उन्नाव गैंगरेप मामले में सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर की विधानसभा सदस्यता जाने के बाद बांगरमऊ सीट पर भी उपचुनाव हो रहा है। सेंगर बीजेपी के टिकट पर ही जीतकर आए थे। ऐसे में बीजेपी बांगरमऊ उपचुनाव में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। कांग्रेस की ओर से ब्राह्मण नेता को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद बीजेपी से ब्राह्मण कैंडिडेट उतारे जाने की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है।
कुलदीप सेंगर की पत्नी व जिला पंचायत अध्यक्ष संगीता सेंगर ने बताया कि उनके लिए पार्टी से बड़ा कुछ भी नहीं। पार्टी का आदेश ही अध्यादेश है। पार्टी हाईकमान जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी उसे स्वीकार कर निष्ठापूर्वक निभाएंगी। बताया कि वह जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। साथ ही पार्टी संगठन के लिए जो भी जिम्मेदारी दी जाती है, वह उसे भी निभा रही हैं। संगीता सेंगर ने बताया कि पार्टी की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला है।
ऐसे में बैकवर्ड या क्षत्रिय प्रत्याशी की संभावनाएं बढ़ने लगी हैं। चर्चा है कि दुष्कर्म के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को सजा मिलने के बाद खाली हुई सीट पर उनकी पत्नी संगीता सिंह सेंगर भी टिकट चाहती हैं। हालांकि बीजेपी नेतृत्व किसी भी प्रकार के विवाद से बचना चाहता है। इसलिए ना तो उन्हें और ना ही उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट देने के मूड में है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी किसको टिकट देती है? बांगरमऊ में एक बड़ा वर्ग किसी दूसरे ठाकुर प्रत्याशी को स्वीकार करने में झिझक रहा है।
उनका मानना है कि ठाकुर प्रत्याशियों में संगीता सिंह सेंगर में क्या कमी है? अब सवाल उठता है टिकट ना मिलने पर क्या कुलदीप सिंह सेंगर के परिवार से कोई व्यक्ति निर्दलीय चुनाव लड़ सकता है। तो इसकी भी संभावना कम बताई जाती है। कुलदीप सिंह सेंगर और अतुल सिंह के तिहाड़ जेल में होने और मनोज सिंह सेंगर के निधन के बाद अब परिवार में कोई मजबूत कड़ी नहीं रह गई।
कुछ दिन पूर्व लखनऊ में विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के आवास पर बीजेपी के सभी विधायकों के साथ संगीता सिंह सेंगर भी मौजूद थीं। चर्चा थी कि कुलदीप की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उनके परिवार या फिर कोई नजदीकी भी मैदान में आ सकता है। हालांकि परिवार के लोग अभी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।