गोंडा। बेसिक शिक्षा में जर्जर स्कूलों को ढहाने का सिलसिला जारी है। अब तक 278 बेसिक स्कूलों को ढहा दिया गया है। अब छात्रों को पढ़ाई के लिए पेड़ या फिर अतिरिक्त कक्षा कक्षों का ही सहारा है। अभी भी जिले में तीन सौ के करीब स्कूल भवनों को ढहाया जाना है।
स्कूलों में आ रही कक्षा कक्षों की कमी पर विभाग मंथन में जुटा है। भवन की कमी होने से पढ़ाई तो प्रभावित हो रही है, वहीं अब ठंड में कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां स्कूल संचालन पर भी दिक्कत होगी। विभाग की मानें तो पंचायतों के सहयोग से भवनों को ठीक कराया गया है और पढ़ाई हो रही है।
बेसिक शिक्षा में कई सालों से जर्जर भवनों में पढ़ाई हो रही थी। बीते साल 2019 में एक हादसे के बाद जर्जर भवनों को ढहाने की कार्रवाई में तेजी आई। जिले के 278 स्कूल भवनों को ढहाया जा चुका है।
लेकिन नए भवनों के निर्माण की कार्रवाई आगे नही बढ़ सकी है। जिससे अब दिक्कत आ रही है। हलधरमऊ के एक पूर्व माध्यमिक स्कूल कपूरपुर में तो भवन नही है। यहां के दो सौ से अधिक बच्चों को बाहर पेड़ के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही है।
इसी तरह जिले में एक दर्जन से अधिक स्कूल भवन हैं, जहां भवनों की कमी है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है, वहीं ठंड में और दिक्कत होगी। विभाग की ओर से पंचायतों से समन्वय स्थापित करके कुछ स्कूल भवनों का मरम्मत या फिर दोबारा निर्माण कराकर व्यवस्था बनाई गई है। इसके बाद भी कई स्कूलों में समस्या बनी हुई है।
झंझरी के पूर्व माध्यमिक स्कूल पूरे उदई के छात्रों की पहचान पूरे जिले में हैं। लेकिन आज तक इस स्कूल को अपना भवन नही मिल सका। बताया जा रहा है कि स्कूल की कक्षाएं परिसर के ही प्राइमरी स्कूल के एक कक्षा कक्ष में चल रहा है।
यहां पर जर्जर स्कूल भवन को भी नही हटाया गया है। यहां तक की यहां पर बाउंड्री तक नही है। इससे स्कूल की पढ़ाई के दौरान शिक्षकों को बाहर भी ध्यान रखना पड़ता है। ऐसा तब है जब कई आयोजनों में स्कूल को सम्मान मिल चुका है।
जिले में बड़ी संख्या में स्कूल भवनों को ढहाया गया है। विभाग की मानें तो तीन प्राइमरी स्कूल भवनों के निर्माण की स्वीकृति हुई है। वहीं 59 कक्षा कक्षों का निर्माण भी शामिल है। इससे कुछ स्कूलों को भवन मिलने की उम्मीद है। वहीं पंचायतों के केंद्रीय बजट से स्कूल भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है। फिलहाल अभी स्कूल भवनों की कमी होने से दिक्कतें आ रही हैं।
गोंडा। बेसिक शिक्षा में जर्जर स्कूलों को ढहाने का सिलसिला जारी है। अब तक 278 बेसिक स्कूलों को ढहा दिया गया है। अब छात्रों को पढ़ाई के लिए पेड़ या फिर अतिरिक्त कक्षा कक्षों का ही सहारा है। अभी भी जिले में तीन सौ के करीब स्कूल भवनों को ढहाया जाना है।
स्कूलों में आ रही कक्षा कक्षों की कमी पर विभाग मंथन में जुटा है। भवन की कमी होने से पढ़ाई तो प्रभावित हो रही है, वहीं अब ठंड में कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां स्कूल संचालन पर भी दिक्कत होगी। विभाग की मानें तो पंचायतों के सहयोग से भवनों को ठीक कराया गया है और पढ़ाई हो रही है।
बेसिक शिक्षा में कई सालों से जर्जर भवनों में पढ़ाई हो रही थी। बीते साल 2019 में एक हादसे के बाद जर्जर भवनों को ढहाने की कार्रवाई में तेजी आई। जिले के 278 स्कूल भवनों को ढहाया जा चुका है।
लेकिन नए भवनों के निर्माण की कार्रवाई आगे नही बढ़ सकी है। जिससे अब दिक्कत आ रही है। हलधरमऊ के एक पूर्व माध्यमिक स्कूल कपूरपुर में तो भवन नही है। यहां के दो सौ से अधिक बच्चों को बाहर पेड़ के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही है।
इसी तरह जिले में एक दर्जन से अधिक स्कूल भवन हैं, जहां भवनों की कमी है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है, वहीं ठंड में और दिक्कत होगी। विभाग की ओर से पंचायतों से समन्वय स्थापित करके कुछ स्कूल भवनों का मरम्मत या फिर दोबारा निर्माण कराकर व्यवस्था बनाई गई है। इसके बाद भी कई स्कूलों में समस्या बनी हुई है।
झंझरी के पूर्व माध्यमिक स्कूल पूरे उदई के छात्रों की पहचान पूरे जिले में हैं। लेकिन आज तक इस स्कूल को अपना भवन नही मिल सका। बताया जा रहा है कि स्कूल की कक्षाएं परिसर के ही प्राइमरी स्कूल के एक कक्षा कक्ष में चल रहा है।
यहां पर जर्जर स्कूल भवन को भी नही हटाया गया है। यहां तक की यहां पर बाउंड्री तक नही है। इससे स्कूल की पढ़ाई के दौरान शिक्षकों को बाहर भी ध्यान रखना पड़ता है। ऐसा तब है जब कई आयोजनों में स्कूल को सम्मान मिल चुका है।
जिले में बड़ी संख्या में स्कूल भवनों को ढहाया गया है। विभाग की मानें तो तीन प्राइमरी स्कूल भवनों के निर्माण की स्वीकृति हुई है। वहीं 59 कक्षा कक्षों का निर्माण भी शामिल है। इससे कुछ स्कूलों को भवन मिलने की उम्मीद है। वहीं पंचायतों के केंद्रीय बजट से स्कूल भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है। फिलहाल अभी स्कूल भवनों की कमी होने से दिक्कतें आ रही हैं।