अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बृहस्पतिवार को मुलाकात करके मेले में आने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त सुविधाएं दिए जाने की मांग की। राजधानी में कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री से माघ मेले की तैयारी और व्यवस्थाओं पर चर्चा की।
बाद में मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया कि माघ मेले में भी साधु-संतों और श्रद्धालुओं को कुंभ मेले की तरह की पर्याप्त सुविधाएं दी जाएंगी। साथ ही श्रद्धालुओं और साधु-संतों को निर्मल तथा अविरल गंगाजल मिलेगा। इसी तरह मेला क्षेत्र में सेना की ओर से अतिक्रमण बताकर मंदिरों को तोड़े जाने के मामले में सीएम ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत करने का आश्वासन दिया। इस दौरान महंत नरेंद्र गिरि ने मठ बाघंबरी गद्दी में पहली फरवरी को आयोजित अचला सप्तमी समारोह में आने के लिए मुख्यमंत्री को न्योता दिया।
त्रिवेणी-काली पांटून पुलों में फिर जुड़ेंगे 80 पीपे
प्रयागराज। माघ मेला के सभी पांच सेक्टरों को जोड़ने के लिए गंगा पर बनकर तैयार पांच पांटून पुलों में से दो को अधूरा पाया गया है। कमिश्नर केहस्तक्षेप के बाद काली व त्रिवेणी पांटून पुलों का निर्माण बृहस्पतिवार से फिर आरंभ करा दिया गया। दोनों पुलों को मिलाकर 80 पीपे फिर जोड़े जाएंगे, ताकि माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं, कल्पवासियोें को शिविरों में जाने में परेशानी का सामना न करना पड़े।
गंगा में प्रवाह बढ़ने से माघ मेला क्षेत्र में लगातार कटान बढ़ती जा रही है। झूंसी की ओर कटान का दायरा बढ़ने से त्रिवेणी व काली मार्ग पर बड़ा हिस्सा दलदल बनने केबावजूद छोड़ दिया गया था। इन दोनों पांटून पुलों का निर्माण पूरा करने की पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट को खारिज करते हुए मंडलायुक्त को दोनों पांटून पुलों को बढ़ाने का निर्देश देना पड़ा है। अंत: बृहस्पतिवार को दोनों पांटून पुलों के निर्माण का कार्य नए सिरे से आरंभ कर दिया गया। उधर, तमाम कोशिशों के बाद भी गंगा का जलस्तर औसत से अधिक बना हुआ है।
माघ मेले में फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 76 मीटर होना चाहिए, जबकि बृहस्पतिवार को यहां गंगा का जलस्तर 77.54 मीटर रिकार्ड किया गया। जो सामान्य से डेढ़ मीटर अधिक है। इसी तरह छतनाग में गंगा 72.99 व नैनी में यमुना 73.18 मीटर पर बहती रहीं। माघ मेला बसाने के लिए यह जलस्तर औसत से काफी अधिक माना जा रहा है। ऐसे में काली में 35 व त्रिवेणी पुलों में 45 पीपे और लगाए जाएंगे। मेला क्षेत्र को यातायात से जोड़ने के लिए मोरी मार्ग से लेकर अरैल के बीच में 16 सड़कें बनाई जानी है, लेकिन अभी काम बाकी है। ऐसे में मेला सेक्टरों को जोड़ने के लिए 73 किमी चकर्ड प्लेट सड़कों का भी निर्माण पिछड़ता गया है।