सिकंदरपुर। तत्कालीन उपजिलाधिकारी अनिल कुमार चतुर्वेदी के आदेश के तीन माह बाद भी एक लेखपाल द्वारा गांवों का चार्ज दूसरे लेखपाल को नहीं दिए जाने का मामला सामने आया है। इसको लेकर ग्रामीणों में चर्चा जारों पर है। चर्चा है कि एसडीएम और तहसीलदार पर उक्त लेखपाल भारी पड़ रहा।
तहसील में तैनात लेखपाल को सपा सरकार में लगभग दो दर्जन गांवों का कार्यभार दे दिया गया था, जिसके कारण उन गांव में लेखपाल की तूती बोलती थी, लेकिन सत्ता बदलते ही लोगों ने लेखपाल के विरोध में आवाज उठाना शुरू कर दिया। इसके अलावा सूखा राहत समेत अन्य मामलों में गोलमाल की शिकायत ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी से की। जिस पर एसडीएम अनिल कुमार चतुर्वेदी के आदेश पर लेखपाल का कुछ गांव से प्रभार हटाकर दूसरे लेखपाल को दे दिया गया। लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी लेखपाल द्वारा अब तक चार्ज नहीं दिया गया।
तहसीलदार मनोज पाठक के कहने के बावजूद भी जब लेखपाल द्वारा चार्ज नहीं दिया गया तो उनके द्वारा चार्ज परिवर्तन नहीं करने के आरोप में विभागीय कार्यवाही के लिए उप जिलाधिकारी को संस्तुति की गई। एक माह बीतने के बाद भी आज तक लेखपाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। नवागत उपजिलाधिकारी से भी आम लोगों ने उक्त लेखपाल की शिकायत की, लेकिन अब तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।
सिकंदरपुर। तत्कालीन उपजिलाधिकारी अनिल कुमार चतुर्वेदी के आदेश के तीन माह बाद भी एक लेखपाल द्वारा गांवों का चार्ज दूसरे लेखपाल को नहीं दिए जाने का मामला सामने आया है। इसको लेकर ग्रामीणों में चर्चा जारों पर है। चर्चा है कि एसडीएम और तहसीलदार पर उक्त लेखपाल भारी पड़ रहा।
तहसील में तैनात लेखपाल को सपा सरकार में लगभग दो दर्जन गांवों का कार्यभार दे दिया गया था, जिसके कारण उन गांव में लेखपाल की तूती बोलती थी, लेकिन सत्ता बदलते ही लोगों ने लेखपाल के विरोध में आवाज उठाना शुरू कर दिया। इसके अलावा सूखा राहत समेत अन्य मामलों में गोलमाल की शिकायत ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी से की। जिस पर एसडीएम अनिल कुमार चतुर्वेदी के आदेश पर लेखपाल का कुछ गांव से प्रभार हटाकर दूसरे लेखपाल को दे दिया गया। लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी लेखपाल द्वारा अब तक चार्ज नहीं दिया गया।
तहसीलदार मनोज पाठक के कहने के बावजूद भी जब लेखपाल द्वारा चार्ज नहीं दिया गया तो उनके द्वारा चार्ज परिवर्तन नहीं करने के आरोप में विभागीय कार्यवाही के लिए उप जिलाधिकारी को संस्तुति की गई। एक माह बीतने के बाद भी आज तक लेखपाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। नवागत उपजिलाधिकारी से भी आम लोगों ने उक्त लेखपाल की शिकायत की, लेकिन अब तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।