आगरा में डौकी के मेहरा नाहरगंज गांव में पांच जून को हुए उपद्रव के मामले में फरार चल रहे आरोपियों की गिरफ्तारी करने में नाकाम पुलिस झल्लाहट में आपा खो बैठी। आरोप है कि पुलिस ने गांव में दबिश के नाम पर घरों में तोड़फोड़ की। महिलाओं की पिटाई करने और लूटपाट का भी आरोप लगा है पुलिस पर।
मंगलवार की रात पुलिस दबिश देने के लिए पहुंची थी। बता दें, पांच जून को गांव में पहले प्रापर्टी डीलर नाथूराम वर्मा की हत्या की गई थी। इसके बाद हत्यारोपी सुधीर की पीटकर हत्या कर दी गई थी। गांववालों ने पुलिस की जीप भी फूंक दी थी। नाथूराम और सुधीर की हत्या के अलग-अलग केस दर्ज कराए गए। पुलिस पर हमले का केस अलग से दर्ज किया गया। इस तरह कुल तीन केस दर्ज हैं। इनमें 450 से ज्यादा आरोपी अज्ञात में है जबकि 14 नामजद किए गए हैं।
सुधीर के भाई समर सिंह के अलावा पुलिस किसी की गिरफ्तारी नहीं कर पाई है। अधिकारी सवाल कर रहे हैं कि आरोपी क्यों नहीं पकड़े जा रहे। माना जा रहा है कि इसी झल्लाहट में पुलिस ने दबिश के नाम पर तोड़फोड़ कर डाली।
पुलिस के आते ही गांव के लोग गिरफ्तारी के डर से खेतों में जाकर छिप गए थे। कुछ महिलाएं ही घरों में बची थीं। गांव वालों ने बताया कि पुरुषों के न मिलने से पुलिस ने आपा खोया। चारपाई, चूल्हे, चक्कियां तक तोड़ डाले। घरों के दरवाजे भी तोड़े गए। नाथूराम के भाई महेेंद्र ने बताया कि गांव में भारी दहशत है। मामले में एसपी पूर्वी नित्यानंद कुमार का कहना है कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस गांव में थी। पुलिस देखकर आरोपी भाग गए। पुलिस पर लगाए गए आरोप गलत हैं।
आगरा में डौकी के मेहरा नाहरगंज गांव में पांच जून को हुए उपद्रव के मामले में फरार चल रहे आरोपियों की गिरफ्तारी करने में नाकाम पुलिस झल्लाहट में आपा खो बैठी। आरोप है कि पुलिस ने गांव में दबिश के नाम पर घरों में तोड़फोड़ की। महिलाओं की पिटाई करने और लूटपाट का भी आरोप लगा है पुलिस पर।
मंगलवार की रात पुलिस दबिश देने के लिए पहुंची थी। बता दें, पांच जून को गांव में पहले प्रापर्टी डीलर नाथूराम वर्मा की हत्या की गई थी। इसके बाद हत्यारोपी सुधीर की पीटकर हत्या कर दी गई थी। गांववालों ने पुलिस की जीप भी फूंक दी थी। नाथूराम और सुधीर की हत्या के अलग-अलग केस दर्ज कराए गए। पुलिस पर हमले का केस अलग से दर्ज किया गया। इस तरह कुल तीन केस दर्ज हैं। इनमें 450 से ज्यादा आरोपी अज्ञात में है जबकि 14 नामजद किए गए हैं।
सुधीर के भाई समर सिंह के अलावा पुलिस किसी की गिरफ्तारी नहीं कर पाई है। अधिकारी सवाल कर रहे हैं कि आरोपी क्यों नहीं पकड़े जा रहे। माना जा रहा है कि इसी झल्लाहट में पुलिस ने दबिश के नाम पर तोड़फोड़ कर डाली।
पुलिस के आते ही गांव के लोग गिरफ्तारी के डर से खेतों में जाकर छिप गए थे। कुछ महिलाएं ही घरों में बची थीं। गांव वालों ने बताया कि पुरुषों के न मिलने से पुलिस ने आपा खोया। चारपाई, चूल्हे, चक्कियां तक तोड़ डाले। घरों के दरवाजे भी तोड़े गए। नाथूराम के भाई महेेंद्र ने बताया कि गांव में भारी दहशत है। मामले में एसपी पूर्वी नित्यानंद कुमार का कहना है कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस गांव में थी। पुलिस देखकर आरोपी भाग गए। पुलिस पर लगाए गए आरोप गलत हैं।