लोहड़ी पर्व गुरु गोविंद सिंह के प्रकाशोत्सव और रविवार के कारण और भी विशेष है। यह पर्व मुख्य रूप से रबी की फसल से संबंधित हैं। इसे किसान उत्सव भी कहा जा सकता है। कृषि समाज में यह नए वर्ष का आरंभ भी है जो बैसाखी से पहले आता है।
इसके एक या दो दिन बाद मकर संक्रांति होती है। संपूर्ण भारत में लोहड़ी पर्व धार्मिक आस्था, ऋतु परिवर्तन, कृषि उत्पादन, सामाजिक औचित्य से जुड़ा है। लोहड़ी, मौसम परिवर्तन का सूचक और आपसी सौहार्द का परिचायक है।
अग्नि प्रज्वलित करने का शुभ समय
पंडित कामेश्वर शर्मा ने बताया कि इस बार लोहड़ी पर्व बहुत शुभ है। 13 जनवरी शाम 6:00 बजे लकड़ियां, समिधा, रेवड़ियां, तिल आदि अग्नि में प्रज्वलित कर अग्नि पूजन के रूप में लोहड़ी का समय रात 11:42 मिनट तक होगा।
इसमें शाम के समय लोहड़ी जलाने का अर्थ है कि अगले दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश पर उसका स्वागत करना। सामूहिक रूप से आग जलाकर सर्दी भगाना और मूंगफली, तिल, गजक, रेवड़ी खाकर शरीर को सर्दी के मौसम में समर्थ बनाना ही लोहड़ी का उद्देश्य है।
लोहड़ी पर्व गुरु गोविंद सिंह के प्रकाशोत्सव और रविवार के कारण और भी विशेष है। यह पर्व मुख्य रूप से रबी की फसल से संबंधित हैं। इसे किसान उत्सव भी कहा जा सकता है। कृषि समाज में यह नए वर्ष का आरंभ भी है जो बैसाखी से पहले आता है।
इसके एक या दो दिन बाद मकर संक्रांति होती है। संपूर्ण भारत में लोहड़ी पर्व धार्मिक आस्था, ऋतु परिवर्तन, कृषि उत्पादन, सामाजिक औचित्य से जुड़ा है। लोहड़ी, मौसम परिवर्तन का सूचक और आपसी सौहार्द का परिचायक है।
अग्नि प्रज्वलित करने का शुभ समय
पंडित कामेश्वर शर्मा ने बताया कि इस बार लोहड़ी पर्व बहुत शुभ है। 13 जनवरी शाम 6:00 बजे लकड़ियां, समिधा, रेवड़ियां, तिल आदि अग्नि में प्रज्वलित कर अग्नि पूजन के रूप में लोहड़ी का समय रात 11:42 मिनट तक होगा।
इसमें शाम के समय लोहड़ी जलाने का अर्थ है कि अगले दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश पर उसका स्वागत करना। सामूहिक रूप से आग जलाकर सर्दी भगाना और मूंगफली, तिल, गजक, रेवड़ी खाकर शरीर को सर्दी के मौसम में समर्थ बनाना ही लोहड़ी का उद्देश्य है।