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Mahant Ravindra Puri said Sadhus and saints will win BJP for the liberation of Kashi-Mathura
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अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी बोले : मोदी-योगी को फिर से लाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 28 Oct 2021 09:27 PM IST
सार
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, मोदी-योगी को फिर से लाने के लिए कोई कोर -कसर नहीं छोड़ेंगे, जूना और निरंजनी अखाड़ा के पास लाखों संन्यासियों की ताकत, भाजपा को राम की पार्टी बताया और प्रभु राम को अपना आराध्य।
साधु-संत आने वाले समय में जिन राज्यों में भी विधान सभा चुनाव होंगे, वहां भाजपा को जिताने के लिए साधु-संत कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसलिए कि भाजपा राम की पार्टी है और हम सबके आराध्य भगवान राम हैं। ऐसे में धर्म-संस्कृति के उत्थान और राष्ट्र की रक्षा के लिए मोदी, योगी को फिर लाने के लिए जी तोड़ कोशिश करेंगे।
जूना अखाड़ा और निरंजनी अखाड़ा के पास लाखों की तादात में साधु-संन्यासी हैं। ये दोनों अखाड़े सबसे बड़ी ताकत के रूप में इस समय एकजुट हो गए हैं। इसलिए कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है और वह फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। यह बातें बृहस्पतिवार को को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कही।
हरिद्वार रवाना होने से पहले अमर उजाला से बातचीत में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने परिषद के सियासी एजेंडे पर खुलकर चर्चा की। परिषद की अगली कार्ययोजना के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि इस समय जूना और निरंजनी अखाड़ा सबसे बड़ी ताकत के रूप में एक साथ हो गए हैं, इसलिए यह लोगों को अच्छा नहीं लग रहा है। साधु-संत धर्म-संस्कृति के प्रचार और रक्षा के लिए काम करते हैं।
संतों का कोई सियासी एजेंडा नहीं होता। लेकिन, प्रभु राम की जन्मभूमि अयोध्या के बाद मथुरा और काशी की मुक्ति का हमारा एजेंडा प्राथमिकता में है। इससे पहले भी काशी-मथुरा की मुक्ति के मुद्दे पर अखाड़ा परिषद प्रस्ताव ला चुकी है। महंत रवींद्र पुरी का साफ कहना था कि साधु-संतों के काशी-मथुरा के एजेंडे को भाजपा के अलावा कोई दल सफल नहीं बना सकता। हर कोई जानता है कि भाजपा राम की पार्टी है। इसीलिए साधु-संत भाजपा के साथ हैं और रहेंगे।
आगामी विधान सभा चुनावों में अखाड़ा परिषद की भूमिका को लेकर किए गए सवाल पर उनका कहना था कि उनका सियासत से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन, आने वाले चुनावों में नरेंद्र मोदी को केंद्र और योगी आदित्यनाथ को प्रदेश में लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आने वाले विधान सभा चुनावों में संत मथुरा काशी के मुद्दे पर भाजपा को ही जिताएंगे। उन्होंने कहा कि सिर्फ भाजपा के राज में ही संत-महात्मा खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।
इसलिए भी इस पार्टी को लाना होगा। अखाड़ा परिषद की अगली बैठक कब और कहां होगी, इस पर उन्होंने टिप्पणी से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि हम सभी तेरह अखाड़ों को फिर से एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी अखाड़ों के प्रतिनिधियों से लगातार बात हो रही है। जल्द ही आपसी मतभेदों को दूर कर सबको एक साथ लाने की पहल की जाएगी।
अखाड़ा परिषद कोई राजनीतिक संगठन नहीं: महंत देवेंद्र शास्त्री
निर्मल पंचायती अखाड़े के सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री ने कहा कि अखाड़ा परिषद पूर्ण रूप से विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक-धार्मिक आयोजन कुंभ के लिए समन्वय स्थापित करने वाली आध्यात्मिक संस्था है। इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है।
देश, प्रदेश में जिस पार्टी की भी सरकार होगी, वह कुंभ मेले का आयोजन कराएगी। अखाड़ा परिषद के नाम पर किसी पार्टी को जिताने या उनका समर्थन करने की बात दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि साधु-संत समाज के मार्गदर्शक की भूमिका में रहें तो ज्यादा अच्छा है। संत किसी भी किसी पार्टी की वकालत करने के लिए नहीं हैं।
विस्तार
साधु-संत आने वाले समय में जिन राज्यों में भी विधान सभा चुनाव होंगे, वहां भाजपा को जिताने के लिए साधु-संत कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसलिए कि भाजपा राम की पार्टी है और हम सबके आराध्य भगवान राम हैं। ऐसे में धर्म-संस्कृति के उत्थान और राष्ट्र की रक्षा के लिए मोदी, योगी को फिर लाने के लिए जी तोड़ कोशिश करेंगे।
जूना अखाड़ा और निरंजनी अखाड़ा के पास लाखों की तादात में साधु-संन्यासी हैं। ये दोनों अखाड़े सबसे बड़ी ताकत के रूप में इस समय एकजुट हो गए हैं। इसलिए कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है और वह फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। यह बातें बृहस्पतिवार को को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कही।
हरिद्वार रवाना होने से पहले अमर उजाला से बातचीत में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने परिषद के सियासी एजेंडे पर खुलकर चर्चा की। परिषद की अगली कार्ययोजना के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि इस समय जूना और निरंजनी अखाड़ा सबसे बड़ी ताकत के रूप में एक साथ हो गए हैं, इसलिए यह लोगों को अच्छा नहीं लग रहा है। साधु-संत धर्म-संस्कृति के प्रचार और रक्षा के लिए काम करते हैं।
Prayagraj News : महंत रवींद्र पुरी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष बनाए गए।
- फोटो : prayagraj
संतों का कोई सियासी एजेंडा नहीं होता। लेकिन, प्रभु राम की जन्मभूमि अयोध्या के बाद मथुरा और काशी की मुक्ति का हमारा एजेंडा प्राथमिकता में है। इससे पहले भी काशी-मथुरा की मुक्ति के मुद्दे पर अखाड़ा परिषद प्रस्ताव ला चुकी है। महंत रवींद्र पुरी का साफ कहना था कि साधु-संतों के काशी-मथुरा के एजेंडे को भाजपा के अलावा कोई दल सफल नहीं बना सकता। हर कोई जानता है कि भाजपा राम की पार्टी है। इसीलिए साधु-संत भाजपा के साथ हैं और रहेंगे।
आगामी विधान सभा चुनावों में अखाड़ा परिषद की भूमिका को लेकर किए गए सवाल पर उनका कहना था कि उनका सियासत से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन, आने वाले चुनावों में नरेंद्र मोदी को केंद्र और योगी आदित्यनाथ को प्रदेश में लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आने वाले विधान सभा चुनावों में संत मथुरा काशी के मुद्दे पर भाजपा को ही जिताएंगे। उन्होंने कहा कि सिर्फ भाजपा के राज में ही संत-महात्मा खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।
इसलिए भी इस पार्टी को लाना होगा। अखाड़ा परिषद की अगली बैठक कब और कहां होगी, इस पर उन्होंने टिप्पणी से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि हम सभी तेरह अखाड़ों को फिर से एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी अखाड़ों के प्रतिनिधियों से लगातार बात हो रही है। जल्द ही आपसी मतभेदों को दूर कर सबको एक साथ लाने की पहल की जाएगी।
अखाड़ा परिषद कोई राजनीतिक संगठन नहीं: महंत देवेंद्र शास्त्री
निर्मल पंचायती अखाड़े के सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री ने कहा कि अखाड़ा परिषद पूर्ण रूप से विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक-धार्मिक आयोजन कुंभ के लिए समन्वय स्थापित करने वाली आध्यात्मिक संस्था है। इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है।
देश, प्रदेश में जिस पार्टी की भी सरकार होगी, वह कुंभ मेले का आयोजन कराएगी। अखाड़ा परिषद के नाम पर किसी पार्टी को जिताने या उनका समर्थन करने की बात दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि साधु-संत समाज के मार्गदर्शक की भूमिका में रहें तो ज्यादा अच्छा है। संत किसी भी किसी पार्टी की वकालत करने के लिए नहीं हैं।
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