बांदा। करीब 39 दिन बाद जिला अस्पताल समेत सीएचसी में ओपीडी सेवा शुक्रवार (चार जून) से बहाल हो गई। पहले दिन कम संख्या में मरीज आए। दोपहर 12 बजे तक जिला पुरुष अस्पताल में 250 पर्चे बने थे। दोपहर डेढ़ बजे महिला व पुरुष अस्पताल दोनों में लगभग 507 मरीजों ने अपने को दिखाया। अपेक्षाकृत भीड़ न उमड़ने से डॉक्टर अपने कक्ष में बैठकर मरीजों को देखा।
पहले दिन ज्यादातर मरीज नेत्र, नाक, कान, गला से संबंधित बीमारियों के आए। बुखार और उल्टी-दस्त से पीड़ित बच्चों को तीमारदार बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाते रहे। महिला व पुरुष जिला अस्पताल में सुबह 8 बजे मरीजों का पहुंचना शुरू रहा। डॉक्टर अपने कक्ष में मरीजों को देखते रहे। अपेक्षाकृत मरीजों की ज्यादा भीड़ न होने से टोकन सिस्टम लागू नहीं हुआ।
जो मरीज पर्चा लेकर पहले पहुंचा उसे पहले देखा गया। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एके राजपूत ने बताया कि उन्होंने 20 बच्चों को देखा। ज्यादातर बच्चे बुखार, खांसी और उल्टी-दस्त के आए थे। नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. मुुकेश कुमार ने 37 मरीज देखे। ज्यादातर मरीज नाक से खून आने की शिकायत वाले आए थे।
नेत्र चिकित्सालय में डॉ. एसपी गुप्ता ने 42 मरीज देखे। ज्यादातर मरीज आंख में पानी, कम दिखाई देना इत्यादि के थे। ब्लैक फंगस से संबंधित एक भी रोगी नहीं मिला। इसी तरह महिला चिकित्सालय में स्त्री रोग विशेषज्ञ महिलाओं से संबंधित रोगों का उपचार करतीं देखीं गईं।
बच्चों का वजन भी हुआ। यहां 129 मरीज आए। ट्रामा सेंटर में ईएमओ डॉ. विनीत सचान ने बताया कि पहले दिन 20-25 मरीज आए। कोरोना संक्रमण काल में उन्होंने रोजाना 300 से 350 मरीज देखे। 50 मरीज रोजाना भर्ती किए थे। हड्डी रोग कक्ष में 20 मरीज देखे गए, वहीं चार प्लास्टर चढ़ाए गए।
बांदा। करीब 39 दिन बाद जिला अस्पताल समेत सीएचसी में ओपीडी सेवा शुक्रवार (चार जून) से बहाल हो गई। पहले दिन कम संख्या में मरीज आए। दोपहर 12 बजे तक जिला पुरुष अस्पताल में 250 पर्चे बने थे। दोपहर डेढ़ बजे महिला व पुरुष अस्पताल दोनों में लगभग 507 मरीजों ने अपने को दिखाया। अपेक्षाकृत भीड़ न उमड़ने से डॉक्टर अपने कक्ष में बैठकर मरीजों को देखा।
पहले दिन ज्यादातर मरीज नेत्र, नाक, कान, गला से संबंधित बीमारियों के आए। बुखार और उल्टी-दस्त से पीड़ित बच्चों को तीमारदार बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाते रहे। महिला व पुरुष जिला अस्पताल में सुबह 8 बजे मरीजों का पहुंचना शुरू रहा। डॉक्टर अपने कक्ष में मरीजों को देखते रहे। अपेक्षाकृत मरीजों की ज्यादा भीड़ न होने से टोकन सिस्टम लागू नहीं हुआ।
जो मरीज पर्चा लेकर पहले पहुंचा उसे पहले देखा गया। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एके राजपूत ने बताया कि उन्होंने 20 बच्चों को देखा। ज्यादातर बच्चे बुखार, खांसी और उल्टी-दस्त के आए थे। नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. मुुकेश कुमार ने 37 मरीज देखे। ज्यादातर मरीज नाक से खून आने की शिकायत वाले आए थे।
नेत्र चिकित्सालय में डॉ. एसपी गुप्ता ने 42 मरीज देखे। ज्यादातर मरीज आंख में पानी, कम दिखाई देना इत्यादि के थे। ब्लैक फंगस से संबंधित एक भी रोगी नहीं मिला। इसी तरह महिला चिकित्सालय में स्त्री रोग विशेषज्ञ महिलाओं से संबंधित रोगों का उपचार करतीं देखीं गईं।
बच्चों का वजन भी हुआ। यहां 129 मरीज आए। ट्रामा सेंटर में ईएमओ डॉ. विनीत सचान ने बताया कि पहले दिन 20-25 मरीज आए। कोरोना संक्रमण काल में उन्होंने रोजाना 300 से 350 मरीज देखे। 50 मरीज रोजाना भर्ती किए थे। हड्डी रोग कक्ष में 20 मरीज देखे गए, वहीं चार प्लास्टर चढ़ाए गए।