इत्र क्षेत्र की बात होते ही शहर के लोगों की जुबान पर मलिक मियां का नाम आ जाता है। पुस्तैनी इत्र और शमामा (खास तरह का कंपांउड) कारोबार से परिवार ने अथाह संपदा बनाई है। बात करते हैं कि मरहूम मलिक मियां की मोहम्मद अयूब मोहम्मद याकूब परफ्यूमर्स की। 1886 में मोहम्मद अयूब और मोहम्मद याकूब ने अपने नाम से फर्म बनाई थी। मुख्य रूप से इन लोगों ने फारस देश के कारोबारियों के साथ शमामा बनाने का व्यापार शुरू किया था। विरासत में मिले कारोबार को मलिक मियां ने आधुनिक रूप दिया। अपने खुद के नाम से मलिम शमामा बनाया। अरब देशों में इसकी लोकप्रियता बढ़ने पर उन्होंने अपने भाई मोहसिन के नाम से भी मार्केट में मोहसिन शमामा लांच किया था। ये दोनों उत्पाद आज भी मशहूर हैं। मौजूदा समय में मलिक शमामा की कीमत डेढ़ लाख रुपये किलो है, जबकि मोहसिन शमामा की कीमत करीब 80 हजार रुपये किलो है।
मलिक मियां की 2016 में लंबी बीमारी के चलते मौत हो गई थी। उनके भाई मोहसिन, फैशन और अब्दुल हामिद हैं। मलिक मियां ने दो शादी की थी। उनके पांच बेटे फौजान मलिक, अब्दुल्ला मलिक, रहमान मलिक, खुर्रम मलिक और छोटे मलिक हैं।
शहर में कितने घर खोजना हुआ मुश्किल
इत्र कारोबारी फौजान मलिक और उसके भाइयों के शहर में कई मकान हैं। टीम अभी तक सिर्फ तीन घरों का पता लगा सकी है। घरों का पता लगाने के लिए आयकर विभाग की टीम के अधिकारियों ने मंडई में रहने वाले मुनीम मोहज्जम को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की है। बताया कि मोहज्जम के पिता और वे कई सालों से कारोबारी के यहां लिपिक का काम रहे हैं।
नमाज के लिए एक घंटे का दिया समय
आयकर विभाग की टीम के सदस्यों ने फौजान मलिक और परिवार के लोगों के मोबाइलों को स्विच ऑफ कर दिया है। इसके बाद पूछताछ भी की। दोपहर करीब एक बजे टीम ने पूछताछ प्रक्रिया बंद कर दी और जुमे की नमाज पढ़ने की छूट दी। शाम को भी नमाज अदा करने का समय दिया गया।
लिफ्ट में एक घंटे फंसी रही टीम
इत्र कारोबारी अब्दुल्ला मलिक के घर लिफ्ट से चौथी मंजिल जाते समय अचानक तकनीकी खराबी के चलते यह बंद हो गई। इससे शाम करीब चार बजे एक घंटे तक टीम के कुछ अधिकारी बंद हो गए। सूचना मिलने पर कोतवाली पुलिस एक निजी होटल से इंजीनियर को बुलाकर पहुंची। इसके बाद लिफ्ट को ठीक कराया गया।