बस्ती। कुर्मी-अहीर और दलित मतदाताओं की तादाद गिनकर मन ही मन मगन तमाम चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं, तभी आसपास के लोग समझ गए कि कारीगरी फेल हो गई। सेमी ऑटोमेटिक ईवीएम से बूथ-दर-बूथ कमल के फूल बरसने लगे तो दूसरे दल के समर्थकों का चेहरा स्याह पड़ता गया। 32 चक्र की मतगणना पूरी होने के बाद जीत-हार के अंतर का आंकड़ा दिलचस्प होने तक रनर प्रत्याशी व उनके समर्थकों ने आस नहीं छोड़ी।
जब परिणाम घोषित करने की औपचारिकता भर शेष बची तो गणना परिसर में लोग गुणा-गणित की चर्चा करने लगे। ज्यादातर का मानना था कि जिले के मतदाताओं ने जमकर मोदीगीरी दिखाई। शहर से गांव तक के एक-एक बूथों पर मिले मतों के बूते इस संसदीय सीट से भाजपा के हरीश द्विवेदी के सिर लगातार दूसरी बार जीत का सेहरा बंधा। जातीय जोड़-तोड़ के समीकरण पर मतों का पहाड़ खड़ा करने का दावा करने वाले सपा-बसपा के महा गठबंधन की फिजां मोदी-योगी बयार में बिखरकर रह गई। किसी समय सपा के सूरमा कहे जाने वाले कांग्रेस प्रत्याशी राज किशोर सिंह को एक तरह से मतदाताओं ने नकार दिया। खासकर अपने गढ़ हर्रैया विधानसभा क्षेत्र ही उनका साथ छोड़ते दिखा। यही मत भाजपा को शिफ्ट होने के बाद हरीश द्विवेदी को जीत नसीब हुई।
यद्यपि गठबंधन प्रत्याशी व बसपा के कद्दावर नेता राम प्रसाद चौधरी ने भाजपा उम्मीदवार को जोरदार टक्कर देने में कोर-कसर नहीं छोड़ी लेकिन आम-आवाम के फौलादी इरादों के आगे उनकी एक नहीं चली। शुरू के पांच राउंड की गणना के बाद भाजपा की लीड 50 हजार के आसपास पहुंच चुकी थी लेकिन 38वें राउंड तक दोनों प्रत्याशी के बीच का अंतर 30 हजार के आसपास बना रहा।
11 उम्मीदवारों ने जनता के बीच दावेदारी की। पांच विधानसभा क्षेत्र के 18.06 लाख में से 56.9 फीसद मतदान हुआ था। शुरू से ही सपा-बसपा के गठबंधन को मजबूत माना जाता था। पिछले लोकसभा चुनाव में मिले मतों को जोड़कर गठबंधन के खाते में छह लाख से ज्यादा एकमुश्त वोट बताए जाने लगे। इधर, 2014 के चुनाव में जीत दर्ज करने वाले हरीश द्विवेदी के पास 33 हजार के आसपास ही बढ़त थी। ऐसा तब था, समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बृजकिशोर सिंह डिंपल को (30.9) के बीच जीत-हार का अंतर महज 3.2 फीसदी था। बसपा के राम प्रसाद चौधरी 283,747 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
सामाजिक ढांचे की झलक
51 प्रतिशत पुरुष और 49 प्रतिशत महिलाओं वाले जिले का जातिगत तानाबाना भी रोचक है। जातिगत आधार पर 79 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग से हैं। जबकि 21 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति के लोग हैं। धर्म आधारित आबादी के आधार पर 85 प्रतिशत आबादी हिंदू एवं अन्य और 15 जनसंख्या मुसलमानों की है।
आंकड़ों के आइने में
जिले में कुल 18.80 लाख मतदाता
09 लाख 90 हजार 184 पुरुष मतदाता
08 लाख 90 हजार 164 महिला मतदाता
1462 मतदान केंद्र 2316 मतदेय स्थल
जिले में कुल 1646 सर्विस मतदाता।
137 थर्ड जेंडर मतदाता, 11 हजार 285 दिव्यांग मतदाता
बस्ती। कुर्मी-अहीर और दलित मतदाताओं की तादाद गिनकर मन ही मन मगन तमाम चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं, तभी आसपास के लोग समझ गए कि कारीगरी फेल हो गई। सेमी ऑटोमेटिक ईवीएम से बूथ-दर-बूथ कमल के फूल बरसने लगे तो दूसरे दल के समर्थकों का चेहरा स्याह पड़ता गया। 32 चक्र की मतगणना पूरी होने के बाद जीत-हार के अंतर का आंकड़ा दिलचस्प होने तक रनर प्रत्याशी व उनके समर्थकों ने आस नहीं छोड़ी।
जब परिणाम घोषित करने की औपचारिकता भर शेष बची तो गणना परिसर में लोग गुणा-गणित की चर्चा करने लगे। ज्यादातर का मानना था कि जिले के मतदाताओं ने जमकर मोदीगीरी दिखाई। शहर से गांव तक के एक-एक बूथों पर मिले मतों के बूते इस संसदीय सीट से भाजपा के हरीश द्विवेदी के सिर लगातार दूसरी बार जीत का सेहरा बंधा। जातीय जोड़-तोड़ के समीकरण पर मतों का पहाड़ खड़ा करने का दावा करने वाले सपा-बसपा के महा गठबंधन की फिजां मोदी-योगी बयार में बिखरकर रह गई। किसी समय सपा के सूरमा कहे जाने वाले कांग्रेस प्रत्याशी राज किशोर सिंह को एक तरह से मतदाताओं ने नकार दिया। खासकर अपने गढ़ हर्रैया विधानसभा क्षेत्र ही उनका साथ छोड़ते दिखा। यही मत भाजपा को शिफ्ट होने के बाद हरीश द्विवेदी को जीत नसीब हुई।
यद्यपि गठबंधन प्रत्याशी व बसपा के कद्दावर नेता राम प्रसाद चौधरी ने भाजपा उम्मीदवार को जोरदार टक्कर देने में कोर-कसर नहीं छोड़ी लेकिन आम-आवाम के फौलादी इरादों के आगे उनकी एक नहीं चली। शुरू के पांच राउंड की गणना के बाद भाजपा की लीड 50 हजार के आसपास पहुंच चुकी थी लेकिन 38वें राउंड तक दोनों प्रत्याशी के बीच का अंतर 30 हजार के आसपास बना रहा।
11 उम्मीदवारों ने जनता के बीच दावेदारी की। पांच विधानसभा क्षेत्र के 18.06 लाख में से 56.9 फीसद मतदान हुआ था। शुरू से ही सपा-बसपा के गठबंधन को मजबूत माना जाता था। पिछले लोकसभा चुनाव में मिले मतों को जोड़कर गठबंधन के खाते में छह लाख से ज्यादा एकमुश्त वोट बताए जाने लगे। इधर, 2014 के चुनाव में जीत दर्ज करने वाले हरीश द्विवेदी के पास 33 हजार के आसपास ही बढ़त थी। ऐसा तब था, समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बृजकिशोर सिंह डिंपल को (30.9) के बीच जीत-हार का अंतर महज 3.2 फीसदी था। बसपा के राम प्रसाद चौधरी 283,747 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
सामाजिक ढांचे की झलक
51 प्रतिशत पुरुष और 49 प्रतिशत महिलाओं वाले जिले का जातिगत तानाबाना भी रोचक है। जातिगत आधार पर 79 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग से हैं। जबकि 21 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति के लोग हैं। धर्म आधारित आबादी के आधार पर 85 प्रतिशत आबादी हिंदू एवं अन्य और 15 जनसंख्या मुसलमानों की है।
आंकड़ों के आइने में
जिले में कुल 18.80 लाख मतदाता
09 लाख 90 हजार 184 पुरुष मतदाता
08 लाख 90 हजार 164 महिला मतदाता
1462 मतदान केंद्र 2316 मतदेय स्थल
जिले में कुल 1646 सर्विस मतदाता।
137 थर्ड जेंडर मतदाता, 11 हजार 285 दिव्यांग मतदाता