दिबियापुर (औरैया)। क्षेत्र के शिवगंज स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय अपने स्पार्क (साइंस पार्क) के कारण छात्रों के लिए शैक्षणिक और वैज्ञानिक भ्रमण का केंद्र बना है। गुरुवार को स्वामी विवेकानंद इंटर कालेज सहार और वैदिक इंटर कालेज दिबियापुर के 30 छात्रों ने साइंस पार्क का भ्रमण किया। यहां वैज्ञानिक जानकारियां लीं।
राष्ट्रपति से सम्मानित शिक्षक मनीष कुमार ने अपनी मेहनत और लगन से विद्यालय में कबाड़ से जुगाड़ करके साइंस पार्क बनाया है। अब यहां दूसरे विद्यालय के छात्र-छात्राएं भ्रमण करने आते हैं। जहां उन्हें साइंस से जुड़ी जानकारियां मिलती हैं। गुरुवार को स्वामी विवेकानंद इंटर कालेज सहार और वैदिक इंटर कालेज दिबियापुर के छात्रों ने साइंस पार्क में भ्रमण किया। यहां छात्रों ने ग्रहों के बारे में जानकारी ली। टेलीस्कोप से सौर कलंक को देखा। छात्रों ने जाना कि जब सूर्य के किसी भाग का ताप अन्य भागों की तुलना में कम हो जाता है। तो वह स्थान धब्बे के रूप में दिखते हैं।
जिसे सौर कलंक कहते हैं। इस धब्बे का जीवनकाल कुछ घंटे से लेकर कुछ सप्ताह तक होता है। छात्रों ने विद्यालय में बनी साइंस लैब देखी। यहां पर शिक्षक मनीष ने प्रयोगों के माध्यम से कई जानकारियां दीं। छात्रों ने भी प्रयोगों का प्रदर्शन किया। आपसी संवाद के माध्यम से भी कुछ सीखा। शिक्षक रामेंद्र सिंह कुशवाहा और मोहित सिंह ने मनीष के प्रयास की सराहना करते हुए विवेकानंद इंटर कालेज और वैदिक इंटर कालेज को भी वैज्ञानिक स्पॉट बनाए जाने का संकल्प लिया।
दिबियापुर (औरैया)। क्षेत्र के शिवगंज स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय अपने स्पार्क (साइंस पार्क) के कारण छात्रों के लिए शैक्षणिक और वैज्ञानिक भ्रमण का केंद्र बना है। गुरुवार को स्वामी विवेकानंद इंटर कालेज सहार और वैदिक इंटर कालेज दिबियापुर के 30 छात्रों ने साइंस पार्क का भ्रमण किया। यहां वैज्ञानिक जानकारियां लीं।
राष्ट्रपति से सम्मानित शिक्षक मनीष कुमार ने अपनी मेहनत और लगन से विद्यालय में कबाड़ से जुगाड़ करके साइंस पार्क बनाया है। अब यहां दूसरे विद्यालय के छात्र-छात्राएं भ्रमण करने आते हैं। जहां उन्हें साइंस से जुड़ी जानकारियां मिलती हैं। गुरुवार को स्वामी विवेकानंद इंटर कालेज सहार और वैदिक इंटर कालेज दिबियापुर के छात्रों ने साइंस पार्क में भ्रमण किया। यहां छात्रों ने ग्रहों के बारे में जानकारी ली। टेलीस्कोप से सौर कलंक को देखा। छात्रों ने जाना कि जब सूर्य के किसी भाग का ताप अन्य भागों की तुलना में कम हो जाता है। तो वह स्थान धब्बे के रूप में दिखते हैं।
जिसे सौर कलंक कहते हैं। इस धब्बे का जीवनकाल कुछ घंटे से लेकर कुछ सप्ताह तक होता है। छात्रों ने विद्यालय में बनी साइंस लैब देखी। यहां पर शिक्षक मनीष ने प्रयोगों के माध्यम से कई जानकारियां दीं। छात्रों ने भी प्रयोगों का प्रदर्शन किया। आपसी संवाद के माध्यम से भी कुछ सीखा। शिक्षक रामेंद्र सिंह कुशवाहा और मोहित सिंह ने मनीष के प्रयास की सराहना करते हुए विवेकानंद इंटर कालेज और वैदिक इंटर कालेज को भी वैज्ञानिक स्पॉट बनाए जाने का संकल्प लिया।