थाना सदर बाजार पुलिस की पूछताछ में आरोपी डोनार उर्फ सईदुल इस्लाम ने बताया कि वह 12 साल पहले पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत आया था। कोलकाता में कुछ समय रुकने के बाद धौलपुर में आ गया। यहां से आगरा पहुंचा।
पांच साल पहले सदर के वेद नगर में रहते हैं। मगर, यहां धर्मांतरण का हल्ला मच गया था। इसके बाद पुलिस ने अवैध रूप से रह रहे लोगों को पकड़ लिया था। कई भाग गए थे। उसने अपना आधार कार्ड बनवा लिया।
मगर, पुलिस को नहीं मिला। उसने बताया कि एक दिन झोपड़ी में आग लगने की वजह से आधार कार्ड भी जल गया। मगर, बांग्लादेश जाने के रास्ते की जानकारी वाली पर्ची उसकी जेब में रखी थी। इस कारण बच गया। उसके अलावा 20 से अधिक लोग यहां रह रहे हैं।
थाना प्रभारी निरीक्षक कमलेश सिंह ने बताया कि आरोपी की पूछताछ में पता चला है कि बांग्लादेश के इकबाल और नुरुल 10 हजार रुपये में बॉर्डर पार कराते हैं। वहीं लोग पर्ची देते हैं। रास्ते में उनके लोग सक्रिय रहते हैं। वह रास्ता दिखाते हैं। एक बार बॉर्डर पार करने के बाद कोई कागजात नहीं चेक करता है।
पहले भी पकड़े गए
अक्तूबर 2018 में सिकंदरा पुलिस ने रुनकता में बांग्लादेशी नागरिक सईदुल गाजी, उसकी पत्नी रतना और बेटे शमीम को पकड़ा था। वह अवैध रूप से भारत में आकर रह रहे थे। उन्हें जेल भेजा गया था। वह कबाड़े का कारोबार कर रहा था। उसने आधार कार्ड भी बनवा लिया था।
थाना सदर बाजार पुलिस की पूछताछ में आरोपी डोनार उर्फ सईदुल इस्लाम ने बताया कि वह 12 साल पहले पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत आया था। कोलकाता में कुछ समय रुकने के बाद धौलपुर में आ गया। यहां से आगरा पहुंचा।
पांच साल पहले सदर के वेद नगर में रहते हैं। मगर, यहां धर्मांतरण का हल्ला मच गया था। इसके बाद पुलिस ने अवैध रूप से रह रहे लोगों को पकड़ लिया था। कई भाग गए थे। उसने अपना आधार कार्ड बनवा लिया।
मगर, पुलिस को नहीं मिला। उसने बताया कि एक दिन झोपड़ी में आग लगने की वजह से आधार कार्ड भी जल गया। मगर, बांग्लादेश जाने के रास्ते की जानकारी वाली पर्ची उसकी जेब में रखी थी। इस कारण बच गया। उसके अलावा 20 से अधिक लोग यहां रह रहे हैं।