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'पति नहीं बताते, उनकी सैलरी कितनी है', पत्नी ने आरटीआई दाखिल कर मांगी जानकारी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आगरा Published by: मुकेश कुमार Updated Wed, 04 Sep 2019 12:16 AM IST
Wife RTI Filed for Know About Her Husband Salary in Agra
प्रतीकात्मक तस्वीर
आगरा में सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मुकदमों और प्रार्थना पत्रों की जानकारी ही नहीं, बल्कि पारिवारिक विवाद से लेकर पत्नी पति की सैलरी तक की जानकारी ले रही हैं। व्यक्तिगत मामलों में सूचना देने से इंकार किया जा रहा है, जबकि पति-पत्नी के मामलों में सूचना देने से पहले पड़ताल की जा रही है।


50 फीसदी को सूचना देने से किया इंकार
इस साल जनवरी से लेकर अगस्त तक सूचना अधिकार के तहत पुलिस से तकरीबन 1500 लोगों ने सूचना के लिए आवेदन किया है। इनमें 400 मामले ऐसे निकले, जिनमें निजी जानकारी मांगी गई थी। इनमें 50 प्रतिशत को सूचना देने से मना कर दिया गया, जबकि बाकी की फाइल चल रही है।


केस : 1
एक महिला का पति से विवाद चल रहा है। महिला को पति खर्च के लिए कुछ नहीं दे रहा है। महिला ने सूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी है कि पति की सैलरी कितनी है? किस खाते में आती है?

केस : 2
परिवार परामर्श केंद्र में एक महिला का ससुरालियों से विवाद चल रहा है। काउंसिलंग में दोनों पक्षों ने शिकायत दर्ज कराई है। अब सास और बहू सूचना मांग रही हैं कि अब तक काउंसलिंग में क्या-क्या कार्रवाई हुई।

केस : 3
दिल्ली के एक व्यक्ति ने सूचना मांगी कि एक युवक को आगरा में पुलिस ने नकली नोटों को बाजार में चलाने के मामले में जेल भेजा है। उसके साथ कई और लोग पकड़े गए। इसमें क्या कार्रवाई चल रही है। मगर, आवेदक का सही अता-पता नहीं है।

केस : 4
मथुरा के एक व्यक्ति ने सूचना मांगी है कि आगरा से सेवानिवृत्त हुए एक पुलिसकर्मी को कितनी पेंशन मिल रही है। मगर, आवेदक ने सूचना मांगने का कारण और जिसके बारे में सूचना मांग रहे हैं उससे संबंध का खुलासा ही नहीं किया है।

केस : 5
नाई की मंडी क्षेत्र के एक व्यक्ति ने सूचना मांगी है कि क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति का आपराधिक इतिहास क्या है। उसे कितनी बार जनप्रतिनिधि ने छुड़वाया है। उक्त व्यक्ति के बारे में यह भी कहा है कि उसने गालीगलौज की थी। इसकी यूपी 100 पर शिकायत की। इसमें क्या हुआ?

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यह सूचनाएं नहीं दी जा सकतीं है

यूपी सूचना का अधिकार नियमावली-2015 की धारा आठ के तहत सूचना देने का नियम किया गया है। इसके अनुसार कुछ नियम इस प्रकार हैं।
- वो सूचना जिसका प्रकटीकरण किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा के खतरे में डाले या सूचना के स्त्रोत की पहचान कराए या विधि के प्रवर्तन में दी गई सहायता या सुरक्षा उद्देश्यों को खतरे में डाले।
- वो सूचना, जो अन्वेषण की प्रक्रिया, बंदीकरण या अपराधियों का अभियोजन रोके।
- वो सूचना, जो व्यक्ति सूचना से संबंधित है, जिसके प्रकटीकरण से किसी लोक क्रिया या हित का संबंध नहीं है या जो किसी व्यक्ति निजता में अवांछनीय हस्तक्षेप करें, जब तक कि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या अपीलीय प्राधिकारी, जैसे भी स्थिति हो संतुष्ट न हो जाए कि ऐसी सूचना का प्रकटीकरण व्यापक जनहित में उचित है, नहीं किया जाएगा।

मुकदमों और प्रार्थना पत्रों से संबंधित सूचना ज्यादा मांगी जा रही हैं। पति-पत्नी के मामलों में भी आवेदन कर सूचना मांगी जाती है। इनमें देखा जाता है कि कौन सी सूचना देय है और कौन नहीं। जिन मामलों में कोई तीसरा व्यक्ति सूचना मांगता है, उसमें नियमानुसार देय नहीं है। निर्धारित समय में सूचना उपलब्ध करा दी जाती है।-प्रमोद कुमार, एसपी, नोडल ऑफिसर, सूचना अधिकार सेल

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