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Himachal news: chief secretary meeting with Himachal arajpatrit karamchari mahasangh
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सचिवालय में बैठकों का दौर: जेसीसी से पहले वित्त, कार्मिक विभाग और मुख्य सचिव ने की महासंघ से माथापच्ची
अमर उजाला ब्यूरो, शिमला
Published by: अरविन्द ठाकुर
Updated Thu, 25 Nov 2021 07:31 PM IST
सार
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हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर की अगुवाई में पदाधिकारियों ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर अधिकांश मांगों पर सहमति बनाने को लेकर चर्चा की।
जयराम सरकार के कार्यकाल में पहली बार होने जा रही संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की शनिवार को प्रस्तावित बैठक से पहले गुरुवार को सचिवालय में खूब गहमागहमी रही। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव सहित वित्त और कार्मिक विभाग के अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें कीं।
हिमाचल प्रदेश में पौने तीन लाख कर्मचारियों की शनिवार को होने वाली जेसीसी बैठक पर नजरें टिकी हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में बैठक राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ शिमला में शनिवार सुबह 11 बजे शुरू होगी। जेसीसी की बैठक छह साल बाद होने जा रही है। बैठक के लिए महासंघ की ओर से सरकार को 62 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा गया है।
गुरुवार को हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर की अगुवाई में पदाधिकारियों ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर अधिकांश मांगों पर सहमति बनाने को लेकर चर्चा की। अश्वनी ठाकुर ने बताया कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हित में शनिवार को बड़े फैसले लेगी। मुख्यमंत्री को अधिकांश मांगों की विस्तार से जानकारी मुहैया करवाई गई है।
महंगाई भत्ता देने, छठे वेतन आयोग लागू करने और अनुबंध अवधि घटाने को नहीं है जेसीसी
हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों के सबसे बड़े संगठन का दावा करने वाले राजकीय अध्यापक संघ ने जेसीसी बैठक से एक दिन पहले सरकार और अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि महंगाई भत्ता देने, छठा वेतन आयोग लागू करने और अनुबंध अवधि दो साल करने की घोषणा के लिए जेसीसी बैठक नहीं हो रही है। यह सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के अधिकार हैं।
जिसे सरकार को देना ही पड़ेगा। अगर पुरानी पेंशन को सरकार बहाल करती है तो उनका संघ मुख्यमंत्री को चांदी के सिक्कों से तोलेगा। मांगें पूरा नहीं होने पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने सरकार के कार्यकाल में पहली बार होने जा रही जेसीसी बैठक में शिक्षक संघों को न बुलाने पर रोष भी जताया। वीरेंद्र चौहान ने शिमला में प्रेस वार्ता में कहा कि 27 नवंबर को जेसीसी की बैठक अब पीटरहॉफ में होने से उन्हें लगा था कि शिक्षक संघों को भी शायद बुलाने की तैयारी है, लेकिन अभी तक कोई सूचना नहीं मिलना दुखद है।
नब्बे हजार शिक्षकों की अनदेखी कर जेसीसी हो रही है। बैठक में ऐसे मुद्दे जोड़े गए हैं, जो मुद्दे सरकार की देनदारियों के हैं। इन्हें सरकार को न चाहते हुए भी पूरा करना है। छठा वेतन आयोग वर्ष 2016 से देना बनता है। महंगाई भत्ते की 5 फीसदी की किस्त सरकार को देनी है। अनुबंध सेवा काल को नियमितीकरण के लिए तीन वर्ष से घटाकर दो वर्ष करना सरकार के दृष्टि पत्र की घोषणा है। ऐसे में इन तीन मांगों पर ही जेसीसी केंद्रित नहीं होनी चाहिए।
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छठा वेतन आयोग केंद्र सरकार के वेतन आयोग के आधार पर दिया जाना चाहिए। पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली होनी चाहिए। 4-9-14 के टाइम स्केल को दोबारा से बहाल करना चाहिए। सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को नीति बनाकर नियमित करना एसएमसी शिक्षकों के लिए नीति बनाना ,15 वर्षों तक पदोन्नति नहीं होने की स्थिति पर सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को दो विशेष वेतन वृद्धि देने, सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए कैशलेस हेल्थ स्कीम जारी करना, प्रदेश के कर्मचारियों के लिए एलटीसी सुविधा फिर से बहाल करने जैसी मांगे जेसीसी में पूरी होनी चाहिए।
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