आगरा के ताजगंज विद्युत शवदाह गृह की चारों भट्ठियां लगातार चलने के कारण खराब हो गईं। इस कारण कोरोना संक्रमितों के शवों का दाह संस्कार भी मोक्षधाम पर हुआ। यहां बुधवार को 100 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। मंगलवार की रात विद्युत शवदाह गृह की दो भट्ठियां बंद हो गईं थी। बुधवार को जैसे ही दो शवों का दो भट्ठियों में अंतिम संस्कार शुरू किया, तो भट्ठियां जवाब दे गईं। भट्ठियों ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया। इससे कोरोना संक्रमितों के शवों के साथ पहुंचे परिजनों को विद्युत शवदाह गृह बंद होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इन शवों का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में ही किया गया।
ताजगंज श्मशान घाट के मोक्षधाम प्रभारी मनोज शर्मा ने बताया कि बुधवार को श्मशान घाट पर 100 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। अन्य दिनों में जहां शवदाह गृह पर चार से छह घंटे की वेटिंग रही, वहीं भट्ठियां बंद होने से बुधवार को पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। शवदाह गृह के मुख्य द्वार को भी बंद कर दिया गया। भट्ठियों को ठीक करने में टेक्नीशियन को लगाया गया है। पहले यह माना जा रहा था कि बुधवार की शाम छह बजे तक एक भट्ठी शुरू हो जाएगी। लेकिन देर रात तक वह शुरू नहीं हो सकी थी।
20 साल में नहीं देखा ऐसा दर्द भरा नजारा
ताजगंज श्मशान घाट के प्रभारी मनोज शर्मा ने बताया कि 20 साल में पहली बार ऐसा हुआ है, जब एक साथ इतने शव आए। 12 साल के बच्चे से लेकर 70 साल तक के बुजुर्ग के शव आ रहे हैं। सुबह थोड़ी बहुत देर सिलसिला थमता है, उसके बाद फिर से चिताओं को सजाने का काम शुरू हो जाता है। श्मशान पर जिस ओर देखो, इन दिनों शव ही शव दिखाई देते हैं। पहली बार ऐसा हुआ है जब संक्रमित शवों को भी मुखाग्नि दी जा रही है। इसके लिए अलग से लकड़ियों की व्यवस्था की गई है।
दो घंटे तक का इंतजार
भट्ठियां बंद के कारण यहां पहुंचे परिजनों को मुख्य श्मशान घाट में शव का दाह संस्कार के लिए लगभग दो घंटे इंतजार करना पड़ा। इधर, शहर के दूसरे श्मशान घाटों पर भी शवों के जलाने की संख्या तेजी से बढ़ गई। बल्केश्वर श्मशान घाट पर 20 शव, कैलाश स्थित श्मशान घाट पर 10 शव, मलका चबूतरा स्थित श्मशान घाट पर 20 शव, आवास विकास कॉलोनी स्थित श्मशान घाट पर 20 शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
भट्ठियों को नहीं मिल सका विराम
क्षेत्र बजाजा कमेटी के अध्यक्ष अशोक गोयल का कहना है कि भट्ठियां चलाने के कुछ नियम हैं। पिछले कुछ दिनों से हम चाहते हुए भी भट्ठियों को विराम नहीं दे सके। भट्ठियों को 24 घंटे में कम से कम छह घंटे और ज्यादा से ज्यादा आठ घंटे का विराम मिलना चाहिए, साथ ही एक शव के बाद दूसरे शव के जलने के बीच दस से पंद्रह मिनट का समय होना चाहिए। हमारा पहला मकसद शवों के साथ आए परिजनों को जल्द से जल्द अंतिम संस्कार का मौका देना है। हमने वो किया भी, लेकिन इसका दबाव भट्ठियों पर पड़ा।