बहुत भूख लगी है। वह आज्ञा पाकर अशोक वाटिका से फल तोड़ कर खाते हैं और अशोक वाटिका को तहस नहस कर देते हैं। इसकी सूचना जब रावण को मिलती है तो वह अक्षय कुमार को भेजते हैं लेकिन हनुमान उनका वध कर देते हैं। रावण इसके बाद मेघनाद को भेजता है तो वह हनुमान को ब्रह्मफांस में बांध कर लेता है। कलाकारों ने रावण और हनुमान के बीच संवाद को प्रस्तुत किया वहीं इसके बाद हनुमान की पूंछ में आग लगाने तथा हनुमान द्वारा लंका जलाने की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया।
सोमवार की देर शाम नुमाइश मैदान के पंडाल में वृंदावन के कलाकारों द्वारा रासलीला का भी आयोजन किया गया। इस दौरान आयोजक राम प्रकाश शुक्ला, कृष्ण अवतार दीक्षित सहित कई कमेटी सदस्य व पदाधिकारी मौजूद रहे।