पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
इटावा। गांव नगला निगोली निवासी छोटेलाल उर्फ सतेंद्र (20) की शादी 10 माह पहले सीमा के साथ हुई थी। मंगलवार की रात करीब 12:30 बजे सीमा को प्रसव पीड़ा हुई तो छोटेलाल उसे कार से लेकर निकल पड़ा। इधर, पूरा परिवार नए मेहमान के आने के इंतजार में था। सभी खुश थे। जिला अस्पताल में डाक्टरों ने चेकअप के बाद गर्भवती को सैफई पीजीआई ले जाने की सलाह दी। छोटेलाल पिता और दो रिश्तेदारों के साथ कार से रवाना हुआ कि डीएम चौराहे पर हादसा हो गया। घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाने के बाद उनके बताए नंबरों पर पुलिस ने फोन किया और हादसे की सूचना छोटेलाल के घर दी। इसके बाद घर पर कोहराम मच गया। परिजन जिला अस्पताल के लिए निकल पड़े। छोटेलाल के मरने की सूचना और घायलाें की हालत देख परिवार के लोग चीख पड़े। सीमा को शहर के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत को देखते हुए उसे छोटेलाल के मरने की खबर नहीं दी गई। सीमा बार-बार अपने पति का हाल जानने को बेताब रही। परिजन सभी के सकुशल होने की झूठी सूचना देकर उसे दिलासा दिलाते रहे।
---
जिला अस्पताल में होती व्यवस्था तो न जाती जान
छोटेलाल अपने परिवार के साथ सबसे पहले गर्भवती पत्नी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा था। यहां डाक्टरों ने चेकअप किया तो केस क्रिटिकल बताकर सैफई ले जाने की सलाह दी गी। अगर जिला अस्पताल में अच्छी व्यवस्था होती और उसे सैफई रिम्स रेफर करने की जरूरत न पड़ती तो यह हादसा न होता। परिजनों का भी कहना था कि जिला अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं भी इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं।
इटावा। गांव नगला निगोली निवासी छोटेलाल उर्फ सतेंद्र (20) की शादी 10 माह पहले सीमा के साथ हुई थी। मंगलवार की रात करीब 12:30 बजे सीमा को प्रसव पीड़ा हुई तो छोटेलाल उसे कार से लेकर निकल पड़ा। इधर, पूरा परिवार नए मेहमान के आने के इंतजार में था। सभी खुश थे। जिला अस्पताल में डाक्टरों ने चेकअप के बाद गर्भवती को सैफई पीजीआई ले जाने की सलाह दी। छोटेलाल पिता और दो रिश्तेदारों के साथ कार से रवाना हुआ कि डीएम चौराहे पर हादसा हो गया। घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाने के बाद उनके बताए नंबरों पर पुलिस ने फोन किया और हादसे की सूचना छोटेलाल के घर दी। इसके बाद घर पर कोहराम मच गया। परिजन जिला अस्पताल के लिए निकल पड़े। छोटेलाल के मरने की सूचना और घायलाें की हालत देख परिवार के लोग चीख पड़े। सीमा को शहर के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत को देखते हुए उसे छोटेलाल के मरने की खबर नहीं दी गई। सीमा बार-बार अपने पति का हाल जानने को बेताब रही। परिजन सभी के सकुशल होने की झूठी सूचना देकर उसे दिलासा दिलाते रहे।
---
जिला अस्पताल में होती व्यवस्था तो न जाती जान
छोटेलाल अपने परिवार के साथ सबसे पहले गर्भवती पत्नी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा था। यहां डाक्टरों ने चेकअप किया तो केस क्रिटिकल बताकर सैफई ले जाने की सलाह दी गी। अगर जिला अस्पताल में अच्छी व्यवस्था होती और उसे सैफई रिम्स रेफर करने की जरूरत न पड़ती तो यह हादसा न होता। परिजनों का भी कहना था कि जिला अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं भी इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं।