कुआनो नदी में अचानक मरी मछलियां, मचा हड़कंप
बस्ती। कुआनो नदी में शनिवार को अचानक भारी संख्या में मछलियों के मरने से हड़कंप मच गया। दोपहर में वाल्टरगंज थाने के पिपराजप्ती गांव के किसान की भैंस भी अचानक मर गई। देखते ही देखते नदी किनारों पर भीड़ लग गई। सामाजिक संगठनों की गुहार पर डीएम आशुतोष निरंजन ने जांच के लिए चार सदस्यीय टीम गठित कर दी है।
जांच टीम सदर एसडीएम एसपी शुक्ला की अध्यक्षता में मछलियों के मरने के कारणों की जांच करेगी। टीम प्रदूषण नियंत्रण अफसर, जिला गन्ना अधिकारी और एडी मत्स्य को शामिल किया गया है। टीम तीन दिन में जांच कर अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपेगी।
टिनिच प्रतिनिधि के अनुसार वाल्टरगंज क्षेत्र के पिपराजप्ती निवासी फूलचंद्र ने आरोप लगाया है कि उनकी भैंस कुआनो नदी का पानी पीने से मर गई। बताया कि भैंस नदी के किनारे गई थी। कुछ देर बाद ही तबीयत बिगड़ने लगी जिससे मौत हो गई। नदी के किनारे चौरा, मुरदहवा, तिनहरी, महादेवा, बारह छत्तर, अजगैवाजगंल आदि गांवों के पशुपालक अपने पशु चराने आते है। पशुपालक कुआनो नदी के पानी का उपयोग मवेशियों को नहलाने, पिलाने और खेती के कार्यों में करते हैं। नदी का पानी पीने से भैंस और मछलियों के मरने की जानकारी पर पहुंचे प्रधान संघ जिलाध्यक्ष अमित कुमार सिंह, अनिल कुमार, जाकिर हुसैन, राम ललित, तिलक राम, गंगराम ने मुआवजे की मांग की है। इस बाबत सल्टौआ के प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विजय श्रीवास्तव ने बताया कि यदि नदी का पानी काला पड़ गया है तो निश्चित ही हानिकारक है। पशुपालक मवेशियों को नदी किनारे न जानें दें। वहीं नगर प्रतिनिध के अनुसार दोपहर 11बजे नदी में अचानक मरीं मछलियां पानी के ऊपर आ गईं। स्थानीय ग्रामीणों व राहगीरों की नजर पड़ी तो देखते ही देखते कुआनो के किनारे भीड़ लग गई। कुछ लोग जाल आदि लेकर लोग नदी में उतरकर मछलियां पकड़ने लगे।
शनिवार दोपहर मछलियों के मरने की सूचना से जिले में हड़कंप मच गया। सामाजिक कार्यकर्त्ता अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण के कारण ही मछलियां दम तोड़ रही हैं। नदी पूरी तरह से घातक रसायनों से पाट दी गई है। लोगों का कहना था कि छठ पर्व से पूर्व मछलियों को मरना शुभ संकेत नहीं है। वहीं चित्रांश क्लब की ओर से विज्ञप्ति में कहा गया कि बृहस्पतिवार को कुआनो आरती के बाद चित्रांश क्लब के सदस्यों ने घाट की साफ-सफाई कर कूड़ा अन्यत्र डाला था। शुक्रवार रात किसी फैक्ट्री ने नदी में जहरीला पानी छोड़ा है। जिससे नदी की मछलियां मर गईं। क्लब के सदस्यों ने जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की है। इस मौके पर रत्नाकर श्रीवास्तव, अनूप खरे, राजेश चित्रगुप्त, पंकज गोस्वामी, सत्येंद्र श्रीवास्तव, अशुंल आनंद, अमरेश पांडेय, दुर्गेश देव, सनी सिंह, अश्वनी श्रीवास्तव, मो. इस्माईल, दुर्गेश श्रीवास्तव, सूरज श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
प्राणी विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. जेपी शुक्ल ने कहा कि कुआनो में मछलियों की मौत का कारण रंगों में प्रयोग होने वाला क्रोमियम है। इसके प्रभाव से मछलियों के गलफड़े जाम हो जाते हैं और वे सांस नहीं ले पातीं। पिछले दिनों नदियों में विसर्जित प्रतिमाओं को खूबसूरती के लिए प्रयोग होने वाले रंगों में एजोडाई का प्रयोग हुआ है। जिसमें क्रोमियम होता है। डॉ. शुक्ल ने कहा कि कुआनो में मरने वाली मछलियां सतह पर भोजन लेती हैं और यहां क्रोमियम बहुतायत मात्रा में उपलब्ध रहा होगा, जिससे मछलियों की मौत हो गई। मिलों के रसायन युक्त पानी की बात तो उसका कोई विशेष असर नदी में नहीं होता क्योंकि पानी में वह घुल जाता है, जिससे उसका प्रभाव बेहद कम हो जाता है।