ब्लॉक बने ककोड़ तो 45 गांवों की भागदौड़ होगी कम
ककोड़/चोला। पिछले 12 साल से स्थानीय लोग ककोड़ को ब्लॉक बनाने की मांग कर रहे हैं। शासन ने इस मांग को अपनी हरी झंडी दिखाई और जमीन आवंटन के आदेश दिए। वर्ष 2019 में यहां शासन स्तर से ब्लॉक बनाए जाने की कवायद शुरू भी हुई। इसके लिए नगर पंचायत ने करीब चार बीघा जमीन ब्लॉक के लिए आवंटित भी कर दी, लेकिन कुछ समय बाद ही ब्लॉक बनाने का प्रस्ताव टल गया। जिससे एक बार फिर यहां के लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। वर्तमान में ककोड़, सिकंदराबाद ब्लॉक में आता है। यदि ककोड़ को ब्लॉक बना दिया जाए तो इसका लाभ आस-पास के 45 गांवों के लोगों को होगा। जिन लोगों को आज ब्लॉक स्तरीय अपना कोई कार्य कराने के लिए करीब 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है, उन्हें ककोड़ के ब्लॉक बनने पर इतनी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। करीब पांच से दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव के लोग चंद मिनटों में ही ककोड़ ब्लॉक पहुंचकर अपने काम निपटा सकते हैं। लेकिन, ग्रामीणों की इस आस को अभी पूरा होने में काफी समय लगता हुआ नजर आ रहा है। स्थानीय लोग भी ब्लॉक बनवाने वाले नेता को विधायक चुनने की बात कह रहे हैं।
आवंटित जमीन पर अब बन रहा गो-आश्रय स्थल
ब्लॉक के लिए आवंटित जमीन पर अब शासन स्तर से गो-आश्रय स्थल का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें करीब 1.27 करोड़ की लागत आएगी। इसके लिए शासन से करीब 27 लाख रुपये आवंटित भी हो चुके हैं। जिससे यहां काम शुरू कराया जा चुका है।
1857 में ककोड़ गांव बना था टाउन, बाद में नगर पंचायत
नगर पंचायत अध्यक्ष ककोड़ कुंवर रिजवान ने बताया कि ककोड़ को वर्ष 1857 में टाउन बनाया गया था। आजादी के बाद इसे नगर पंचायत का दर्जा मिला था। वर्तमान में कस्बे की आबादी करीब 20 हजार है, जिसमें करीब 12 हजार मतदाता हैं।
इन गांवों को काफी होगा लाभ
वर्तमान में ककोड़ क्षेत्र का गांव चौकी खाजपुर के ग्रामीणों को अपना कोई काम ब्लॉक से कराना हो तो वह सिकंदराबाद तक करीब 35 किलोमीटर की दूरी तय कर जाते हैं। यदि ककोड़ ब्लॉक बनता है तो यह दूरी मात्र 12 किलोमीटर रह जाएगी। इसके अलावा ककोड़ के गांव फौलादपुर, शेखपुर माम, चौकी खाजपुर, बैलाना, गढ़ाना, नगला केसरी, इनायतपुर, झाझर, वैर, धनौरा, चोला स्टेशन आदि गांव के लोगों को भी लाभ मिलेगा।
बोले ग्रामीण
ककोड़ को ब्लॉक बनाए जाने की मांग समय-समय पर उठाई जा रही है। जिससे कि ग्रामीणों को परेशानी न हो। चुनावी सीजन में नेता वादे करते हैं, लेकिन जीतने के बाद वह वादे भूल जाते हैं। इस बार यहां की जनता उसी नेता को चुनेगी, जो वादे पूरे करे और ककोड़ में ब्लॉक की स्थापना कराए। - मुकेश कुमार, ककोड़
वर्ष 2019 में जब शासन से ककोड़ को ब्लॉक बनाए जाने के लिए जमीन आवंटन करने की बात सामने आई तो लगा था कि अब जल्द ही क्षेत्रवासियों की परेशानी दूर हो जाएगी। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। जहां, ब्लॉक बनना था वहां शासन अब गो-आश्रय स्थल का निर्माण करा रहा है। - लोकेश सोलंकी, ककोड़